उनका मानना है कि अब बच्चों के लिए ये जानना बहुत जरुरी है कि लड़का और लड़की में कोई भेदभाव नहीं बल्कि सभी एक समान हैं। बल्कि फेमिनिज्म के जरिये वो अपने बच्चों को महिलाओं का सम्मान करना भी सिखाने में यकीन रखते हैं।
1. बच्चों से बात करें
जेंडर इक्वलिटी और फेमिनिज्म के टॉपिक पर बच्चों से खुल कर बात करें। एक बात जान लें कि आप उन्हें एक बेहतर भविष्य के लिए तैयार कर रहे हैं इसीलिए ये जरुरी है कि आपके बच्चों में सभी समुदाय और लिंग के प्रति सम्मान और बराबरी का भाव हो।
2. काम बाँटने से होता है आसान
खाना पकाने और सफाई से लेकर घर के बाकि काम करने या बच्चों और बुजुर्गों की देखभाल करने तक, महिलाएं पुरुषों की तुलना में कम से कम ढाई गुना अधिक घरेलू और देखभाल का काम करती हैं। नतीजतन, हजारों महिलाएं और लड़कियां स्कूल जाने या जॉब करने या आराम करने के लिए पर्याप्त अवसरों से चूक जाती हैं! अपने घर में सभी काम और दायित्वों को बराबरी में बांटे। लड़कियों के साथ-साथ कम उम्र से ही लड़कों को देखभाल के काम और घर के कामों में शामिल करें!
3. विविधता में है एकता
अपने बच्चों को विविधता को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करें, उन्हें विभिन्न लिंगों, जातियों और रंगों के रोल मॉडल दिखाएं। फर्क नहीं पड़ता वो महिला हैं या पुरुष, उनका रंग काल है या गोरा; चाहे वो जिस भी जाती या धर्म से हों, उनके कार्य हमारे लिए जरुरी है न कि वो कहा से आये हैं ये बातें। अपने बच्चों को ये विश्वास दिलाएं कि इस तरह के भेदभाव से कहीं ऊपर वो जो चाहे कर सकते हैं।
4. बॉडी शेमिंग है गलत
अपने बच्चों को ये सीख देना हमारी जिम्मेदारी है कि कसी भी व्यक्ति के शरीर की बनावट से उसके लिए कोई मापदंड तैयार करना गलत है। ये एक नकारात्मक पहलु है जिससे आपको अपने बच्चे को बचा कर रखना है। इसके लिए आप उन्हें बताएं कि शारीरिक बनावट से कहिउँपर है कि हम किसी के बारें में क्या सोचते हैं या हमारी मानसिकता क्या है।
5. रोल मॉडल्स का उदाहरण पेश करें
आज के युवा दुनिया के लिए एक बेहतर भविष्य के निर्माण के लिए असीम संभावनाओं और विशाल प्रतिभा का प्रतिनिधित्व करते हैं। लेकिन उस शक्ति का सही मायने में दोहन करने के लिए, हमें उनकी बात सुननी होगी। अपने बच्चों को दुनिया के तमाम ऐसे लोगों से मिलवाएं या उनके बारें में बताएं जिन्होंने हर तरह के स्टेरिओटाईप्स को तोडा और अपनी एक अलग पहचान बनाई।