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क्या मराठा शासक संभाजी ने आज जो सांभर हम पसंद करते हैं, उसे बनाया था?

जानिए सांभर के उत्पत्ति के पीछे की दिलचस्प कहानी और क्या मराठा शासक संभाजी का इस लोकप्रिय व्यंजन से कोई संबंध था। इस दक्षिण भारतीय डिश के इतिहास, प्रमुख सामग्री और क्षेत्रीय भिन्नताओं के बारे में पढ़ें

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Vaishali Garg
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Did Maratha Ruler Sambhaji Invent The Sambar We Love Today

Did Maratha Ruler Sambhaji Invent The Sambar We Love Today: सांभर दक्षिण भारतीय व्यंजनों का एक अभिन्न हिस्सा बन चुका है, लेकिन इसका असली जन्मस्थान कौन सा राज्य है – तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक या आंध्र प्रदेश? इस सवाल का कोई ठोस जवाब नहीं मिल पाया है। हालांकि, कुछ ऐतिहासिक कथाओं के अनुसार, मराठा शासक संभाजी राजे के लिए पहली बार थंजावुर दरबार में एक विशेष दाल-सब्जी वाली करी बनाई गई थी, जिसे बाद में ‘सांभर’ नाम दिया गया।

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क्या मराठा शासक संभाजी ने आज जो सांभर हम पसंद करते हैं, उसे बनाया था?

क्या संभाजी राजे ने बनाई थी पहली सांभर?

कहानी के अनुसार, 17वीं शताब्दी में जब छत्रपति शिवाजी महाराज के पुत्र संभाजी राजे थंजावुर पहुंचे, तो वहां के शाही रसोईघर में एक अनोखा प्रयोग हुआ। थंजावुर के राजा शाहजी द्वितीय (शिवाजी महाराज के सौतेले भाई एकोजी के पुत्र) के राजदरबार में पारंपरिक अमटी बनाने के लिए आवश्यक कोकम नहीं था। ऐसे में रसोइयों ने कोकम की जगह इमली का इस्तेमाल किया, जो थंजावुर क्षेत्र में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध थी। इस नए व्यंजन को संभाजी राजे ने खूब पसंद किया, और यह व्यंजन उन्हीं के नाम पर ‘सांभर’ कहलाने लगा।

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हालांकि, इस कहानी के कोई ठोस ऐतिहासिक प्रमाण नहीं हैं। तमिलनाडु के इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज (INTACH) के संयोजक एस. सुरेश के अनुसार, एक और कहानी प्रचलित है। इस कथा के अनुसार, एक बार संभाजी ने खुद दाल बनाने का प्रयास किया, लेकिन गलती से उसमें इमली डाल दी। जब रसोइयों ने उन्हें बताया कि अमटी में इमली नहीं डाली जाती, तो उन्होंने कहा कि उन्हें यह नया स्वाद पसंद आया, और इस तरह ‘सांभर’ का जन्म हुआ।

कोकम बनाम इमली – स्वाद और पहचान

कोकम और इमली दोनों ही भारतीय व्यंजनों में खट्टापन लाने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं, लेकिन इनका स्वाद और उपयोग अलग-अलग होता है। कोकम, जो विशेष रूप से पश्चिमी भारत (महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक और गुजरात) में पाया जाता है, हल्का खट्टा और थोड़ा मीठा होता है। इसे करी, दाल और शरबत में डाला जाता है। वहीं, इमली का खट्टापन अधिक तीव्र होता है, और इसे खासतौर पर दक्षिण भारतीय व्यंजनों जैसे सांभर, रसम और चटनी में इस्तेमाल किया जाता है। यही वजह है कि थंजावुर में कोकम की अनुपस्थिति में इमली का प्रयोग किया गया, जिसने सांभर को उसका अनोखा स्वाद दिया।

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सांभर की ऐतिहासिक जड़ें

हालांकि, सांभर की उत्पत्ति से जुड़ी यह मराठा कथा दिलचस्प जरूर है, लेकिन इतिहास में इसके और भी प्रमाण मिलते हैं। खाद्य इतिहासकार के.टी. आचाया की पुस्तक Indian Food Tradition: A Historical Companion के अनुसार, 1648 में लिखी गई कन्नड़ जीवनी कंथीराव नरसाराजा विजय में पहले से ही सांभर जैसे व्यंजन का उल्लेख मिलता है। कर्नाटक में इसे ‘हुली’ कहा जाता था, जो यह साबित करता है कि यह पकवान मराठा शासकों के थंजावुर आने से पहले ही मौजूद था।

सांभर के प्रमुख घटक

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सांभर की खासियत इसकी संतुलित सामग्री और मसालों के सही संयोजन में होती है। इसका आधार तुवर दाल (अरहर दाल) होता है, जो इसे प्रोटीनयुक्त और स्वाद में हल्का मीठा बनाता है। इमली का खट्टापन सांभर को उसका विशिष्ट स्वाद देता है, जबकि राई, सूखी लाल मिर्च, मेथी दाना, हींग और करी पत्ते का तड़का इसके स्वाद को और भी बढ़ाता है। इस व्यंजन में आमतौर पर सहजन (ड्रमस्टिक), गाजर, लौकी, भिंडी, बैंगन, और टमाटर जैसी सब्जियां डाली जाती हैं।

सांभर के क्षेत्रीय प्रकार

संभाजी राजे की सांभर की कहानी ऐतिहासिक हो या न हो, लेकिन इस व्यंजन ने समय के साथ कई रूप ले लिए हैं। आज दक्षिण भारत में सांभर के 50 से अधिक प्रकार पाए जाते हैं, जिनका स्वाद और बनाने का तरीका क्षेत्रीय परंपराओं के अनुसार बदलता रहता है। तमिलनाडु में सांभर हल्का और पारंपरिक मसालों से बना होता है, जिसमें सहजन और बैंगन का प्रमुखता से उपयोग किया जाता है। कर्नाटका में सांभर में गुड़ मिलाने के कारण इसका स्वाद थोड़ा मीठा होता है। वहीं, केरल में नारियल का उपयोग सांभर को और अधिक क्रीमी और गाढ़ा बनाता है।

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भले ही सांभर की उत्पत्ति को लेकर बहस जारी हो, लेकिन इसमें कोई शक नहीं कि यह भारतीय व्यंजनों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है। चाहे यह संभाजी राजे के नाम पर पड़ा हो या कर्नाटक के पारंपरिक ‘हुली’ से प्रेरित हो, सांभर आज हर दक्षिण भारतीय खाने की शान है। गरमागरम इडली-सांभर या डोसा-सांभर का आनंद लेते समय इस व्यंजन की दिलचस्प और समृद्ध ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को याद करें।

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