Komal Chaturvedi Interview: आज के समय में भी जहां लोग पुराने तरीकों को अपनाकर अपने बिजनेस को आगे बढ़ा रहे हैं। ऐसे डिजिटल युग में भी पुरानी परम्पराओं को फॉलो करके अपने बिजनेस को ऊँचाइयों पर ले जाना कठिन है इस बात को समझा कोमल चतुर्वेदी ने। कोमल ने न सिर्फ इस बात को समझा बल्कि डिजिटल युग में पुरानी टेकनीक्स को रिप्लेस करके बिजनेस को सफल बनाने का एक बेहतर तरीका लेकर आयीं और वो है मोशन ग्राफ़िक। कोमल चतुर्वेदी इंदौर बेस्ड कम्पनी MotionGility की को-फाउंडर और CEO हैं। उनकी कम्पनी भारत की पहली वीडियो एनीमेशन एक्सप्लेनर कम्पनी है जो इंटरनेशनल लेवल पर लोगों के बिजनेस को आगे बढाने में मदद कर रही है। इस कम्पनी को बनाकर कोमल ने ना सिर्फ लोगों की मदद की बल्कि अपना उद्यमी बनने का सपना भी पूरा किया।
Komal Chaturvedi Entrepreneurial Journey
कोमल चतुर्वेदी आज एक सफल एंटरप्रेन्योर हैं। उन्होंने अपने सपने को पूरा किया और साथ ही वो महिलाओं को भी काम करने और एंटरप्रेन्योर बनने के लिए प्रोत्साहित करती हैं। जानिए कोमल चतुर्वेदी ने SheThePeople के साथ इंटरव्यू में अपनी जर्नी के बारे में क्या कहा-
सबसे बड़ी चुनौती क्या थी जब आपने अपना एनिमेशन बिजनेस शुरू किया था?
इस प्रश्न का उत्तर देते हुए कोमल कहती हैं, “कि जब सबसे पहले हम एनीमेशन बिजनेस शुरू करने की सोच रहे थे वो भी इंदौर जैसी सिटी से तो हमारे लिए सबसे बड़ा चैलेंज यही था कि यहाँ पर जो वर्क फ़ोर्स है वो वर्क फ़ोर्स कभी था ही नहीं। क्योंकि यहाँ पर कभी भी इंडस्ट्री बनी ही नही थी। तो यहाँ सबसे बड़ी चुनौती यही थी कि हमें यहाँ से शुरुआत करनी थी इस सिटी से क्योंकि ज्यादातर जब हम देखते हैं कि मुंबई, बैंगलोर या हैदराबाद जैसी सिटीज में एनीमेशन इंडस्ट्री का स्कोप देखते हैं और ऐसे में इंदौर जैसी सिटी से वर्क फ़ोर्स को रेडी करना एक बहुत बड़ा हमारे लिए चैलेन्ज था।
उसके लिए हम लोगों ने ऐसे लोगों को चुना जो कि एंबिशियस हैं पर जिन्हें किसी न किसी कारण वश अपनी पसंद की चीजों को पर्श्यू करने का मौका नहीं मिला। लेकिन वो एंबिशियस थे और उन्हें क्रिएटिविटी में जाना था। तो ऐसे लोगों को हमने इकट्ठा करना शुरू किया। हमने खुद का ट्रेनिंग प्रोग्राम स्टार्ट किया और उसके जरिये हमने लोगों को कम्पनी में ऑनबोर्ड करना चालू किया। हमने खुद का मोड्यूल तैयार किया वो बहुत ज्यादा हमारे लिए एक चलेंजिंग सिचुएशन था यही चुनौती रही हमारे लिए जहां पर हमने इंदौर जैसी सिटी से इस तरीके का वर्क फ़ोर्स बनाया जो कि इंटरनेशनल लेवल पर इस तरीके का क्वालिटी वर्क करे।
क्या आप ऐसा कोई समय बता सकती हैं जब आपको हार मानने जैसा महसूस हुआ लेकिन आपने हार नहीं मानी?
