ऑस्कर नॉमिनेट ‘Santosh’ भारत में क्यों रोकी गई? सेंसर बोर्ड के फैसले ने मचाया बवाल

शहाना गोस्वामी की फिल्म ‘संतोष’, जो यूके की आधिकारिक ऑस्कर एंट्री थी, को भारतीय सेंसर बोर्ड ने रिलीज़ से रोका। जानिए क्यों CBFC ने फिल्म में कटौती की मांग की और इसकी रिलीज़ पर संकट क्यों बना हुआ है।

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Vaishali Garg
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Sandhya Suri Santosh is UKs official entry for the Oscar

शहाना गोस्वामी की चर्चित फिल्म ‘संतोष’ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराही जा चुकी है और इसे यूके की आधिकारिक ऑस्कर एंट्री के रूप में भी मान्यता मिली थी। लेकिन भारत में इस फिल्म को सेंसर बोर्ड (CBFC) की आपत्तियों के कारण मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। सेंसर बोर्ड ने फिल्म को थिएटर में रिलीज़ करने से पहले कई कटौती की मांग की है, जिससे इसकी रिलीज़ फिलहाल अधर में लटकी हुई है।

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ऑस्कर नॉमिनेट ‘संतोष’ भारत में क्यों रोकी गई? सेंसर बोर्ड के फैसले ने मचाया बवाल

सेंसर बोर्ड की आपत्ति और शहाना गोस्वामी की प्रतिक्रिया

फिल्म की प्रमुख अदाकारा शहाना गोस्वामी ने एक इंटरव्यू में इस विवाद पर खुलकर बात की। उन्होंने कहा कि सेंसर बोर्ड द्वारा सुझाए गए बदलाव इतने अधिक हैं कि वे फिल्म की मूल भावना को ही बदल कर रख देंगे। उनकी टीम इन कटौती से सहमत नहीं है, इसलिए अब यह फिल्म भारतीय सिनेमाघरों में रिलीज़ होगी या नहीं, यह सवाल बना हुआ है।

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शहाना गोस्वामी ने यह भी कहा कि यह स्थिति भारतीय सेंसरशिप की अस्थिर प्रक्रिया को उजागर करती है। उनके अनुसार, जब फिल्म को स्क्रिप्ट स्तर पर सेंसर बोर्ड की मंजूरी मिल चुकी थी, तो अब अचानक इतनी कटौती की मांग क्यों की जा रही है?

फिल्म की कहानी और विवाद का कारण

‘संतोष’ एक सामाजिक मुद्दों पर आधारित अपराध-प्रधान ड्रामा है, जिसमें शहाना गोस्वामी ने एक ऐसी महिला की भूमिका निभाई है जो अपने पति की मौत के बाद पुलिस कांस्टेबल के रूप में कार्यभार संभालती है। जब वह एक युवा लड़की की हत्या की जांच करती है, तो उसे समाज की कई कठोर सच्चाइयों का सामना करना पड़ता है।

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फिल्म में जातिगत भेदभाव, पुलिसिया बर्बरता और यौन हिंसा जैसे मुद्दों को उठाया गया है। यही कारण है कि यह फिल्म एक सशक्त सामाजिक संदेश देती है, लेकिन शायद यही बात सेंसर बोर्ड को आपत्तिजनक लगी। भारत में पहले भी कई फिल्मों को सेंसरशिप के कारण अड़चनें झेलनी पड़ी हैं, और ‘संतोष’ भी इसी श्रेणी में आ गई है।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिली सराहना

हालांकि भारत में इस फिल्म की रिलीज़ मुश्किल में है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इसे भारी प्रशंसा मिल चुकी है। ‘संतोष’ का 77वें कान्स फिल्म फेस्टिवल में Un Certain Regard सेक्शन में प्रीमियर हुआ था। इसके अलावा, एशियन फिल्म अवार्ड्स में शहाना गोस्वामी को सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री और निर्देशक संध्या सूरी को सर्वश्रेष्ठ नवोदित निर्देशक का पुरस्कार भी मिला।

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क्या फिल्म भारत में रिलीज़ हो पाएगी?

निर्देशक संध्या सूरी के पास सेंसर बोर्ड के फैसले को कानूनी रूप से चुनौती देने का विकल्प है, लेकिन यह एक महंगा और लंबा रास्ता हो सकता है। इस कारण, फिल्म की थिएट्रिकल रिलीज़ अनिश्चित बनी हुई है। हालांकि, भारतीय दर्शकों के लिए राहत की बात यह है कि ‘संतोष’ फिलहाल स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म MUBI पर उपलब्ध है, जहां इसे देखा जा सकता है।

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सेंसरशिप और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सवाल

‘संतोष’ पर रोक का यह मामला एक बार फिर भारत में सेंसरशिप और कला की स्वतंत्रता को लेकर बहस छेड़ रहा है। जब कोई फिल्म अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसा प्राप्त कर चुकी हो और गंभीर सामाजिक मुद्दों पर बात कर रही हो, तो उसे सेंसरशिप का सामना क्यों करना पड़ता है? क्या कलाकारों को अभिव्यक्ति की पूरी स्वतंत्रता मिलनी चाहिए, या सरकारों और संस्थानों को यह तय करने का अधिकार होना चाहिए कि दर्शकों को क्या देखना चाहिए?

यह सवाल सिर्फ ‘संतोष’ तक सीमित नहीं है, बल्कि भारतीय फिल्म उद्योग में सेंसरशिप के व्यापक प्रभाव को उजागर करता है। क्या समाज के लिए ज़रूरी कहानियों को दबाने की बजाय उन्हें देखने और समझने का अवसर दिया जाना चाहिए? यह एक ऐसा विषय है जिस पर गहराई से विचार करने की आवश्यकता है।