Advertisment

तनीषा मुखर्जी ने कैसे उम्र के बंधनों को तोड़ा और खुद को एक नई पहचान दी?

बॉलीवुड से पर्दे उठाकर तनीषा मुखर्जी ने अपनी जीवन यात्रा की कहानी बयां की। उम्र के दबाव, समाज की अपेक्षाओं और आत्म-खोज की यात्रा पर चलते हुए तनीषा ने कैसे खुद को ढूंढा, जानिए इस दिलचस्प इंटरव्यू में।

author-image
Vaishali Garg
New Update
Tanisha Mukherjee

Tanisha Mukherjee Interview: क्या आप भी तनीषा मुखर्जी को सिर्फ निक्की के रूप में जानते हैं? अगर हां, तो तैयार हो जाइए एक नई तनीषा से मिलने के लिए। बॉलीवुड की चकाचौंध से दूर आज की तनीषा एक प्रेरणादायी महिला हैं, जिनकी कहानी आपको सोचने पर मजबूर कर देगी।

Advertisment

तनीषा मुखर्जी ने कैसे उम्र के बंधनों को तोड़ा और खुद को एक नई पहचान दी? 

30 की उम्र के बाद जीवन खत्म हो जाता है, ये मिथक है या सच्चाई? तनीषा मुखर्जी के जीवन ने इस सवाल पर एक नई रोशनी डाली। एक समय था जब वो भी इसी धारणा से जूझ रही थीं, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।

उम्र की परवाह नहीं, जुनून की

Advertisment

तनीषा ने Shethepeople को बताया कि उनके पिता के निधन के बाद और कुछ फिल्मों के असफल होने के बाद वो काफी निराश हो गई थीं। उस समय 30 की उम्र में समाज ने उन्हें ऐसा महसूस कराया कि उनकी जिंदगी खत्म हो गई है। शादी या किसी और काम करने का दबाव था। लेकिन एक दोस्त की बात ने उनकी जिंदगी बदल दी। दोस्त ने कहा, "तुम इतनी बड़ी नहीं हो, तुम्हारी पूरी जिंदगी अभी बाकी है।"

अपने अनुभव साझा करते हुए तनीषा ने बताया कि हमारे आस-पास ऐसे लोगों का होना जरूरी है जो हमें सपोर्ट करें और हमें एक नई दिशा दिखाएं। उन्होंने कहा, "कई बार हम खुद को अपनी आंखों से देखकर सही तस्वीर नहीं पाते, लेकिन दोस्तों की नजर से देखने पर हम अपने आप को बेहतर पाते हैं।"

उन्होंने बताया कि उन्होंने हमेशा समाज के बनाए नियमों को नहीं माना। उस समय की कई अभिनेत्रियां शादी करके बच्चे पैदा कर रही थीं, लेकिन तनीषा ने अपना रास्ता चुना। उन्होंने उम्र को कभी पैमाना नहीं बनाया। उनके अनुसार, हम जैसा सोचते हैं, वैसा ही बन जाते हैं। अगर आप खुद को बूढ़ा समझेंगे, तो आप बूढ़े हो जाएंगे।

Advertisment

शारीरिक ताकत और आत्मविश्वास

तनीषा ने बताया कि योग ने उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बनाया है। उन्होंने कहा, "सदगुरु जी ने कहा था कि हमारा शरीर एक फेरारी है, लेकिन हम इसे स्कूटर की तरह चलाते हैं।" ये बात उनकी जिंदगी में एक महत्वपूर्ण मोड़ बन गई।

लैंगिक भेदभाव का सामना

Advertisment

तनीषा ने बताया कि उन्हें भी कई बार अपने विचारों को मनवाने के लिए संघर्ष करना पड़ा है। मीटिंग्स में उनके विचारों को नजरअंदाज किया जाता था, लेकिन वही बात अगर कोई पुरुष कहता था तो उसे तवज्जो मिलती थी। उन्होंने कहा कि महिलाओं को अपनी आवाज उठाने के लिए ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है।

मां-बेटी का अनोखा रिश्ता

तनीषा ने अपनी मां तनूजा के साथ अपने रिश्ते के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा कि मां-बेटी का रिश्ता सिर्फ एक रिश्ता नहीं है, बल्कि एक आध्यात्मिक जुड़ाव भी है। उन्होंने बताया कि हमारी दादी हमारे गर्भ में हमारे बच्चे को भी ढोती हैं।

Advertisment

यह इंटरव्यू प्रिया प्रकाश द्वारा कवर किया गया है।

Advertisment