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Working Women Taboo: औरतों को नौकरी करने लिए सफाई देनी पड़ती है

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Swati Bundela
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भारतीय समाज में औरत के बाहर जाकर काम करने को अच्छा नहीं समझा जाता। अगर कोई औरत बाहर जाकर  काम भी करना चाहें तो उसे पहले ही कह दिया जाता है कि बाहर जाकर नौकरी  करना है तो करो पर घर की जिम्मेदारियों को तो  निभाना पड़ेगा। जब भी औरत जॉब करना चाहें तो समाज या घरवाले यह कहने लग जाते हैं कि तुम्हें क्या जॉब करने की जरूरत है? तुम्हारा पति अच्छा कमा तो रहा है।

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समाज के डर से नही करने देते जॉब

जब भी औरत जॉब करना चाहे तो उसे यह कहकर रोक दिया जाता है कि समाज क्या कहेगा कि हम अपनी बेटी और बहु से जॉब करवा रहे हैं। क्या हम इन्हें अच्छा खाने पीने को नहीं देते? घर की लड़कियां अगर बाहर जाकर काम करेगी तो समाज में हमारी क्या इज्जत रहेगी।

जॉब के लिए पुरुषों से लेनी पड़ती है इजाजत

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बहुत से भारतीय घरों में आज भी महिलाओं को अपने करियर को आगे बढ़ाने के लिए घर के पुरुषों की इजाजत लेनी पड़ती है जो उनके विकास में एक तरह से बाधा बनता है। एक तरह से यह दिखाता है कि महिलाएं अपनी जिंदगी में  फैसले नहीं ले सकती। उन्हें अपनी जिंदगी में अहम फैसले लेने के लिए मर्दों की जरूरत होती है।

नौकरी जब उन पर वित्तीय संकट हो?

समाज की माने तो औरत को सिर्फ ऐसी परिस्थिति में  ही काम करना चाहिए जब उस पर या परिवार पर कोई वित्तीय संकट हो नहीं तो उसे घर में रहकर अपने परिवार को देखना चाहिए और  घर की जिम्मेदारियों को निभाना चाहिए क्योंकि घर से बाहर जाकर नौकरी करना महिलाओं का काम नहीं है।

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घर के काम अकेले औरत को जिम्मेदारी है

भारतीय घरों में यह माना जाता है कि औरत का काम सिर्फ घर पर रहकर घर के काम करना है ।सिर्फ मर्द ही बाहर जाकर कमा सकता है। इसी सोच के कारण बहुत सी महिलाएं हैं जो बाहर जाकर काम नहीं कर पाती क्योंकि उन पर घर की जिम्मेदारियों का बोझ होता है। यह कहकर भी औरतों को रोक दिया जाता है कि घर और ऑफिस का काम साथ में कैसे मैनेज करोगी?

औरतों के लिए घर से बाहर जाना सुरक्षित नहीं हैं

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औरतों को यह भी कह कर नौकरी करने से रोक दिया जाता है कि बाहर माहौल सुरक्षित नहीं है देश में रेप के केस बहुत बढ़ रहे हैं। पर यहां पर सवाल यह उठता है कि औरतों को सुरक्षित माहौल कौन प्रदान करेगा? उनका रेप्स कौन कर रहा है? अगर औरतें रेप रेप से डरने लग जाए तो ऐसे तो फिर उनका कभी विकास  हो ही नहीं सकता। रेप से औरतों को नहीं बल्कि उन लोगों को डरना चाहिए जो यह सब करते हैं ।इसमें किसी औरत की गलती नहीं है कि अगर किसी ने उसके साथ रेप हुआ है।  औरत को कभी भी अपने आप को दोषी नहीं मानना चाहिए।

औरत को अकेले नौकरी करने के लिए ही नहीं अपनी हर चीज के लिए लोगों को सफाई देनी पड़ती है। वह किससे मिल रही ही क्या पहन रही हैं? वह नौकरी क्यों कर रही है? हर बार उसे सोसाइटी को एक्सप्लेन करना पड़ता है पर लेकिन यह औरत की जिंदगी है उसे अपनी जिंदगी अपने तरीके से जीने को आजादी है। अपने फैसले खुद लेने की आजादी है।किसी को कोई अधिकार नहीं है कि वह उसकी जिंदगी के फैसले ले उसे कहे कि उसे क्या करना चाहिए और क्या नहीं।

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