जानिए The Diplomat को लेकर Sadia Khateeb ने क्या कहा और सिनेमा को लेकर उनके विचार

सादिया खतीब ने द डिप्लोमैट में अपनी भूमिका, अभिनय का उनके जीवन पर प्रभाव और सिनेमा में प्रतिनिधित्व के महत्व पर खुलकर बात की। जानें उनकी प्रेरणा और भविष्य की योजनाएं!

author-image
Vaishali Garg
New Update
Sadia Khateeb on The Diplomat

Sadia Khateeb on The Diplomat: भारतीय राजनीतिक थ्रिलर 'द डिप्लोमैट', जिसका निर्देशन शिवम नायर ने किया है, 14 मार्च को सिनेमाघरों में रिलीज़ हुई। यह फिल्म भारतीय नागरिक उज़मा अहमद की वास्तविक कहानी पर आधारित है, जिन्हें 2017 में पाकिस्तान में हनीट्रैप का शिकार बनाए जाने के बाद भारत वापस लाया गया था। इस फिल्म में सादिया खतीब ने उज़मा की चुनौतीपूर्ण भूमिका निभाई है। हाल ही में, SheThePeople से बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि उन्हें यह किरदार कैसे मिला, इसने उन पर कैसा प्रभाव डाला और उनकी अदाकारी को लेकर दर्शकों की प्रतिक्रिया ने उनके करियर को कैसे प्रभावित किया।

Advertisment

जानिए The Diplomat को लेकर Sadia Khateeb ने क्या कहा और सिनेमा को लेकर उनके विचार

‘द डिप्लोमैट’ में सादिया खतीब की एंट्री और इस भूमिका से उनके करियर में बदलाव

सादिया ने खुलासा किया कि 'द डिप्लोमैट' के लिए उन्हें कास्टिंग डायरेक्टर जोगी मलंग के जरिए ऑडिशन के बाद चुना गया। उन्होंने बताया, "ऑडिशन के दूसरे राउंड के बाद, जोगी मलंग सर ने मुझे देखा और कहा, ‘मैं तुम्हें सेट पर मिलूंगा।’ यही वो पल था जब मुझे एहसास हुआ कि मैं इस फिल्म का हिस्सा बनने जा रही हूँ।"

Advertisment

इस भूमिका को निभाने के लिए काफी भावनात्मक और मानसिक तैयारी की जरूरत थी। सादिया ने बताया कि उज़मा जैसे किरदार ने न केवल उन्हें एक बेहतर अभिनेत्री बल्कि एक मजबूत इंसान भी बनाया। "इस किरदार ने मुझे बहुत हिम्मत और आत्मविश्वास दिया है। इतनी गंभीरता, ईमानदारी और सूझबूझ वाले किरदार को निभाने से मैं न केवल पर्दे पर बल्कि असल ज़िंदगी में भी विकसित हुई हूँ।"

कैसे बदली लोगों की प्रतिक्रिया ने उनके करियर की दिशा?

दर्शकों से मिले जबरदस्त प्यार और तारीफों ने सादिया को नई प्रेरणा दी। उन्होंने साझा किया कि इससे पहले डेढ़ साल तक उनकी कोई फिल्म रिलीज़ नहीं हुई थी, जिससे उन्हें सेट पर वापस जाने की बेसब्री थी। लेकिन अब उनका नज़रिया बदल गया है।

Advertisment

"पहले मैं बस किसी भी फिल्म के सेट पर वापस जाना चाहती थी, लेकिन अब मैं ऐसे किरदार और फिल्में चुनना चाहती हूँ जो दमदार कहानी और मजबूत स्क्रिप्ट पर आधारित हों।"

एक्टिंग में आने की प्रेरणा और उनके शुरुआती दिन

सादिया के लिए एक्टिंग को करियर के रूप में चुनना आसान फैसला नहीं था, लेकिन विदु विनोद चोपड़ा के साथ उनकी पहली फिल्म ‘शिकारा’ (2020) ने उनके जीवन को बदल दिया। "मैं अब भी याद करती हूँ जब VC सर (विदु विनोद चोपड़ा) ने मुझे कास्ट किया और मेरे पापा को वीडियो कॉल पर समझाने लगे कि मैं एक अच्छी अभिनेत्री बन सकती हूँ। वह मेरे लिए एक निर्णायक क्षण था।"

Advertisment

उन्होंने बताया कि उस एक ऑडिशन से मिले विश्वास ने उन्हें यह सोचने पर मजबूर किया कि अगर इतनी सी मेहनत से इतना कुछ हासिल हो सकता है, तो और प्रयास करने से क्या-क्या नहीं हो सकता।

सिनेमा उनके लिए क्या मायने रखता है?