इस प्रश्न का उतार देते हुए कोमल कहती हैं कि, “बिज़नेस में तो अप्स एंड डाउन्स हमेशा रहते हैं। ऐसा कभी नहीं होता है कि हर चीज़ बहुत अच्छी चल रही है और हर चीज़ मतलब आप ही जा रही है। बहुत बार ऐसा होता है बिज़नेस में जहाँ पर आपको डाउन टाइम देखना पड़ता है। जेनरली जब भी डाउन टाइम आता है तो दो चीजें मेरे दिमाग में हमेशा जो आई हैं, पहली तो ये है कि आपने अगर ये शुरू किया था तो वो क्यों किया था? मतलब ये कि आपने वो स्टार्ट क्यों किया था? और जो दूसरा जो मेजर चीज़ आती है क्योंकि कहीं ना कहीं जब हम बिज़नेस बनाते हैं तो हम सिर्फ अपना ही नहीं, हम लोग 10, 20 या जितने भी लोगों को हमने एम्प्लॉयमेंट दे रखा है उन सभी का कहीं ना कहीं हम लोग ब्रेड एंड बटर होते हैं क्योंकि उसी के थ्रू उन सभी की फैमिली कहीं ना कहीं डिपेंडेंट होती है तो वो थॉट और वो रिस्पॉन्सिबिलिटी याद आती है कि हम चीजों को सिर्फ ऐसे ही क्विट नहीं कर सकते क्योंकि सिर्फ अगर हम पीछे हटते हैं तो वो सिर्फ हमें ही अफेक्ट नहीं करता है।
जितने भी लोगों को हमने एम्प्लॉयमेंट दे रखा है, वो उन लोगो को भी अफेक्ट करेगा। तो ये ही चीजों को ध्यान में रखते हुए हम लोग फाउंडर्स के तौर पर और मेरा हमेशा यही रोल रहा है कि मैं उसको मद्दे नजर रखते हुए हमेशा इसी चीज़ पर फोकस करती हूँ कि बिजनेस में भले डाउन टाइम है पर हार नहीं मानना हैं वो कंटिन्यू करना है उसको कैसे ना कैसे हैंडल करना है और ट्रांसपेरेंसी और कम्यूनिकेशन जरूर रखना है अपनी टीम के साथ ताकि अगर कुछ भी डाउन टाइम आये तो वो भी सेम पेज पर हो।
एक बढ़ते एनिमेशन स्टूडियो को चलाते हुए आप अपने परिवार और दोस्तों के साथ टाइम मैनेजमेंट कैसे करती हैं?
इस प्रश्न का जवाब देते हुए कोमल कहती हैं कि, “सबसे जो महत्वपूर्ण चीज़ यहाँ पर आती है कि आप किस तरीके से अपने काम को प्राइवेटाइज करते लाइक कौन सा काम सबसे पहले प्रायोरिटी वाइज अर्जेन्ट है या इम्पोर्टेन्ट है तो मैं हमेशा उस चीज़ को बैलेंस आउट करके रखती हूँ। वो चाहे घर में हो या वो चाहे बिजनेस में, मुझे लगता है कि जिस टाइम पर जिस काम की अर्जेन्सी या इम्पोर्टेन्स ज्यादा है। उस समय पर फोकस करा जाए इसको मैं इस तरीके से कभी नहीं लेती हूँ कि एक ऑफिस का टाइम है कि इतने बजे से कितने तक आपको काम करना हो। फिर घर का समय क्योंकि बीइंग फाउंडर्स हमारे लिए ये चीज़ कभी भी होती नहीं है कि आप सिर्फ एक टाइम पर काम कर रहे हों और फिर एक टाइम पर आप बिल्कुल उसे कट आउट हो। हमें बिज़नेस पर कंटिन्यू काम करना रहता है तो मैं हमेशा इस चीज को बैलेंस आउट करती हूँ कि किस समय भी मेरी कहाँ पर ज्यादा जरूरत है।
