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कैसे मुंबई की 80 वर्षीय चेतना पंड्या अपनी कला और कविता से अपनी कल्पनाओं को करती हैं साकार

जानिए मुंबई की 80 वर्षीय चेतना पंड्या की प्रेरणादायक कहानी, जिन्होंने कला और कविता को अपने जीवन का अभिन्न हिस्सा बनाया। उनकी रचनात्मकता, आत्म-अभिव्यक्ति और कला के माध्यम से स्वयं को व्यक्त करने का यह सफर प्रेरणादायक है।

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Vaishali Garg
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How Mumbai's 80-Year-Old Chetna Pandya Unleashes Imagination With Art & Poetry

मुंबई की रहने वाली चेतना पंड्या, जो खुद से कला और कविता सीखने वाली कलाकार हैं, ने अपनी जिंदगी में कला और कविता के महत्व को साझा किया। उनकी कला और शब्दों ने न केवल उनके कठिन पलों को सहारा दिया, बल्कि उनके लिए एक माध्यम भी बन गए आत्म-अभिव्यक्ति और आंतरिक सोच के।

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कैसे मुंबई की 80 वर्षीय चेतना पंड्या अपनी कला और कविता से अपनी कल्पनाओं को करती हैं साकार

कला के प्रति बढ़ता जुनून

गुजरात में जन्मी चेतना पंड्या का कला के प्रति प्रेम बचपन से ही था। हालाँकि, उनके स्कूल के अध्यापकों ने उनकी प्रतिभा को पहचानने में थोड़ी कमी दिखाई, लेकिन उन्होंने अपनी कला को कभी फीका नहीं होने दिया।

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चेतना ने कॉमर्स में डिग्री ली और 1966 में शादी के बाद यूएसए चली गईं। वहाँ उन्होंने न्यूयॉर्क स्कूल ऑफ बिजनेस में पढ़ाई की और पार्ट-टाइम बुककीपर और मार्केट रिसर्चर के रूप में अपना करियर शुरू किया। 1978 में उनकी एक बेटी हुई और 1980 में उनका तलाक हो गया।

यूएसए में रहने के दौरान उन्होंने कला से दूरी बनाए रखी, क्योंकि वहां उनके पास समय नहीं था। लेकिन जब 2005 में वे अपनी बेटी के साथ मुंबई में स्थायी रूप से बस गईं, तो उन्होंने अपने खाली समय को कला में फिर से अपना जुनून खोजने के लिए इस्तेमाल किया।

"जब मैं वापस आई, तो एक दिन मैंने कैनवास खरीदा और पेंटिंग की। जब मेरी बेटी ने देखा, तो उसने कहा, ‘माँ, यह कितना सुंदर है!’ इस सराहना ने मुझे प्रेरणा दी कि मैं फिर से पेंटिंग शुरू करूँ।" उनकी बेटी की इस प्रेरणा ने उनके अंदर एक नई ऊर्जा भर दी, जो उन्हें आज तक प्रेरित कर रही है।

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प्रेरणा के अनगिनत स्रोत

चेतना पंड्या को संगीत, फिल्में, उद्धरण और प्रकृति से प्रेरणा मिलती है। उनके लिए कला का हर माध्यम एक नई कहानी बुनता है। उनके लिए कला में कोई नियम नहीं हैं; यह तो बस उनकी सोच का असली प्रतिबिंब है।

"मुझे ब्रश की बजाय अपनी उँगलियों का इस्तेमाल करना पसंद है। पेंट में डूब कर कैनवास पर कुछ भी करना मुझे बहुत अच्छा लगता है। मैं हमेशा कहती हूँ, ‘जो करना है करो, दूसरों के बारे में सोचो मत। सभी को खुश करना संभव नहीं है, बस अपने काम को पसंद करो।'"

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उनके मुताबिक, हर कलाकार के लिए आत्म-आलोचना से दूर रहना और नकारात्मक टिप्पणियों को नजरअंदाज करना बहुत जरूरी है। "लोग आपके काम को समझेंगे नहीं, कहेंगे, 'ये क्या बना दिया!' लेकिन मैं हमेशा कहती हूँ, अपने कला को अपने तरीके से समझो।"

नए कलाकारों के लिए सलाह

नए कलाकारों के लिए चेतना का संदेश है, "आगे बढ़ो और अपने सपनों को पूरा करो। अपनी कल्पना को स्वतंत्र रूप से व्यक्त करो और कभी हार मत मानो। हमेशा सीखते रहो, अपनी मेहनत करो, सफलता एक दिन जरूर मिलेगी।"

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आपको बता दें कि यह इंटरव्यू तान्या द्वारा लिया गया था।

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