Deepa Gangurde: दीपा भास्कर गांगुर्डे (दिलीप गांगुर्डे) एक ट्रांसजेंडर समुदाय से आती हैं। दीपा का जीवन और लोगों की तरह सामान्य नहीं था बल्कि वह आर्थिक रूप से कमजोर परिवार से आती हैं। दीपा ने परिवार की आर्थिक स्थिति को अपने मिशन के आगे आड़े नहीं आने दिया। उन्होंने एक ट्रांसजेंडर समुदाय से होने के बावजूद स्किल इंडिया की मदद से ब्यूटी पार्लर में हाथ आजमाया और आज अन्य लोगों को भी इस क्षेत्र में आगे बढ़ा रही हैं। उनके स्टूडेंट्स आज बड़े से बड़े शहरों में ब्यूटी पार्लर के जरिए आर्थिक रूप से मजबूत हो रहे हैं। यहां जुड़ें शीदपीपल की प्रभा जोशी की, ट्रांसजेंडर समुदाय की मिसाल, दीपा भास्कर गांगुर्डे जी से बातचीत के कुछ अंश…
प्र. दीपा जी, स्किल इंडिया के बारे में कैसे जानकारी मिली, किस तरह इसके जरिए आप ब्यूटीशियन के क्षेत्र में आगे आए?
दी. हमारी जो संस्था है एल.जी.बी.टी.क्यू यूनिट की, जो हमारी संस्था है जन शिक्षण संस्थान, उसकी एक मैडम हैं, उन्होंने हमें इस बारे में बताया, उन्होंने हमें बेसिक सिखाया और फिर प्रोफेशनल क्लास दी।
प्र. आप ट्रांसजेंडर समुदाय से आते हैं, आप अपने समाज को, इस ब्यूटी के क्षेत्र को देखते हुए क्या कहना चाहेंगी?
दी. मैं संदेश देना चाहती हूं कि किसी के आगे हाथ फैलाना गलत है, तुम कुछ न कुछ करो। ये ब्यूटीशियन का ही नहीं, और भी क्लासेस हैं, और भी अलग-अलग स्किल हैं, ड्रेस डिजाइनिंग का हुआ मेकअप आर्टिस्ट, स्टेज प्रोग्राम का हुआ और बहुत से अलग-अलग क्षेत्र में करिअर करना चाहिए। लोग ऐसे अलग नजरिए से देखते हैं, तुम्हें काम नहीं है क्या? तुम काम क्यों नहीं करती तो? हर शख्स को कुछ न कुछ करना चाहिए। हर एक शख्स के अंदर कुछ न कुछ स्किल होता है न, उसको बाहर लाना चाहिए। मेरे अंदर भी यही स्किल था, तो मैंने दिखा दिया लोगों को। लेकिन शुरुआत में मुझे थोड़ा-सा तकलीफ हुआ, लोग बोल देते थे–हां यह ऐसा काम है, यह तो लड़का है, औरत के काम करता है। तो लोग मुझे बहुत हंसते थे पहले, नाम रखते थे, चिढ़ाते थे। ऐसा किया तभी चढ़ाते थे। और तू अलग सा क्यों है? मतलब तू अलग है, लड़के की तरह चलता है, लड़के की तरह बात करता है, उसमें भी लोग मुझे बोलते थे।
प्र. फिर आपने कैसे चैलेंज से लड़ा?
दी. मतलब मेरा एक छोटा सा गांव है। तो शुरुआत में मेरे जो पहचान के लोग थे, लड़कियां लोग, मैं उनका हेयर स्टाइल करवाती थी, मेकअप करवाती थी तो थोड़ा-थोड़ा आया था, मालूम हुआ। हमारे गांव में ज्यादा पार्लर नहीं थे, 1-2 थे, उसमें मेरा भी हुआ। तो लोग ऐसा पूछते थे कि एक और भी है, स्लम एरिया में है, तो लोग ज्यादा आने लगे। जैसे-जैसे मालूमात हुए वैसे वैसे लोग आने लगे।
प्र. आपका गांव कहां से लगता है, नासिक जिले से हैं आप?