उस समय पर मैं वहाँ पर अपनी प्रेजेंस रखूँ और उस समय पर उस चीज़ को पूरी तरीके से अपना 100% दो अगर मैं अपने बिज़नेस में हूँ और बिज़नेस को समय पर मेरी नीड है मैं वहाँ पर 100% भी हूँ और अगर ऐसी चीज़े हैं जहाँ पर मुझे फैमिली में अपना समय देने की नीड है तो मैं वहाँ पर हूँ ऑब्वियस्ली जब हम एक फाउंडर की तरह काम करते हैं तो हमारी प्रायोरिटी बिज़नेस भी होती होती है। कहीं न कहीं कुछ चीजें होती हैं जो हमें फैमिली के लिए थोड़ी सी स्किप करनी पड़ती है, पर वहाँ पर भी हम ट्राई करते हैं कि जहाँ पर भी हमें बिज़नेस से जब भी महीने में या तीन महीने में या क्वार्टर में या कभी भी हमें समय मिलता है तो हम उस तरीके से हमारी फैमिली या दूसरी जो भी पर्सनल चीजें हैं उस पर हम काम करते हैं तो मेरा पूरा फोकस इसी तरीके से रहा है आज तक।
ऐसी महिलाओं को आप क्या सलाह देंगी जो मेल डोमिनेटेड इंडस्ट्री में अपना खुद का बिजनेस शुरू करना चाहती हैं?
इसका जवाब देते हुए कोमल कहती हैं कि, “मेरे पास एक बात जो है कहने के लिए जैसे हम विमिन एम्पावरमेंट की बात करते हैं, तो मेरा मानना हमेशा ये है कि विमेन अपने आप में बहुत ही सशक्त हैं। मतलब शुरू से ही वो सशक्त हैं, बस उन्हें बेटर अपॉर्चुनिटी और ईक्वल अपॉर्चुनिटी की जरूरत है। अगर हम बोलते है कि वो मेल डॉमिनेंट इंडस्ट्री में कुछ कर रही हैं तो मुझे लगता है कि कही न कही वो उसके लिए एक अपॉर्चुनिटी है क्योंकि वो एक अलग से दिख सकती हैं। वो अलग से एक चमकता और सितारा बन सकती हैं।
उस इंडस्ट्री में सपोर्ट अगर हम देखे तो मेल्स ऑब्वियस्ली उस चीज़ में सपोर्ट के लिए आगे आएँगे जहाँ पर महिला अकेली उस चीज़ को चालू करना चाहती है या उस चीज़ को स्टार्ट करना चाहती है लेकिन महिला को वो हक मांगना या वो ऑपर्चुनिटी मांगने के लिए आगे आने के लिए जरूरत है। तो मेरी हमेशा यही सलाह रहती है कि आप जो भी कर रहे हो, फिर चाहे वो मेल डॉमिनेंट इंडस्ट्री हो या नहीं हो। ईक्वल अपॉर्चुनिटी के लिए हमें हमेशा फाइट बेक करते रहना चाहिए और हमें अपने आप पर जैसे कि पहले भी हमने कहा कि आत्मविश्वास, तो हमें अपने आप पर बिलीव रखते हुए इसको ओवर कम करते हुए जाना चाहिए तो मुझे लगता है हमें जरूर वहाँ पर सक्सेस मिलेगी।
अनुशासन, धैर्य और आत्मविश्वास ने आपको सफल होने में कैसे मदद की है? आप इन गुणों को मजबूत कैसे रखती हैं?
