Speaking Up Is Not A Bad Thing: बहुत लोग खुल कर बात करने से कतराते हैं क्योंकि वे किसी अन्य व्यक्ति को चोट पहुँचाने, मतलबी या मूर्ख दिखने से, या पुरानी बातों का पिटारा खोलने से डरते हैं। कभी-कभी ऐसा लगता है कि चुप रहना ही बेहतर विकल्प है। लेकिन यहां पांच कारण बताए गए हैं जिससे जोखिम के बावजूद, अपने लिए खड़ा होना सबसे अच्छा है।
1. मौन को स्वीकृति माना जाता है
आप सोच सकते हैं कि चुप रहना आपको किसी भी संघर्ष में शामिल होने से रोकता है, लेकिन इसके बिल्कुल विपरीत। मौन कम्युनिकेशन का उतना ही रूप है जितना कि बात करना। जब भी आप किसी ऐसी स्थिति में शामिल होते हैं जहाँ आपसे पुछा जाये की आप सहमत हैं या नहीं, चुप रहने से मान लिया जायेगा की आप सहमत हैं।
बाद में अगर उस निर्णय पर सवाल उठे, तो आपको भी उतना ही भागीदार माना जाएगा। यह स्कूल-कॉलेज के टीम प्रोजेक्ट्स के लिए सच है, दफ्तर के काम के लिए सच है और परिवार या सामाजिक बातों के लिए भी सच है।
2. अधिक से अधिक अच्छाई प्रायोरिटी होनी चाहिए
बहुत लोग चुप रहते हैं क्योंकि वे किसी को ठेस पहुँचाना या उसकी बुराई करके कोई नुकसान नहीं करना चाहते हैं। लेकिन जब कोई व्यक्ति या टीम खतरनाक रास्ते पर चल रही होती है, तो अपनी खुद की अच्छे इमेज की जरूरत को दूसरों की जरूरतों से ऊपर रखना स्वार्थी होता है। इससे भी बदतर, चुप रहकर, आप उन लोगों को नुकसान पहुंचा सकते हैं जिनकी आप मदद करने की उम्मीद करते हैं।
3. प्रदर्शित करें कि आपकी अपनी सोच है
अक्सर लोगों की आदत होती है की वे ग्रुप के रे से सहमति जताते हैं। वे उनकी अपनी सोच रखने या प्रदर्शित करने से डरते हैं। इसे ‘हर्ड मेंटालिटी’ कहा जाता है। इसे सबसे ज़्यादा विवाहित औरतों में देखा जाता है। पाया गया है कि विवाहित औरतें अपने पति या घर के बड़ों से अलग सोच रखने से डरते हैं। यहाँ तक की महिलाएं अपने पति से अलग वोट देने से भी डरते हैं। यह बहुत गलत है।
हर व्यक्ति को अपनी सोच रखने का और प्रदर्शित करने का नैतिक अधिकार है, चाहे वो अपने लिए आवाज़ उठा कर हो या अपने वोट का निर्णय खुद करना हो।
4. बाकियों ने नोटिस न किया हो
आप यह नहीं मान सकते कि आपके लिए जो स्पष्ट है, सब के लिए स्पष्ट होगा। किसी भी परिस्थिति में आपके अनुभव और ज्ञान का मूल्य होता है। आपका अलग दृष्टिकोण किसी और के पास नहीं है। इसका मतलब यह नहीं है कि आपके दिमाग में सब कुछ शेयर करने के लायक है, लेकिन थोड़ा विवेक और विचार के साथ, आपको ज्यादातर स्थितियों में मूल्य लाने में सक्षम होना चाहिए।
5. आप अपनी सोच में अकेले नहीं हो सकते
यह पूरी तरह से संभव है कि दूसरे भी आपके सोच से सहमत हैं पर कुछ कहने से घबरा रहे हैं। आप दूसरों पर निर्भर नहीं कर सकते कि वे आपके लिए बोलेंगे। आपको खुद ही अपनी बात केहनी पड़ेगी, और अच्छे तर्क के साथ अपनी बात रखनी होगी।सारे ज़रूरी बदलाव दुनिया में इसलिए आए हैं क्योंकि किसी ने अलग सोच रखी और अपने लिए खड़े होने की हिम्मत भी की।