दी. मेरा गांव नासिक जिले से है। नासिक जिले का वणी गांव।
प्र. आपने अपने गांव में पार्लर शुरू कर लिया है। कोर्स के दौरान आपके पास बहुत से ऑप्शंस होंगे, आपने ब्यूटी पार्लर से जुड़े कोर्स को ही क्यों चुना, आपका इंटरेस्ट था?
दी. हां, हां! मुझे, मतलब, मैं पहले तो स्टेज प्रोग्राम करती थी, फिर मैंने मेहंदी का काम किया– दुल्हन के हाथों मेहंदी सजाना, और फिर बाद में ग्लास पेंटिंग का किया, मैंने और फिर सिरामिक प्लास्टर ऑफ पेरिस से जो चीजें बनती हैं–शोपीस, उसका किया। मतलब बहुत सारे हॉबी क्लासेस थे–जरदोजी वर्क जो साड़ी में हम बनाते हैं, मैंने उसका बी करियर किया, लेकिन पार्लर में थोड़ा-सा ज्यादा क्रेज़ हुआ क्योंकि ज्यादा लोग आने लगे मेरे पास में। मैंने तो सिलाई बुनाई का भी काम किया है मतलब ड्रेस ब्लाउज सीने का भी कोर्स किया था मैंने, लेकिन पार्लर में मुझे ज्यादा समझ होने लगी न तो पार्लर ही मैंने हॉबी बनाकर रखा फिर।
प्र. आप लोगों को सिखा भी रहे हैं, आंतर्प्रेन्योर हैं, अपने क्षेत्र में आगे और क्या संभावनाएं देखते हैं खुद से?
दी. खुद से मेरा और आगे बिजनेस भी बढ़ जाए और अच्छे-अच्छे लोगों को मैं सिखाऊं, उनको, जो हम जैसे लोग हैं, उसको भी मैं सिखाऊं। कोई संस्था मुझे ज्वाइन कर ले तो अच्छी बात है। और मेरा मतलब हमारे जैसे जो लोग हैं उसको भी सिखाऊं, हमारा बिज़नेस जो है वह आगे भी बढ़ जाए यही मेरा सपना है।
प्र. जब आप सिखाते हैं तो आपके समुदाय से लोग आते हैं या फिर किसी भी समुदाय से?
दी. न, किसी भी समुदाय से आते हैं। मेरा लेडीज पार्लर है, मेरे पास लेडीज लोग ही ज्यादा आते हैं।
प्र. सिखाने के दौरान कोई चैलेंज जो आपने फेस किया हो?
दी. हां, बहुत अच्छा महसूस होता है। जब किसी को कोई काम भी नहीं आता था तो मैंने हाथ पकड़-पकड़कर उनको सिखाया है। मैं जिनको सिखाया है उनके तो बड़े-बड़े शहरों में पार्लर भी हो गए हैं। मेरे स्टूडेंट्स राजस्थान में भी हैं, मेरे स्टूडेंट्स गोवा में भी हैं, नागपुर में भी है, मुंबई में भी है और नासिक में भी हैं।
प्र. वह लोग भी अपने क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं?
दी. हां।
प्र. अंत में एक सवाल, महिलाओं को, इस देश के लोगों को, आंतर्प्रेन्योर और अपने क्षेत्र को लेकर कोई संदेश?
दी. मैं तो पहले गांव वालों को दूंगी, घरवालों को दूंगी कि हम जैसे जो बच्चे पैदा हुए तो उनको दुत्कारो मत, उसे अच्छी शिक्षा दो, नहीं तो किसी अच्छे से हॉस्टल में डाल दो, उसे अच्छे से पढ़ाओ-बढ़ाओ, यही मेरा संदेश है। अगर घरवालों ने रिस्पेक्ट की तो बाहर वाले भी करेंगे। मेरे जैसे जो लोग हैं उनको मेरा संदेश है, कुछ तो काम करो, खुद की स्किल दिखाओ, कुछ तो नाम बनाओ। ऐसे सीखते न रहते, कोई बन भी नहीं सकता। और फिर बाद में आगे बढ़कर जब हमारी उम्र हो जाएगी तो हमको कोई नहीं सहारा देने वाला। कुछ तो करना चाहिए, यही संदेश है मेरा।