Atishi Takes Charge as Delhi's New Chief Minister: आतिशी ने 23 सितंबर को दिल्ली के नए मुख्यमंत्री के रूप में औपचारिक रूप से पदभार ग्रहण किया। उन्हें आम आदमी पार्टी (AAP) नेताओं द्वारा अरविंद केजरीवाल के स्थान पर सर्वसम्मति से चुना गया था, जिन्होंने हाल ही में अपने पद से इस्तीफा दिया था।
आतिशी ने दिल्ली के नए मुख्यमंत्री के रूप में पदभार ग्रहण किया
अरविंद केजरीवाल के स्थान पर अतिशी का चयन
यह निर्णय 17 सितंबर को AAP के विधायकों की बैठक में लिया गया, जहां खुद केजरीवाल ने प्रस्ताव दिया कि अतिशी को उनका उत्तराधिकारी बनाया जाए। पदभार ग्रहण करते समय, अतिशी ने अपने पास एक सीट खाली रखी, जो उनके पूर्ववर्ती के प्रति उनकी निष्ठा का प्रतीक था।
Taking charge as the Chief Minister of Delhi. LIVE https://t.co/AvLpC8u1f6
— Atishi (@AtishiAAP) September 23, 2024
आतिशी का संदेश
आतिशी ने मीडिया से कहा, "यह कुर्सी अरविंद केजरीवाल की है, और मुझे विश्वास है कि फरवरी के चुनावों में दिल्ली के लोग उन्हें फिर से मुख्यमंत्री के रूप में चुनेंगे। तब तक, यह कुर्सी इस कार्यालय में उनकी वापसी का इंतजार करेगी।" उन्होंने 21 सितंबर को दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली।
दिल्ली की नई मुख्यमंत्री आतिशी का विश्वास: "महिलाएं राजनीति में आकर भारत को 20 साल में बदल सकती हैं"
शिक्षा और राजनीति में आतिशी की भूमिका
दिल्ली के सरकारी स्कूलों में शिक्षा के सुधार में आतिशी की अहम भूमिका रही है। उन्होंने मध्य प्रदेश में जैविक खेती और शिक्षा प्रणाली पर भी व्यापक रूप से काम किया है। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से रोड्स स्कॉलर और चीवनिंग स्कॉलरशिप प्राप्त करने वाली आतिशी ने हमेशा से शिक्षा को सामाजिक उत्थान का साधन माना है।
"यह शिक्षा ही है जो महिलाओं को डिजिटल और वित्तीय रूप से सशक्त बनाएगी," आतिशी ने यह बात तब कही जब उनसे पूछा गया कि शिक्षा कैसे तकनीकी और राजनीतिक क्षेत्र में लिंगभेद को समाप्त कर सकती है।
तकनीक और राजनीति में महिलाओं की भागीदारी
आतिशी का मानना है कि पिछले कुछ वर्षों में तकनीक ने राजनीतिक विमर्श को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। दिल्ली की राजनीतिज्ञ के रूप में अपने चुनाव प्रचार के दौरान तकनीक के उपयोग पर बात करते हुए, उन्होंने कहा कि "तकनीकी साधनों ने राजनीतिक संवाद को बढ़ावा दिया है, लेकिन इसका उपयोग और प्रभाव क्षेत्र के अनुसार भिन्न होता है।"
हालांकि, तकनीक के बढ़ते प्रभाव के बावजूद, डिजिटल विभाजन एक गंभीर मुद्दा बना हुआ है। आतिशी ने बताया कि ग्रामीण इलाकों में आज भी सरकारी स्कूलों के बच्चे ऑनलाइन शिक्षा तक पहुंच नहीं बना पा रहे हैं, जबकि निजी स्कूलों में ऐसा संभव है।
राजनीति में महिलाओं की भागीदारी का महत्त्व
आतिशी का कहना है कि "अगर देश की युवा महिलाएं राजनीति में आएं तो अगले 20 सालों में भारत एक पूरी तरह से बदल सकता है।" वह महिलाओं को प्रोत्साहित करती हैं कि वे राजनीति में शामिल हों और अपने अधिकारों के लिए लड़ें।
शिक्षा से मिलेगा सशक्तिकरण
आतिशी ने विशेष रूप से इस बात पर जोर दिया कि महिलाओं और हाशिये पर मौजूद समुदायों के लिए शिक्षा ही स्वतंत्रता का रास्ता है। अगर महिलाएं शिक्षित होंगी, तो ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे उद्योग और सहकारी समितियां भी तेजी से बढ़ेंगी।