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कोरोना महामारी के दौर में जब दुनिया ठहर-सी गई थी, तब मुंबई की एक मां-बेटी की जोड़ी ने अपनी किचन से एक ऐसा सपना बुना, जो आज हजारों फिटनेस-प्रेमियों के लिए हकीकत बन चुका है। टीना और सिमरन बापू ने मिलकर शुरू किया Paleoo Bakes एक ऐसा डेज़र्ट ब्रांड जो शुगर-फ्री, ग्लूटेन-फ्री और पूरी तरह से हेल्दी मिठाइयों के लिए जाना जाता है।
टीना जहां बचपन से पारंपरिक मिठाइयों की शौकीन रहीं, वहीं सिमरन ने न्यूट्रिशन में पोस्टग्रेजुएशन किया। दोनों की दुनियाएं अलग थीं, लेकिन हेल्दी खाने का सपना एक जैसा था।
मां-बेटी से बनीं Co-Founders: कैसे सिमरन और टीना बापू ने शुरू किया हेल्दी डेज़र्ट ब्रांड 'Paleoo Bakes'
पारंपरिक मिठाइयों से पोषण की ओर: Paleoo Bakes की शुरुआत
भारत में मिठाई का मतलब सिर्फ स्वाद नहीं, बल्कि जज़्बात होते हैं। हर त्यौहार, शादी या छोटी-सी जीत का जश्न एक मिठाई से ही तो पूरा होता है। लेकिन जैसे-जैसे डायबिटीज और लाइफस्टाइल डिजीज़ बढ़ीं, मिठाइयों को लेकर डर भी बढ़ा।
इसी चुनौती को एक अवसर में बदला सिमरन और टीना ने। सिमरन के न्यूट्रिशन नॉलेज और टीना की बेकिंग स्किल्स ने मिलकर Paleoo Bakes की शुरुआत की। उनका मकसद था स्वाद वही, सेहत नई।
Paleoo Bakes: जहां मिठाई भी है हेल्दी
Paleoo Bakes की खास बात यह है कि यहां की मिठाइयों में न तो रिफाइंड शुगर है, न ग्लूटेन, और न ही कोई कृत्रिम तत्व। फिर भी, इनका स्वाद ऐसा कि पारंपरिक मिठाइयों की याद आ जाए। यह ब्रांड उन लोगों के लिए खास है जो मिठाई खाना चाहते हैं लेकिन सेहत से समझौता नहीं करना चाहते।
मां-बेटी की जोड़ी: प्रोफेशनल और पर्सनल रिश्तों के बीच संतुलन
एक साथ बिज़नेस चलाना, और वो भी जब आपकी पार्टनर आपकी मां हो, आसान नहीं होता। सिमरन और टीना मानती हैं कि यह एक खूबसूरत चुनौती रही है। उन्होंने यह सीखा है कि कब प्रोफेशनल बनना है और कब सिर्फ मां-बेटी बनकर एक-दूसरे का साथ देना है।
उन्होंने नियम बना लिए हैं डिनर टेबल पर काम की बातें नहीं होंगी, और हर दिन कुछ वक्त ऐसा होगा जब सिर्फ परिवार और प्यार की बात होगी।
एक महिला-नेतृत्व वाली कंपनी के तौर पर चुनौतियां
भले ही महिलाएं रसोई संभालती हैं, लेकिन प्रोफेशनल फूड इंडस्ट्री आज भी पुरुष-प्रधान है। सिमरन बताती हैं कि कई बार उन्हें और उनकी मां को गंभीरता से नहीं लिया गया कभी निर्णयकर्ता पर सवाल, तो कभी तकनीकी मुद्दों में शक।
लेकिन इन सबने उन्हें कमजोर नहीं, बल्कि और मजबूत बनाया। आज Paleoo Bakes अपनी गुणवत्ता और विज़न के बल पर पहचान बना चुका है।
एक-दूसरे से क्या सीखा?
टीना कहती हैं, “सिमरन से मैंने आत्मविश्वास सीखा। वो जिस तरह अपने विचार रखती है, वो काबिले-तारीफ है।”
वहीं, सिमरन अपनी मां से धैर्य और निरंतरता सीखती हैं“बिज़नेस एक दिन में नहीं बनता, हर दिन का समर्पण मायने रखता है।”
अगर पहले दिन पर लौट सकें तो?
सिमरन कहती हैं, “हम खुद को यही सलाह देंगी कि सिर्फ प्रोडक्ट पर फोकस न करें, बल्कि पूरे बिज़नेस को समझें। मार्केटिंग, ब्रांडिंग, कस्टमर एजुकेशन ये सब भी उतने ही ज़रूरी हैं।”
Paleoo Bakes सिर्फ एक ब्रांड नहीं, बल्कि एक सोच है—जो बताता है कि स्वाद और सेहत साथ चल सकते हैं। यह मां-बेटी की कहानी हमें सिखाती है कि अगर इरादा पक्का हो, तो किचन से भी क्रांति शुरू हो सकती है।