सैयद असीफा, हैदराबाद की रहने वाली एक पेशेवर बॉडीबिल्डर हैं, जो इस समय मालदीव में आयोजित हो रही 15वीं विश्व बॉडीबिल्डिंग और फिजिक स्पोर्ट्स चैम्पियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व कर रही हैं। असीफा ने हर रोज़ सात घंटे का कठिन प्रशिक्षण और एक विशेष डाइट प्लान को अपनाते हुए अपने इस सपने को साकार करने के लिए कई चुनौतियों का सामना किया है।
सैयद असीफा की प्रेरणादायक कहानी: बॉडीबिल्डिंग में समाजिक बाधाओं को तोड़ते हुए सफलता की मिसाल
फिटनेस यात्रा की शुरुआत
असीफा को बचपन से ही तैराकी और घुड़सवारी जैसी खेल गतिविधियों का शौक था, लेकिन परिवार ने उन्हें पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित किया। शादी के बाद, उन्होंने बेटे के जन्म के बाद अपनी फिटनेस यात्रा को फिर से शुरू किया। उन्होंने सबसे पहले दौड़ना शुरू किया, जो एक सामान्य वज़न घटाने का प्रयास था। धीरे-धीरे यह उनकी जुनून बन गया।
उनके पति ने हमेशा उनके इस जुनून में उनका साथ दिया। असीफा ने साझा किया कि उनके पति ने उनके लिए अच्छे ब्रांड के जूते खरीदे ताकि वह अपने उच्च शिक्षा प्राप्त साथियों के बीच आत्म-सम्मान के साथ चल सकें।
गुप्त रूप से की गई मेहनत
असीफा ने अपने परिवार को बिना बताए कई वर्षों तक प्रशिक्षण लिया। मुस्लिम समुदाय में महिलाओं का जिम जाना या बॉडीबिल्डिंग करना अभी भी स्वीकार्य नहीं है, इसलिए असीफा ने यह सब गुप्त रूप से किया। वह अपने परिवार से दूर एक अलग डाइट फॉलो करती थीं। उन्होंने ईद पर भी अपनी डाइट को नहीं छोड़ा और अपने बॉडीबिल्डिंग के लक्ष्यों को हमेशा अपनी प्राथमिकता में रखा।
जब उनके पति को उनके बॉडीबिल्डिंग की जानकारी हुई, तो शुरुआत में उन्होंने विरोध किया, लेकिन बाद में जब उन्होंने उनकी उपलब्धियां देखीं और सहकर्मियों की सराहना सुनी, तो उन्होंने इस पर सहमति जताई और उनका समर्थन किया।
करियर, परिवार और खुद का संतुलन
असीफा ने न केवल बॉडीबिल्डिंग को अपनाया बल्कि वह एक मल्टीनेशनल कंपनी में एसोसिएट सेल्स मैनेजर के पद पर भी कार्यरत हैं। वह अपनी माँ, पत्नी और एक बॉडीबिल्डर के रूप में सभी जिम्मेदारियों को निभाते हुए अपने सपने को पूरा कर रही हैं।
उनका बेटा भी उनकी सबसे बड़ी प्रेरणा है, जो अपनी माँ पर गर्व करता है और स्कूल में अपने दोस्तों को उनकी उपलब्धियों के बारे में बताता है।
महिलाओं के फिटनेस पर समाज का दृष्टिकोण
असीफा का मानना है कि भारत में कई महिलाएं सामाजिक दबावों और पारिवारिक जिम्मेदारियों के चलते अपनी सेहत पर ध्यान नहीं दे पातीं। उन्होंने कहा कि अधिकतर महिलाएं खुद से पहले परिवार को प्राथमिकता देती हैं, जो उनकी सेहत के लिए हानिकारक है। असीफा का मानना है कि एक महिला का स्वस्थ और खुश रहना पूरे परिवार के लिए आवश्यक है।
सामाजिक बंधनों को तोड़ती प्रेरणा
असीफा ने न केवल फिटनेस के क्षेत्र में अपना नाम बनाया है बल्कि समाज के सोच को भी बदलने का प्रयास किया है। उन्होंने उन लोगों को दिखाया है कि एक महिला भी अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए समाज के बंधनों को तोड़ सकती है। फिटनेस उनके लिए न केवल शारीरिक स्वास्थ्य बल्कि मानसिक स्वास्थ्य और सशक्तिकरण का माध्यम बना है।
नतीजा
सैयद असीफा एक मिसाल हैं उन महिलाओं के लिए, जो अपने सपनों को सच करना चाहती हैं। उनकी कहानी से यह सिखने को मिलता है कि सही लगन और मेहनत से हर बाधा को पार किया जा सकता है। असीफा के संघर्ष और संकल्प ने साबित किया है कि अगर लक्ष्य स्पष्ट हो तो किसी भी समाजिक बाधा को पार करना मुश्किल नहीं होता।