यह समाज एक ऐसी चीज़ है जो कि महिलाओं के लिए हमेशा से ही कठोर रहा है। हर महिला के लिए उसका इस समाज में एक्सपीरियंस अलग रहता है किसी के लिए बुरा होता है तो किसी के लिए बहुत ज्यादा बुरा होता है। आज हम ऐसी ही एक आम महिला की नज़र से ऐसी पांच बातें बताएंगे जो उसे अक्सर समाज से सुनने के लिए मिलती आयी हैं।
1. समय से घर आ जाना, रिस्क क्यों लेना है!
देर रात तक बाहर रहने पर अनहोनी होने के डर को 'रिस्क क्यों लेना है?' कहकर इसका पूरा भार लड़कियों पर ही डाल
दिया जाता है। समाज तो खराब है, इसलिए तुम ही बाहर समाज में मत निकलो देर रात तक बाहर रहने का रिस्क मत
लो।
2. तुम्हारी तकलीफ क्या ही यार! लोगों को इससे भी बड़े दुख हैं!
अकसर यह देखने - सुनने को मिल जाता है। लोग दूसरों को बेहतर महसूस करवाने के लिए उनकी दिक्कतों की तुलना
दूसरों से करते है। उन्हें यह एहसास कराते हैं कि उनकी तकलीफ बहुत छोटी है। तकलीफ छोटी है या बड़ी वह आपकी
निज़ी है। उससे होने वाली परेशानी आपकी है। उसके सामने किसी और की तकलीफ आपकी परेशानी को कम करने का
कारण कभी नही होना चाहिए।
3. शादी के बाद भी पढ़ सकती हो तुम!
मैं ग्रामीण क्षेत्र से हूँ और यह बात मैंनें जबसे होश संभाला है तब से अकसर सुनती आई हूँ। आज भी 21-22 साल की उम्र
की कुवारी लड़की घरवालों के लिए एक बौछ समझी जाती है। इस प्रेशर में हमें शादी और करियर में से एक का चयन
करना पड़ता है। जिसमें अकसर करियर पीछे छूट जाता है।
4. शुक्र है! अपनी माँ पर नही गयी
मेरी माँ का रंग सांवला है और पिता जी बहुत गोरे रंग के है। आमतौर पर ऐसा नही होता क्योंकि हमारे समाज में
लड़कियों से लड़को की अपेक्षा सुंदर या ज्यादा गोरे रंग का होने की उम्मीद रखी जाती है। सांवला रंग लड़कियों के लिए
एक मुसीबत समझा जाता है। मेरा हर रिश्तेदार भगवान का शुक्रगुज़ार है कि मेरा रंग मेरी माँ पर नहीं गया है। और मैं
शुक्रगुज़ार हूँ कि मेरी सोच उन जैसी नही है।
5. ज्यादा पढ़ी लिखी लड़की घर नही चला पाती!
आज प्रगतिशील दिखने की हौड़ में सबको पढ़ी लिखी लड़की तो चाहिए लेकिन ज्यादा पढ़ी-लिखी नही। सिर्फ इतना की
वह वही करे जो आप उससे करवाना चाहे। क्योंकि जब पढ़ी-लिखी लड़किया अपने अधिकारो को समझकर आपकी बात पर सवाल करेंगी तो आपके पास जबाव नही होंगे। और जब वह घर को संभालने के साथ - साथ उसको चलाने की बात कहेंगी तो आपकी सामाजिक प्रतिष्ठा को शायद चोट पहुँच जाए।