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कैसे भरगवी वेंकटरम ने डिजिटल युग में अपनी शास्त्रीय संगीत विरासत को संजोया और आगे बढ़ाया

पढ़ें भरगवी वेंकटरम की प्रेरणादायक कहानी, जिन्होंने अपनी शास्त्रीय संगीत विरासत को डिजिटल माध्यमों के जरिए नई पीढ़ी तक पहुंचाया। जानें, कैसे उन्होंने परंपरा और आधुनिकता के बीच संतुलन बनाकर संगीत उद्योग में लैंगिक चुनौतियों का सामना किया।

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Vaishali Garg
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How Bhargavi Venkatram Is Balancing Her Classical Musical Legacy In Digital World

Image Credits: NMAHE Photography via Bhargavi Venkatram on Instagram

बेंगलुरु की भरगवी वेंकटरम, एक कर्नाटक संगीत गायिका और कंटेंट क्रिएटर, का बचपन संगीत की मधुर धुनों के बीच बीता। उनकी मां त्रिवेणी सरलाया और मौसी कविता सरलाया प्रसिद्ध गायिकाएं हैं, जबकि उनके दादा एच वी कृष्णमूर्ति और पिता एच के वेंकटरम जाने-माने वायलिन वादक हैं।

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कैसे भरगवी वेंकटरम ने डिजिटल युग में अपनी शास्त्रीय संगीत विरासत को संजोया और आगे बढ़ाया

हालांकि, भरगवी ने शुरुआती दिनों में संगीत को लेकर गंभीरता नहीं दिखाई। "संगीत को मैंने कभी गंभीरता से नहीं सीखा था, लेकिन भरतनाट्यम के लिए कर्नाटक संगीत की जरूरत ने मुझे इसे औपचारिक रूप से सीखने के लिए प्रेरित किया," उन्होंने बताया।

परंपरा और पहचान का संघर्ष

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भरगवी ने संगीत को अपनी पहचान बनाने का जरिया चुना, लेकिन अपने परिवार की प्रसिद्धि के चलते उन्हें काफी दबाव का सामना करना पड़ा। "पहली सार्वजनिक प्रस्तुति के दौरान मैंने महसूस किया कि लोग मेरी आवाज से ज्यादा मेरी पारिवारिक विरासत सुनने आए थे। यह समझने में वक्त लगा कि मैं केवल अपना सर्वश्रेष्ठ दे सकती हूं और बाकी सब पर मेरा नियंत्रण नहीं है," उन्होंने साझा किया।

संगीत उद्योग में लैंगिक चुनौतियां

संगीत उद्योग भी लैंगिक भेदभाव से अछूता नहीं है। "महिला होने के कारण आयोजक मुझे गंभीरता से नहीं लेते और कई बार सहगायकों के चयन में भी मुझसे राय नहीं ली जाती," भरगवी ने कहा। इसके अलावा, उन्हें पुरुष कलाकारों की तुलना में कम भुगतान का भी सामना करना पड़ा।

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डिजिटल युग में शास्त्रीय संगीत का प्रभाव

भरगवी ने डिजिटल माध्यमों का सहारा लेकर शास्त्रीय संगीत को नई पीढ़ी तक पहुंचाया। सोशल मीडिया पर अपने लघु वीडियो साझा करने के लिए उन्होंने आलोचना का सामना किया, लेकिन उनके इस प्रयास ने शास्त्रीय संगीत को नई पहचान दी। "कई लोगों ने मेरे वीडियो देखकर पहली बार कर्नाटक संगीत सुना और उसे पसंद किया," उन्होंने गर्व से बताया।

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