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जानिए कैसे हिमालयन टेल्स बना आवारा पशुओं का सुरक्षित ठिकाना

जानिए कैसे एरम कुरैशी ने हिमालयन टेल्स के माध्यम से उत्तराखंड के आवारा पशुओं के लिए सुरक्षित आश्रय बनाया। नसबंदी, बचाव और पुनर्वास के जरिए उन्होंने पशु कल्याण में नई उम्मीद जगाई।

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Vaishali Garg
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Erum Qureshi Brings Hope and Love to Stray Animals in Uttarakhand

रानीखेत की एरम कुरैशी ने अपने संगठन हिमालयन टेल्स के माध्यम से आवारा पशुओं के जीवन में बदलाव लाने का बीड़ा उठाया है। भोजन उपलब्ध कराने से लेकर नसबंदी, बचाव और पुनर्वास तक, वह पहाड़ों में इन बेजुबानों के लिए एक सुरक्षित जगह बनाने की दिशा में काम कर रही हैं।

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जानिए कैसे हिमालयन टेल्स बना आवारा पशुओं का सुरक्षित ठिकाना

एरम की कहानी: एक बिल्ली प्रेमी से पशु रक्षक बनने तक का सफर

मुंबई में जन्मी और पली-बढ़ी एरम कुरैशी ने मीडिया क्षेत्र में अपनी नौकरी छोड़कर 2016 में अपने परिवार के साथ उत्तराखंड के मझखली में बसने का फैसला किया। पहाड़ों में एक शांत और संतोषजनक जीवन की तलाश ने उनके जीवन को एक नई दिशा दी।

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एक दिन उनके पांच वर्षीय बेटे के साथ खेलती एक छोटी सी आवारा पिल्ला उनके घर आ गई। उस घटना ने उनके जीवन को बदल दिया। एरम कहती हैं, "उस पिल्ला ने मुझे कुत्तों के बारे में सबकुछ सिखाया। जब मैंने उसे नसबंदी के लिए ले जाने का सोचा, तो पता चला कि आसपास कोई सुविधा नहीं है। यह मेरे लिए एक चौंकाने वाला अनुभव था।"

पशु देखभाल में चुनौतियां और हिमालयन टेल्स की शुरुआत

एरम ने अकेले ही आवारा कुत्तों की नसबंदी और उनकी देखभाल शुरू की। शुरुआत में, उन्होंने अपने एक दोस्त के साथ पास के अल्मोड़ा में नसबंदी कराने का प्रयास किया। धीरे-धीरे उन्होंने अपने किराए के घर को एक अस्थायी क्लिनिक में बदल दिया और स्थानीय पशु चिकित्सकों को अपनी मदद के लिए तैयार किया।

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2022 में, एरम ने अपनी जमीन खरीदी और वहां एक स्थायी पशु आश्रय की नींव रखी, जो नसबंदी, पुनर्वास और गंभीर रूप से घायल या बीमार पशुओं की देखभाल के लिए समर्पित है।

पहाड़ों में पशु कल्याण: एक कठिन लेकिन जरूरी जिम्मेदारी

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एरम ने पहाड़ों में पशु कल्याण की चुनौतियों के बारे में बताया। वह कहती हैं, "यहां बचाव कार्य बहुत मुश्किल है। जब भी मुझे किसी जानवर के लिए दर्द निवारक की जरूरत होती थी, वह स्थानीय फार्मेसी में उपलब्ध नहीं होता था।"

उन्होंने यह भी बताया कि कैसे समाज में अभी भी पशु कल्याण को लेकर जागरूकता और सहानुभूति की कमी है। "नसबंदी के प्रति लोगों में मानसिक बाधा है। खासतौर पर मादा पालतू जानवरों को गोद लेने की इच्छा कम है," एरम ने कहा।

समाज पर प्रभाव और बच्चों में दया का बीज बोना

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एरम ने बताया कि जानवरों के साथ जुड़ाव ने न केवल उनके जीवन को समृद्ध बनाया है, बल्कि उनके बच्चों को भी संवेदनशील और जिम्मेदार बनाया है। "जानवर बच्चों को दयालु बनाते हैं और उन्हें वास्तविक दुनिया से जोड़ते हैं," उन्होंने कहा।

एरम का सपना: हर जानवर के लिए सुरक्षित ठिकाना

हिमालयन टेल्स के माध्यम से एरम कुरैशी एक आत्मनिर्भर आश्रय बनाने की दिशा में काम कर रही हैं। उनका लक्ष्य केवल आवारा पशुओं को बचाना नहीं है, बल्कि समाज में पशु कल्याण को लेकर जागरूकता बढ़ाना और इसे सामूहिक जिम्मेदारी बनाना है।

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एरम कुरैशी का यह सफर न केवल आवारा जानवरों के लिए बदलाव लाया है, बल्कि समाज में करुणा और संवेदनशीलता की भावना को भी बढ़ावा दिया है। उनकी कहानी हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है, जो अपने छोटे प्रयासों से बड़ी जिम्मेदारियां निभाने का हौसला रखता है।

यह साक्षात्कार तान्या सावकूर द्वारा कवर किया गया है।

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