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Constitution Day: भारतीय संविधान में महिला नेताओं की महत्वपूर्ण भूमिका

राजकुमारी अमृत कौर, सरोजिनी नायडू और अन्य महिलाओं के भारतीय संविधान निर्माण में योगदान को जानें। संविधान दिवस पर उनके योगदान का सम्मान करें और भारत में सामाजिक और कानूनी सुधारों में उनके अहम रोल को समझें।

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Vaishali Garg
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 (India Today)

Women Leaders Who Shaped the Indian Constitution: आज हम संविधान दिवस मना रहे हैं, जो भारतीय संविधान की महत्वपूर्णता और उसकी संरचना को मान्यता देने का दिन है। भारतीय संविधान, जो 26 नवंबर 1949 को अपनाया गया था, हमारे देश की संरचना, शासन व्यवस्था और नागरिक अधिकारों की नींव रखता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस संविधान को बनाने में महिलाओं का भी अहम योगदान था? इस लेख में हम उन महिलाओं के बारे में बात करेंगे जिन्होंने भारतीय संविधान की रचना में सक्रिय भूमिका निभाई और समाज में प्रगति की दिशा तय की।

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भारतीय संविधान में महिला नेताओं की महत्वपूर्ण भूमिका

1. Rajkumari Amrit Kaur

राजकुमारी अमृत कौर, जिनका नाम भारतीय राजनीति और समाजसेवा में सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा, भारतीय संविधान सभा की पहली महिला सदस्य थीं। वे महात्मा गांधी की करीबी सहयोगी थीं और स्वास्थ्य मंत्रालय में पहले स्वास्थ्य मंत्री बनीं। उनका योगदान न केवल भारतीय स्वास्थ्य नीति में था, बल्कि उन्होंने भारतीय समाज में महिलाओं और बच्चों की भलाई के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। उनका संविधान निर्माण में योगदान महत्वपूर्ण था, खासकर महिलाओं और समाज के वंचित वर्गों के लिए नीति निर्धारण में।

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2. Sarojini Naidu

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की महान नेता और कवि सरोजिनी नायडू, जिन्हें "नाइटिंगल ऑफ इंडिया" के नाम से जाना जाता है, भारतीय संविधान सभा की सदस्य भी थीं। सरोजिनी नायडू ने भारतीय महिलाओं के अधिकारों के लिए संघर्ष किया और संविधान सभा में महिलाओं की स्थिति पर जोर दिया। उन्होंने महिलाओं को बराबरी का दर्जा दिलाने के लिए कई महत्वपूर्ण बहसों में भाग लिया और उनके योगदान ने भारतीय महिलाओं के लिए एक नई दिशा दिखायी।

3. Kamini Roy

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कामिनी रॉय, जिन्होंने बंगाल में महिला शिक्षा और समान अधिकारों के लिए आंदोलन चलाया, भारतीय संविधान सभा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली कुछ महिलाओं में से एक थीं। उनकी सक्रियता और समाज में महिलाओं की शिक्षा के लिए उनकी प्रतिबद्धता ने संविधान निर्माण के दौरान महिलाओं की सामाजिक स्थिति पर ध्यान आकर्षित किया। उनके विचारों और योगदान ने समाज में महिला सशक्तिकरण के नए मानक स्थापित किए।

4. Durgabai Deshmukh

दुर्गाबाई देशमुख, जो एक स्वतंत्रता सेनानी और समाजसेवी थीं, ने भारतीय संविधान सभा में महिलाओं के अधिकारों और समाज में समानता के लिए आवाज उठाई। वे महिलाओं के कल्याण और उनकी शिक्षा के लिए कई योजनाओं की हिमायती थीं। दुर्गाबाई का मानना था कि समाज को समृद्ध बनाने के लिए महिलाओं का सशक्तिकरण जरूरी है, और उन्होंने संविधान सभा में इस मुद्दे पर कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव पेश किए।

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5. Vijayalakshmi Pandit

विजयलक्ष्मी पांडे, जो भारतीय राजनीति और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में एक प्रमुख नाम थीं, भारतीय संविधान सभा की सदस्य रही थीं। वे भारत की पहली महिला राजदूत थीं और उनके योगदान से अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारतीय महिलाओं की पहचान बनी। संविधान सभा में उनकी भूमिका विशेष रूप से महिलाओं के अधिकारों को लेकर थी, और उन्होंने समानता और न्याय की दिशा में कई प्रस्तावों का समर्थन किया।

6. Mirabehn (Madeleine Slade)

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महात्मा गांधी की करीबी सहयोगी और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मीराबेहन ने भारतीय संविधान में महिला अधिकारों के लिए कई पहल की। उन्होंने संविधान सभा में महिलाओं के अधिकारों और उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए कई चर्चाएं की। मीराबेहन का योगदान महिलाओं के समान अधिकारों की दिशा में महत्वपूर्ण था और उन्होंने हमेशा महिलाओं की समानता की ओर ध्यान केंद्रित किया।

महिलाओं का संविधान निर्माण में योगदान

भारत के संविधान में महिलाओं को समान अधिकार और सम्मान देने के लिए कई प्रावधान किए गए हैं। संविधान के अनुच्छेद 15, 39(a) और 42 में महिलाओं के लिए विशेष प्रावधान हैं, जो समाज में समानता और न्याय की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं। इन महिलाओं के प्रयासों और संघर्षों ने भारतीय समाज में महिलाओं की स्थिति को मजबूत किया और उन्हें अपने अधिकारों के प्रति जागरूक किया।

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संविधान दिवस के इस विशेष दिन, हमें उन महिलाओं का सम्मान करना चाहिए जिन्होंने भारतीय संविधान के निर्माण में अपनी अहम भूमिका निभाई। उनका योगदान न केवल संविधान तक सीमित था, बल्कि उन्होंने समाज में समानता, स्वतंत्रता और न्याय के लिए आंदोलन किए। इन महिलाओं ने न केवल संविधान सभा में, बल्कि भारतीय समाज में भी एक सकारात्मक बदलाव की शुरुआत की।

यह संविधान दिवस हमें यह याद दिलाता है कि महिलाओं का संघर्ष और योगदान समाज की प्रगति और विकास के लिए महत्वपूर्ण है, और हम सभी को उनके द्वारा की गई मेहनत को मान्यता देनी चाहिए।

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