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क्या वाकई लड़कियां लड़कों से जल्दी mature हो जाती हैं?

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Swati Bundela
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विशेषज्ञों की मानें तो किशोर लड़कियां उनकी उम्र के लड़कों के मुकाबले जल्द ही मैच्योर हो जाती हैं। उनमें आत्म नियंत्रण, संयम, निर्णय लेने की क्षमता आदि लड़कों से अधिक होती है। क्या इसका मतलब यह है कि हम लड़कियों से ज्यादा काम करवाएं और हमारे लड़कों को कुछ भी ना सिखाएं?

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क्या वाकई लड़कियां जल्दी मैच्योर हो जाती है या मैच्योर होने के लिए उन पर दबाव डाला जाता है? पीरियड्स आ गए हैं, ब्रेस्ट्स डिवेलप हो रहे हैं, अब तो बड़ी हो गई हो। इसके बाद एक लड़की कैसे बैठती है? क्या खाती है? क्या कपड़े पहनती है? इन सभी चीजों पर नियंत्रण रखा जाता है और प्रतिबंध भी लगाया जाता है।

क्या वाकई में यह कॉन्प्लीमेंट है? क्या यह कहकर लड़कियों पर अधिक जिम्मेदारियों का बोझ डाला जाता है? उन्हें पुरुषों द्वारा किए गए कामों के लिए भी जिम्मेदार माना जाता है। अपने इनर सेल्फ को पहचानो और खुल के जिंदगी जीना सीखो।
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ईमानदार / ऑनेस्ट बनिए लड़कियां लड़कों से जल्दी मैच्योर


जब हम छोटे होते हैं, तब हम बिना किसी डर के सब सच कह देते थे। लेकिन जैसे हम बड़े होते हैं, हमें सिखाया जाता है कि हमें कैसे चुप रहना है? कब नहीं बोलना है? क्या नहीं बोलना है? अगर दूसरों की हां में हां ही मिलाते रहोगे और खुद को क्या चाहिए नहीं बोलोगे, तो शायद आप वह जिंदगी नहीं जी पाएंगे जो आप जीना चाहते हैं।
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एक्सरसाइज या वर्कआउट करते वक्त ज्यादा न सोचें


आप जब भी एक्सरसाइज या वर्कआउट करते हैं और अलग-अलग पोजीशंस बनाते हैं, तब आप यही सोचते होंगे कि क्या कोई मेरी बट को देख रहा है या कोई मेरी
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बॉडी को देख रहा है? क्या कोई मुझे घूर रहा है? लोग औरतों को sexualize करते हैं परंतु उसका मतलब यह मतलब नहीं कि आप स्वयं को गलत समझे। तो खुलकर दौड़िए, नाचिए, जो मन चाहे करिए।

खुद की पुलिसिंग बंद करें

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अपने आप को हर छोटी-बड़ी बात पर जज करना बंद करिए। अगर आपको छोटे कपड़े पहनना पसंद है तो पहनिए, आपको सेक्स करना पसंद है तो करिए, अगर आप क्लीवेज दिखाना चाहती हैं, तो दिखाइए। यह सोचने की जरूरत नहीं है कि अगर मैं यह कपड़े पहनूंगी तो दूसरे क्या कहेंगे। अपने कपड़ों से मैं कोई गलत सिग्नल तो नहीं दे रही क्या? इस बात को समझे कि आप क्या कपड़े पहनती हैं उससे आपकी इनोसेंस डिसाइड नहीं होती और अगर आप सेक्शुअली एक्टिव है या नहीं इससे आपकी प्योरिटी डिसाइड नहीं होती।

दूसरों से बराबरी न करें लड़कियां लड़कों से जल्दी मैच्योर

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यदि घर पर कोई काम बताया जा रहा है, जैसे रोटी बनाना या दूसरों को पानी पिलाना आदि, ऐसे कामों के लिए मना नहीं करना चाहिए। यह नहीं सोचना चाहिए कि यह काम सिर्फ मैं ही कर रही हूं और मेरा भाई नहीं। क्योंकि आप जितनी लाइफ स्किल्स सीख सकती हैं, उतनी सीखिए। दूसरों से बराबरी ना करिए और खुद के लिए सीखिए। कोई भी सीखी हुई चीज वेस्ट नहीं जाती।

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अथॉरिटी पर सवाल उठाओ


जब भी कोई आपसे कहे कि यह काम तो ऐसे ही होता है या यह तो लड़कियों को ही करना पड़ता है। तो उनसे पूछो कि क्यों? सवाल करना या गलत के खिलाफ आवाज उठाना सीखो। Patriarchy हो या स्टीरियोटाइप, उन सब गलत चीजों के खिलाफ आवाज उठाओ, जो आपको एक बेहतर जिंदगी जीने से रोकती है।

 
#फेमिनिज्म सोसाइटी रिलेशनशिप
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