New Update
जब हमारे शरीर में ऑक्सीजन का स्तर 94 से नीचे आ जाए, तो होम आइसोलेशन में रहते हुए कोविड से ग्रसित लोगों को प्रोनिंग करने की सलाह दी जाती है। प्रोनिंग की यह स्थिति वेंटिलेशन में सुधार करती है और इससे मरीज की जान तक बचा सकती है।प्रोनिंग से पहले रखें इनका ध्यान
कोरोना की दूसरी लहर के चलते हालात अब पहले से भी बेकाबू हो चुके हैं। देशभर के अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी को लेकर हड़कंप मचा हुआ है। कोविड-19 मरीजों को अब ज्यादा ऑक्सीजन की जरूरत है, लेकिन ऑक्सीजन की कमी के चलते हर रोज न जाने कितने मरीज दम तोड़ रहे हैं। जिन मरीजों को सांस लेने में परेशानी हो रही है और जो घर में रहकर ही अपना इलाज कर रहे हैं, उनके लिए प्रोनिंग के तरीके हम आज आपको बताएंगे।
क्या है प्रोनिंग की प्रक्रिया? प्रोनिंग से पहले रखें इनका ध्यान
प्रोनिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें मरीज को सटीक और सुरक्षित गति से, पीठ के बल से पेट के बल लिटाया जाता है ताकि उनका मुंह नीचे की तरफ हो। यह सांस लेने में आराम और ऑक्सीकरण में सुधार करने के लिए मेडिकली प्रूव्ड है। यह उन covid-19 मरीजों के लिए सबसे ज्यादा लाभदायक है जिन्हें होम आइसोलेशन में रहते हुए, सांस लेने में दिक्कत आ रही है।
प्रोनिंग करने से पहले रखें निम्न बातों का ध्यान
• खाने के तुंरत बाद प्रोनिंग करने से बचें। खाने के लगभग 1 घंटे बाद आप इसे कर सकते हैं।
• इस प्रक्रिया को उतनी ही बार करें, जितना आपका शरीर मंजूरी दे। जबरदस्ती इस प्रोसेस को ना करें।
• इसे 16 घंटों तक रोजाना कई च्रकों में किया जा सकता है। आप उतना ही करें जितने में आप कंफर्टेबल हैं। इससे बहुत आराम मिलेगा।
• इस प्रक्रिया को करते समय घावों और चोट को ध्यान में रखें।
• दबाव क्षेत्रों को बदलने और आराम देने के लिए तकियों को अपनी इच्छानुसार एडजस्ट किया जा सकता है।
• प्रोनिंग पोजीशन करने के 48 घंटे के बाद भी दिक्कत हो रही है, तो डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
इन स्थितियों में प्रोनिंग को बिल्कुल न करें
• प्रेगनेंसी में महिला को प्रोनिंग करने से बचना चाहिए।
• गंभीर कार्डियक स्थिति में प्रोनिंग न करें।
• यदि स्पाइन से जुड़ी कोई परेशानी हो या फिर पेल्विक फ्रैक्चर हो, तो भी प्रोनिंग करने से नुकसान हो सकता है।
** उपरोक्त जानकारी स्वस्थ्य मंत्रालय द्वारा दी गई है। इस प्रक्रिया को करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह ज़रूर लें।