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Photograph: (File Image)
The unheard story of Ritu Karidhal, who redefined rocket science at ISRO: ऋतु करिधाल भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की एक प्रमुख वैज्ञानिक हैं, जिन्होंने भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में अहम योगदान दिया है। उन्हें "ISRO’s Rocket Woman" के नाम से भी जाना जाता है। ऋतु करिधाल ने न केवल भारत के मंगल मिशन और चंद्रयान-2 जैसे महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट्स में अग्रणी भूमिका निभाई, बल्कि उन्होंने रॉकेट साइंस की नई परिभाषा लिखी। उनकी कहानी न केवल महिला सशक्तिकरण के लिए प्रेरणादायक है, बल्कि यह दिखाती है कि कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प से कोई भी व्यक्ति अपने सपनों को साकार कर सकता है। आइए जानते हैं ऋतु करिधाल की अनसुनी कहानी के बारे में।
ऋतु करिधाल की अनसुनी कहानी, जिन्होंने इसरो में रॉकेट साइंस की नई परिभाषा लिखी
शुरुआती जीवन और शिक्षा
ऋतु करिधाल का जन्म भारत के उत्तराखंड राज्य में हुआ था। उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई स्थानीय स्कूलों से पूरी की। बचपन से ही उनकी रुचि विज्ञान और तकनीक में थी। उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से भौतिकी में स्नातक और फिर एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में परास्नातक की डिग्री हासिल की। उनकी शिक्षा ने उन्हें अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में एक मजबूत नींव प्रदान की।
इसरो में करियर की शुरुआत
ऋतु करिधाल ने 1997 में इसरो में अपने करियर की शुरुआत की। उन्होंने शुरुआत में विभिन्न उपग्रह मिशनों पर काम किया और अपने कौशल को निखारा। उनकी मेहनत और लगन ने उन्हें जल्द ही इसरो में एक प्रमुख वैज्ञानिक के रूप में पहचान दिलाई। उन्होंने कई महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स में अहम भूमिका निभाई और इसरो के लिए नई ऊंचाइयों को छूने में मदद की।
मंगल मिशन में योगदान
ऋतु करिधाल ने भारत के पहले मंगल मिशन, जिसे मंगलयान के नाम से भी जाना जाता है, में डिप्टी ऑपरेशंस डायरेक्टर के रूप में काम किया। यह मिशन भारत के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि थी, क्योंकि भारत पहले ही प्रयास में मंगल ग्रह पर पहुंचने वाला पहला देश बन गया। ऋतु करिधाल ने इस मिशन के लिए क्रिटिकल मिशन डिजाइन और ऑपरेशन्स प्लानिंग में अहम योगदान दिया। उनकी टीम ने मिशन को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए कई चुनौतियों का सामना किया और उन्हें पार किया।
चंद्रयान-2 मिशन में भूमिका
ऋतु करिधाल ने चंद्रयान-2 मिशन में मिशन डायरेक्टर के रूप में काम किया। यह मिशन भारत के लिए एक और महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट था, जिसका उद्देश्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरना था। हालांकि, लैंडिंग के अंतिम चरण में कुछ तकनीकी समस्याओं के कारण मिशन पूरी तरह सफल नहीं हो सका, लेकिन ऋतु करिधाल और उनकी टीम ने जो प्रयास किए, वे अभूतपूर्व थे। उनकी टीम ने मिशन के दौरान कई नई तकनीकों और प्रक्रियाओं को विकसित किया, जो भविष्य के मिशनों के लिए मददगार साबित होंगी।
चुनौतियों का सामना
ऋतु करिधाल के लिए यह सफर आसान नहीं था। उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जैसे कि अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में महिलाओं की कम संख्या, तकनीकी समस्याएं, और समाज की रूढ़िवादी सोच। हालांकि, उन्होंने इन चुनौतियों को अपनी मेहनत और दृढ़ संकल्प से पार किया और साबित किया कि महिलाएं किसी भी क्षेत्र में उत्कृष्टता हासिल कर सकती हैं।
महिला सशक्तिकरण के लिए प्रेरणा
ऋतु करिधाल ने न केवल भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम में अपना नाम दर्ज किया, बल्कि वह महिला सशक्तिकरण के लिए भी एक प्रेरणा बन गईं। उनकी सफलता ने दुनिया भर की महिलाओं को यह संदेश दिया कि वे किसी भी क्षेत्र में अपने सपनों को पूरा कर सकती हैं। उन्होंने साबित किया कि लिंग किसी की सफलता में बाधा नहीं बन सकता और महिलाएं किसी भी चुनौती का सामना कर सकती हैं।
पुरस्कार और सम्मान
ऋतु करिधाल की उपलब्धियों को कई पुरस्कारों और सम्मानों से नवाजा गया है। उन्हें भारत सरकार और विभिन्न संगठनों द्वारा सम्मानित किया गया है। उनकी सफलता ने न केवल भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम को गौरवान्वित किया, बल्कि दुनिया भर में महिलाओं के लिए एक नई मिसाल कायम की।
ऋतु करिधाल की कहानी हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है जो अपने सपनों को पूरा करना चाहता है। उन्होंने न केवल भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम में अपना नाम दर्ज किया, बल्कि महिला सशक्तिकरण के लिए भी एक नई मिसाल कायम की। उनकी सफलता ने साबित किया कि मेहनत, दृढ़ संकल्प और साहस के साथ कोई भी व्यक्ति अपने सपनों को साकार कर सकता है। ऋतु करिधाल ने दुनिया को दिखाया कि आसमान की ऊंचाइयों को छूना कोई सपना नहीं, बल्कि एक हकीकत है।