Hanuman Janmotsav 2025: आज है हनुमान जन्मोत्सव, जानिए महत्व और पूजा विधि

आपको बता दें कि कन्नड़ लोग भगवान हनुमान की जन्मोत्सव त्रयोदशी तिथि, मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष में मनाते हैं। जानिए इस ब्लॉग में इस साल हनुमान जयंती कब है। इस दिन कैसे करें हनुमान जी की पूजा, क्या है शुभ मुहूर्त और कुछ ख़ास उपाय-

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Vaishali Garg
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Kanya Pujan

Photograph: (Freepik AI)

Hanuman Jayanti 2025: हर साल चैत्र पूर्णिमा के दिन भगवान हनुमान का जन्मोत्सव पूरे देश में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व भक्ति, साहस और सेवा का प्रतीक है। 2025 में हनुमान जन्मोत्सव 12 अप्रैल को मनाया जा रहा है। इसे पूरे भारतवर्ष में श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है, विशेष रूप से उत्तर भारत में इसका विशेष महत्व है। भक्त इस दिन श्री हनुमान जी की पूजा कर उनके आशीर्वाद की कामना करते हैं।

हनुमान जन्मोत्सव का महत्व

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हनुमान जी को अंजनीपुत्र, केसरीनंदन और बजरंगबली जैसे नामों से जाना जाता है। वे भगवान शिव के 11वें रूद्र अवतार माने जाते हैं। रामायण में भगवान राम के प्रति उनकी भक्ति, पराक्रम और निस्वार्थ सेवा का वर्णन है।

हनुमान जी को संकटमोचन कहा जाता है, जो भक्तों के सारे संकट दूर करते हैं। यह पर्व न सिर्फ धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह आत्मविश्वास, साहस और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक भी है।

हनुमान जन्मोत्सव की पूजा विधि

इस दिन भक्त सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं और व्रत का संकल्प लेते हैं। घर में या मंदिर में हनुमान जी की प्रतिमा या चित्र के सामने दीप जलाकर पूजा की जाती है। उन्हें सिंदूर, चमेली का तेल, गुड़, केले, तुलसी और बूंदी के लड्डू का भोग चढ़ाया जाता है।

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Hanuman Chalisa और सुंदरकांड का पाठ विशेष फलदायी माना जाता है। शाम को आरती के बाद प्रसाद का वितरण किया जाता है। कई लोग इस दिन हनुमान मंदिर जाकर विशेष दर्शन और हनुमान चालीसा के सामूहिक पाठ में भाग लेते हैं।

हनुमान जी को प्रसन्न करने के उपाय

हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए शुद्धता, ब्रह्मचर्य और सत्य बोलना अत्यंत जरूरी माना गया है। इस दिन दान-पुण्य करने का भी विशेष महत्व है। किसी गरीब को भोजन कराना, वस्त्र दान करना और गौ सेवा करना हनुमान जी की कृपा पाने के सरल उपाय माने जाते हैं।

क्या करें और क्या न करें?

इस दिन सात्विक जीवनशैली अपनाना चाहिए। मांस-मदिरा, प्याज-लहसुन और तामसिक भोजन से परहेज करें। घर में कलह या अपशब्दों से बचें और पूरे दिन भक्ति और सेवा में मन लगाएं। बाल और नाखून काटने से भी बचना चाहिए क्योंकि यह दिन पूर्णतः पवित्रता का प्रतीक माना जाता है।

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