सादिया के अनुसार, सिनेमा सिर्फ एक कला नहीं बल्कि एक "थेरेपी" की तरह है।

Advertisment

"एक्टिंग आपको अंदर से साफ़ करती है। यह थेरेपी की तरह काम करती है। बचपन की कोई दबी हुई भावनाएं, संघर्ष, या कोई ऐसा अहसास जो अंदर कहीं छिपा होता है, वह सब पर्दे पर किसी किरदार को निभाने के दौरान बाहर आ जाता है।" उनका मानना है कि सिनेमा का असली जादू नाम, पैसा या शोहरत में नहीं, बल्कि अभिनय की उस गहराई में है जो आत्म-संतोष देती है।

फिल्मों में प्रतिनिधित्व और इसकी अहमियत

सिनेमा में सही प्रतिनिधित्व को लेकर सादिया का कहना है, "सिनेमा हमारे समाज का आईना होता है, और कभी-कभी सिनेमा जो दिखाता है, वही समाज अपनाने लगता है। इसलिए फिल्ममेकर्स और लेखकों की जिम्मेदारी बनती है कि वे जो भी दिखाएं, वह ईमानदारी से हो।"

Advertisment

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि खासतौर पर महिलाओं के प्रतिनिधित्व को लेकर सचेत रहने की जरूरत है। "जो हम पर्दे पर दिखाते हैं, वह ज़मीन से जुड़ा होना चाहिए, क्योंकि वही समाज को आगे बढ़ाने में मदद कर सकता है।"

कश्मीर में पली-बढ़ी होने के कारण उनकी परवरिश का उनकी एक्टिंग पर असर

सादिया खतीब ने बताया कि कश्मीर में पली-बढ़ी होने की वजह से उनकी सोच और नज़रिया अलग है।

Advertisment

"बड़े शहरों से दूर रहने की वजह से मैंने जीवन, रिश्तों और संघर्षों को अलग तरीके से देखा है। बॉम्बे में आने के बाद मुझे एक नया संसार देखने को मिला, लेकिन मेरे संस्कार और मेरे अनुभव मुझे ज़मीन से जोड़े रखते हैं।"

नई अभिनेत्रियों के लिए उनकी सलाह

जो युवा महिलाएं अभिनय में करियर बनाना चाहती हैं, लेकिन असफलता से डरती हैं, उनके लिए सादिया का संदेश है: "असफलता से मत डरो। जब तक आप कोशिश कर रहे हैं, आप असफल नहीं हैं। हार वही होती है जब आप कोशिश करना छोड़ देते हैं।"

उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि इंडस्ट्री में सही और गलत लोगों की पहचान करना बहुत ज़रूरी है। "अगर खुदा ने आपके दिल में कोई सपना डाला है, तो उसने उसे पूरा करने का रास्ता भी ज़रूर बनाया होगा। बस अपने आत्म-सम्मान से कोई समझौता मत करो।"

कौन-से कलाकार और किरदार उन्हें प्रेरित करते हैं?

सादिया केवल कलाकारों से नहीं, बल्कि उनके निभाए किरदारों से प्रेरणा लेती हैं।

"मुझे आलिया भट्ट का ‘हाईवे’ में किरदार और श्रीदेवी का ‘इंग्लिश विंग्लिश’ में निभाया गया रोल बेहद प्रेरणादायक लगता है। जब आप बचपन में ऐसी कहानियां देखते हैं, तो वे आपके भीतर एक अनकही शक्ति और साहस छोड़ जाती हैं।"

अब, सादिया खुद चाहती हैं कि वह भी इसी तरह से सशक्त किरदार निभाकर किसी और को प्रेरित कर सकें।

सादिया खतीब के लिए सिनेमा केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि आत्म-अभिव्यक्ति और समाज में बदलाव लाने का माध्यम है। उनकी यात्रा बताती है कि अगर जुनून सच्चा हो और मेहनत ईमानदारी से की जाए, तो सफलता की राह खुद-ब-खुद खुल जाती है।

The Diplomat Sadia Khateeb