इसका जवाब देते हुए कोमल कहती है कि, “अगर वन बाइ वन इसको देखो जो सबसे पहले आता है अनुशासन, अनुशासन तो सबसे इम्पोर्टेन्ट चीज़ है अगर हमें सफल बनना है, जीवन में तो अनुशासन किसी भी चीज़ के लिए सबसे इम्पोर्टेन्ट समय पर किसी काम को चालू करना और उसे समय पर खत्म करना ये एक बहुत बड़ा रोल अदा करता है। क्योंकि अगर हम बिज़नेस में रहते हैं और हम किसी चीज़ को समय पर चालू नहीं कर रहे या उसको समय पर खत्म नहीं कर रहे हैं और उसको अनुशासित होकर नहीं चल रहा है तो आपका जो कॉम्पिटिटर है वो कही ना कहीं हमसे आगे बढ़ जाता और आप पीछे होने लगते हैं उससे क्योंकि आप अनुशासित नहीं हो तो इसी चीज़ को ध्यान में रखते हुए अनुशासन मतलब एक बहुत इम्पोर्टेन्ट चीज़ है। अपनी सफलता को बनाए रखने के लिए तो अनुशासित होना बहुत जरूरी है।
बिज़नेस में धैर्य आपको हमेशा चाहिए और एक फाउंडर होने के कारण मैंने हमेशा ये देखा है कि जब भी जैसा हमने पहले भी बात करी थी, टाउन टाइम आता है, वो कभी भी हमारे बिज़नेस में जैसी चीजें हम चाह रहे वैसे नहीं चलती है तो उस समय में हमें सिर्फ धैर्य बनाए रखना जरूरी होता है क्योंकि हमें उस समय पर सिर्फ टिके रहना महत्वपूर्ण होता है। हम नहीं चाहते उस समय कि हम कुछ ऐसा कर दें। कि जो हमारी सक्सेस को इफ़ेक्ट करे। अगर हम वहाँ पर धैर्य के साथ टिक जाते हैं अपने डाउन टाइम में तो वहीं हमारे लिए एक सफलता होती है और जो तीसरी चीज़ है। आत्मविश्वास, तो आत्मविश्वास तो सबसे महत्वपूर्ण चीज़ है क्योंकि बिना आत्मविश्वास के आप कुछ भी नहीं कर सकते। अगर आप यही सोच रहे होंगे कि हम ये चीज़ नहीं कर सकते हैं, खुद पर विश्वास ही नहीं रखोगे तो आप कितना भी अनुशासित हो या कितना भी आपके पास धैर्य हो वो चीज़ को आप अभी कर ही नहीं सकते। तो आत्मविश्वास तो सबसे पहली नींव है कि आप सबसे पहले अपने आप पर भरोसा रखें और फिर आपने इस काम को अनुशासित रूप से और धैर्य के साथ करिए।
उभरती महिला उद्यमियों के लिए बाधाओं को तोड़ने और सफल होने के बेहतरीन तरीके क्या हो सकते हैं?
इसका जवाब देते हुए कोमल कहती हैं कि, “जो महिला उद्यमी रहती है, सबसे पहला तो उन्होंने बैरियर जो क्रॉस किया होता है, जो अडचन उन्हें आती हैं वो यही कि महिला होकर उन्हें उद्यमिता करनी है क्योंकि आज कल तो हमारे पास इतने प्रावधान और इतनी सारी फैसिलिटीज हो चुकी है कि जहाँ पर महिला कहीं न कहीं आगे आ रही है और इस चीजों में पार्ट ले रही हैं। तो पहला बैरियर तो वो वैसे ही तोड़ चुकी हैं। पर अगर उन्हें और बेहतरीन तरीके से इन चीजों में सफल होना है तो उन्हें हमेशा अपने आप को प्रेजेंटेबल बनाने की नीड है वो जैसे कि हमने डिस्कस किया है कि वो भले ही मेल डॉमिनेंट इंडस्ट्री क्यों ना हो, सबसे पहली चीज़ कि वो कितना अपने आप को कितना प्रेजेंटेबल बनाती हैं कितना वो ईक्कली बोल पाती हैं और किसी भी चीज़ में वो डरती नहीं है कि इस पर्टिकुलर इंडस्ट्री में या किसी पर्टिकुलर एरिया में जो भी चैलेंजेस है वो उसको ओवर कम करने के लिए निरंटर प्रयास करती रहें।