शादी के बाद कैरियर और लव लाइफ दोनों को एक साथ बैलेंस करना काफी मुश्किल हो जाता है। यह किसी चुनौती से कम नहीं होता है। आपको अपने पार्टनर के साथ अपने संबंध हमेशा अच्छे बना कर रखना चाहिए। लेकिन अपने करियर को भी महत्व देना ना भूलें।
आपने दो तरह के लोग देखे होंगे। एक वह जो अपने करियर को लेकर इतने जुनूनी होते हैं कि वे अपनी लव लाइफ को महत्व और समय नहीं देते। वे सिर्फ अपने काम के पीछे ही भागते रहते हैं। दूसरी तरह के लोग होते हैं जो अपनी लव लाइफ से बाहर आना ही नहीं चाहते। वे अपने करियर के साथ खिलवाड़ कर जाते हैं। लेकिन यह दोनों ही परिस्थितियां गलत है। हमें अपना करियर और लव लाइफ दोनों को बैलेंस करना चाहिए।
करियर और लव लाइफ बैलेंस करने के लिए टिप्स -
1. समय निश्चित करें
आप अपने काम के समय को निश्चित करें। एक वक्त के बाद आप को अपने काम के बारे में नहीं सोचना चाहिए और केवल अपने पार्टनर और परिवार को वक्त देना चाहिए। काम के स्ट्रेस को ऑफिस के साथ ही छोड़ कर आया करें। जैसे आप अपने काम को पूरा समय देते हैं उसी तरह अपने परिवार को भी पूरा समय दें। अपने पार्टनर से बातें करें और उसकी मन की बातों को जानें।
2. बातें शेयर करें
अपने करियर पर ध्यान देते देते कुछ लोग अपने पार्टनर को भूल जाते हैं। वे अपने पार्टनर की मन की बातों को जानने की कोशिश नहीं करते। लेकिन बातचीत ना होने से आपकी बॉन्डिंग में खटास आ सकती हैं। आप अगर अपने पार्टनर की परेशानी नहीं समझेंगे और अपनी परेशानी उसे नहीं बताएंगे तो इससे गलतफहमियां बढ़ जाएंगी। यह आपके रिश्ते के लिए नुकसानदेह है।
3. ऑफिस का टेंशन वहीं छोड़कर आएं
ऑफिस में आपको काम की जो भी टेंशन होती है उसे ऑफिस में ही छोड़कर आए। उस टेंशन की वजह से आपका मूड खराब होता है और आप घर में भी सबके साथ गलत व्यवहार करते हैं। कभी-कभी बेवजह उन पर गुस्सा भी हो जाते हैं। ऐसा करने से घर का माहौल बिगड़ जाता है। इसलिए ऑफिस की टेंशन को कभी घर पर ना लाएं।
4. तुलना करना बंद करे
अक्सर लोग अपने पार्टनर की दूसरे लोगों के पार्टनर के साथ तुलना करने लगते हैं। वे अपने पार्टनर में खामियां ढूंढ कर उन से मनमुटाव कर लेते हैं। आपको ऐसा नहीं करना चाहिए। खामियां तो सभी लोगों में होती हैं इसलिए इन खामियों को स्वीकार करके खुशी से एक साथ रहे।
5. फैसले मिलकर लें
जब भी आप कोई फैसला लेते हैं तो उसमें अपने पार्टनर की सलाह जरूर लें। अपने पार्टनर को अपने फैसले का आधा भागीदार बनाएं। उस पर अपना फैसला थोप कर दबाव ना बनाएं। अगर आप के फैसले में दोनों की सहमति होगी तो आप का रिश्ता मजबूत रहेगा।