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भारत में हर साल हजारों लोग साँप के काटने (Snakebite) का शिकार होते हैं, खासकर ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) इसे एक गंभीर हेल्थ इश्यू मानता है, जो उन समुदायों को ज्यादा प्रभावित करता है जहाँ मेडिकल फैसिलिटीज कम हैं। इस समस्या को सॉल्व करने के लिए देहरादून की कंप्यूटर साइंस प्रोफेसर नीलू ज्योति आहूजा ने एक AI (Artificial Intelligence) आधारित साँप पकड़ने वाली डिवाइस बनाने की दिशा में काम किया है।
यह डिवाइस न सिर्फ इंसानी जान बचाने में मदद करेगी बल्कि वन्यजीव संरक्षण (Wildlife Conservation) और जहर पर रिसर्च (Venom Research) के लिए भी यूज़फुल होगी।
भारत में साँपों से होने वाली मौतों को रोकने के लिए AI तकनीक: प्रो. नीलू ज्योति आहूजा की पहल
भारत में साँप के काटने की समस्या और AI का समाधान
भारत के उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान और गुजरात जैसे राज्यों में स्नेकबाइट की घटनाएँ बहुत ज्यादा होती हैं। गाँवों में खेतों और घरों के आसपास साँप दिखना आम बात है, जिससे हजारों लोगों की जान चली जाती है।
इस प्रॉब्लम को सॉल्व करने के लिए AI-सक्षम स्मार्ट स्नेक ट्रैपिंग डिवाइस बनाई गई है। ये कंप्यूटर विजन (Computer Vision) और मशीन लर्निंग (Machine Learning) का यूज़ करके साँपों को डिटेक्ट करेगी और बिना नुकसान पहुँचाए उन्हें सुरक्षित रूप से पकड़ लेगी।
कैसे काम करेगी AI-सक्षम स्नेक ट्रैपिंग डिवाइस?
- यह डिवाइस गंध आधारित तकनीक (Scent-Based Technology) यूज़ करेगी, जिससे साँप एक आर्टिफिशियल शिकार (Artificial Bait) की तरफ आकर्षित होंगे।
- इसमें चार तरफ से साँपों के एंटर करने के लिए पाइप्स होंगे, लेकिन बाहर निकलने का रास्ता नहीं होगा।
- कैमरा (Camera) और सेंसर से साँप की इमेज क्लिक होगी और AI मॉडल उसे पहचान लेगा।
- इसके बाद GSM मॉड्यूल (GSM Module) की हेल्प से लोकल रेस्क्यू टीम को नोटिफिकेशन मिलेगा, जिससे साँप को सेफली जंगल में छोड़ने की प्रोसेस शुरू होगी।
वन्यजीव संरक्षण और इंसानों के लिए सेफ एनवायरनमेंट
भारत में कई लोग डर और अज्ञानता (Fear and Lack of Awareness) के कारण साँपों को मार देते हैं। यह डिवाइस लोगों को यह ऑप्शन देगी कि वे साँप को बिना नुकसान पहुँचाए पकड़ सकते हैं।
इससे:
- इंसानों की सुरक्षा बढ़ेगी
- साँपों की अनावश्यक हत्या (Snake Killing) रुकेगी
- वन्यजीवों और इंसानों के बीच बैलेंस बना रहेगा
रिसर्च और साइंस में योगदान
प्रो. नीलू ज्योति आहूजा 24+ साल से कंप्यूटर साइंस और AI के फील्ड में काम कर रही हैं। उन्होंने सरकारी रिसर्च प्रोजेक्ट्स भी पूरे किए हैं। उनके इस प्रोजेक्ट को 2023 में भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) से फंडिंग (Funding) मिली थी। उनका मानना है कि AI को सिर्फ टेक्नोलॉजी तक सीमित नहीं रखना चाहिए, बल्कि इसे समाज की रियल प्रॉब्लम्स को सॉल्व करने के लिए यूज़ करना चाहिए।
भारत में रिसर्च और इनोवेशन का फ्यूचर
हाल के सालों में इंडिया में रिसर्च और इनोवेशन (Innovation) के फील्ड में बहुत ग्रोथ हुई है। लेकिन ग्रामीण और ट्राइबल एरियाज तक इस टेक्नोलॉजी को पहुँचाने की ज़रूरत है। नीलू आहूजा का मानना है कि AI और मशीन लर्निंग जैसी एडवांस टेक्नोलॉजी को ग्राउंड लेवल पर अप्लाई करने की जरूरत है ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को इसका बेनिफिट मिले।
STEM फील्ड में महिलाओं की भागीदारी
STEM (Science, Technology, Engineering, Mathematics) फील्ड में महिलाओं की भागीदारी धीरे-धीरे बढ़ रही है, लेकिन अभी भी कई चैलेंजेज हैं।
नीलू आहूजा खुद भी अपने करियर की शुरुआत में कई मुश्किलों से गुज़रीं, लेकिन मेहनत और स्किल्स से उन्होंने खुद को प्रूव किया। अब वे नई पीढ़ी की लड़कियों को STEM फील्ड में आगे बढ़ने के लिए मोटिवेट और गाइड करती हैं।
AI बेस्ड यह स्मार्ट स्नेक ट्रैपिंग डिवाइस भारत में साँप के काटने से होने वाली मौतों को कम करने के लिए एक गेम-चेंजर साबित हो सकती है।
यह टेक्नोलॉजी न सिर्फ इंसानों की जान बचाएगी, बल्कि वन्यजीव संरक्षण, रिसर्च और इकोलॉजिकल बैलेंस में भी हेल्पफुल होगी।
प्रो. नीलू ज्योति आहूजा की यह पहल एक इंस्पिरेशन है कि कैसे साइंस और टेक्नोलॉजी का यूज़ करके समाज की रियल प्रॉब्लम्स को सॉल्व किया जा सकता है।