Sound Space on Wheels: How Two Sisters Are Transforming Lives Through Music in Mumbai Slums: संगीत न सिर्फ एक कला है बल्कि जीवन को नए आयाम देने वाला अनुभव भी है। और जब यह कला उन बच्चों तक पहुँचे जो सीमित संसाधनों में जी रहे हों, तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। मुंबई की बस्तियों में रहने वाले बच्चों के लिए विशाला और कमाक्षी खुराना ने संगीत को केवल शौक या सीखने की प्रक्रिया तक सीमित नहीं रखा, बल्कि इसे उनके जीवन का अभिन्न हिस्सा बना दिया है। उनकी पहल 'साउंड स्पेस ऑन व्हील्स' एक ऐसा अनूठा प्रोजेक्ट है, जो इन बच्चों की दुनिया में उम्मीद और खुशियों का संचार कर रहा है।
संगीत की धुनों से बस्तियों में खुशियां लाने वाली बहनें
'संगीत से शुरू हुआ सफर
विशाला और कमाक्षी खुराना बचपन से ही संगीत के माहौल में पली-बढ़ी हैं। उनके पिता एक संगीतकार हैं, इसलिए संगीत उनके जीवन का एक अहम हिस्सा था। इन बहनों का बचपन सुबह की रागों और मस्ती भरे संगीत से भरी तालिकाओं के साथ बीता। उन्होंने अपनी संगीत शिक्षा को गंभीरता से लिया और इस दिशा में 'विषारद' की उपाधि प्राप्त की। इसके साथ ही, वे मनोविज्ञान में भी स्नातक हैं, जो उन्हें इस समझ को और गहराई से देखने का मौका देता है कि संगीत किस तरह से भावनाओं और समाज पर प्रभाव डाल सकता है।
'द साउंड स्पेस' की शुरुआत
विशाला और कमाक्षी ने अपने संगीत से न सिर्फ अपनी जिंदगी को संवारा बल्कि इसे दूसरों के साथ भी बाँटने का निर्णय लिया। उनके इसी जुनून से 'द साउंड स्पेस' की नींव रखी गई, जिसका उद्देश्य था संगीत को हर किसी के लिए सुलभ बनाना। लॉकडाउन के दौरान जब कई बच्चे ऑनलाइन कक्षाओं तक नहीं पहुँच पा रहे थे, तो उन्होंने तय किया कि अब समय आ गया है कि संगीत की क्लासेज़ बच्चों तक पहुँचाई जाए। यही विचार 'साउंड स्पेस ऑन व्हील्स' के रूप में सामने आया।
'साउंड स्पेस ऑन व्हील्स': चलते-फिरते संगीत की कक्षा
2023 में, 'साउंड स्पेस ऑन व्हील्स' की शुरुआत हुई। यह एक मोबाइल संगीत कक्षा है, जो एक पीले रंग की चमकीली बस में बस्तियों में जाती है और बच्चों को संगीत की शिक्षा देती है। इस पहल का उद्देश्य उन बच्चों तक पहुँचना है, जिनके पास डिजिटल संसाधनों की कमी है या जिनके लिए स्कूल और अन्य संगीत की कक्षाएँ दूर होती हैं। यह बस एक चलते-फिरते संगीत स्कूल की तरह काम करती है, जो हर हफ्ते अलग-अलग समुदायों में जाकर बच्चों को संगीत के ज़रिए खुशियाँ बाँटती है।
बच्चों के जीवन में संगीत का असर
'साउंड स्पेस ऑन व्हील्स' के ज़रिए सिखाए जाने वाले संगीत ने इन बच्चों की जिंदगी में एक महत्वपूर्ण बदलाव लाया है। यह सिर्फ संगीत की शिक्षा नहीं है, बल्कि बच्चों के जीवन में आत्मविश्वास, रचनात्मकता और सामूहिकता का अनुभव भी है। विशाला और कमाक्षी का कहना है कि "संगीत इन बच्चों को उनके घर की समस्याओं और स्कूल के दबाव से दूर ले जाता है और उन्हें कुछ नया सीखने और आनंद उठाने का अवसर प्रदान करता है।"
वे यह भी कहती हैं कि उन्होंने कई बच्चों में असाधारण संगीत प्रतिभा देखी है और ऐसे बच्चों को वे अपने कार्यक्रमों में शामिल करती हैं। इनमें से कुछ बच्चे अब उनके साथ शिक्षक के रूप में काम कर रहे हैं और अन्य बच्चों को सिखा रहे हैं।
संगीत का सामाजिक प्रभाव
विशाला और कमाक्षी की यह पहल न सिर्फ बच्चों की व्यक्तिगत स्किल्स को निखारती है बल्कि उन्हें सामाजिक तौर पर भी सशक्त बनाती है। संगीत के ज़रिए ये बच्चे आत्म-अनुशासन, ध्यान केंद्रित करने और अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के तरीके सीखते हैं। यह प्रक्रिया उन्हें सिर्फ एक संगीतकार नहीं, बल्कि एक बेहतर इंसान बनने में मदद करती है।
संगीत एक ऐसा माध्यम है, जो विभिन्न सामाजिक और आर्थिक पृष्ठभूमियों से आने वाले बच्चों को एक साथ जोड़ता है। यह उनके बीच एक समानता का भाव पैदा करता है और उन्हें यह एहसास दिलाता है कि वे भी कुछ विशेष कर सकते हैं।
चुनौतीपूर्ण लेकिन प्रेरणादायक सफर
हालांकि 'साउंड स्पेस ऑन व्हील्स' का सफर अब तक बेहद सफल रहा है, लेकिन यह हमेशा आसान नहीं रहा। बस्तियों में काम करना अपने आप में एक चुनौती है, जहाँ संसाधनों की कमी होती है और बच्चों को नियमित रूप से पढ़ाई के लिए प्रेरित करना मुश्किल हो सकता है। लेकिन विशाला और कमाक्षी ने हर चुनौती का डटकर सामना किया और अपनी दृढ़ता और जुनून के बल पर इस पहल को सफल बनाया।
वे कहती हैं कि "इन बच्चों के चेहरों पर मुस्कान देखना ही हमारे लिए सबसे बड़ा इनाम है। जब हम देखते हैं कि कैसे संगीत ने इनके जीवन को संवारा है, तो हमारी मेहनत सार्थक लगती है।