Law and her: जाने ऐसे कौनसे रीप्रॉडक्शन राइट्स हैं जो महिलाओं के लिए ज़रूरी हैं

सभी को अपने शरीर पर अधिकार होता है, पर शादी के बाद जब बच्चे पैदा करने की बात आती है, तो घर वालों को लगता है कि वे अपनी मर्ज़ी महिलाओं पर चला सकते हैं। लेकिन रिप्रोडक्शन के मामले में कुछ ऐसे अधिकार होते हैं जो महिलाओं को स्वतंत्र बनाते हैं।

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Anjali Mishra
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Women laws

Women laws Photograph: (Freepik)

Know the rights about reproduction for women: महिलाओं के रीप्रॉडक्शन राइट्स न केवल उनके बॉडी पर उनके खुद के कंट्रोल का प्रतीक हैं, बल्कि ये उनके जीवन की क्वालिटी, हैल्थ, फ्रीडम और सम्मान के लिए भी बहुत ज़रूरी हैं। ये राइट्स महिलाओं को यह तय करने की आज़ादी देते हैं कि वे कब और कितने बच्चों को जन्म देना चाहती हैं, कंट्रासेप्टिव का इस्तेमाल करना चाहती हैं या नहीं, और सेफ एबॉर्शन चाहती हैं या नहीं। इन राइट्स में सेक्स एजुकेशन, हैल्थ बेनिफिट्स तक पहुंच, और जबरन नसबंदी या शादी जैसे ज़बरदस्ती थोपे गए निर्णयों से सुरक्षा भी शामिल है।

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जाने क्या हैं महिलाओं के रीप्रॉडक्शन राइट्स

आज भी दुनिया के कई हिस्सों में महिलाओं को इन अधिकारों से दूर रखा जाता है, जिससे न केवल उनका स्वास्थ्य खतरे में पड़ता है, बल्कि उनके आत्मसम्मान और इंडिपेंडेंट डिसीजन लेने की क्षमता पर भी असर पड़ता है। ऐसे में महिलाओं के रीप्रॉडक्शन राइट्स को समझना और उनका सम्मान करना एक बेहतर समाज की ओर कदम होगा।

1. स्वस्थ सेवाओं का अधिकार 

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महिलाओं को प्रेग्नेंसी और पीरियड्स सहित सभी रिप्रोडक्टिव हैल्थ से जुड़ी सेवाओं तक अच्छी और सेफ पहुंच मिलनी चाहिए। इसमें ट्रेंड डॉक्टर की मदद, पोषण, जांच, और इमर्जेंसी सेवाएं शामिल हैं। 

2. कंट्रासेप्टिव चुनने का अधिकार

हर महिला को यह अधिकार है कि वह किस प्रकार का कंट्रासेप्टिव चुनना चाहती है चाहे वह कंडोम, गोलियां, ( कॉपर-टी या कोई और हो। यह डिसीजन पूरी तरह उसकी मर्जी और जानकारी पर होना चाहिए, किसी दबाव या मजबूरी पर नहीं।

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3. सेफ एबॉर्शन 

महिलाओं को यह डिसीजन लेने का अधिकार होना चाहिए कि वे पेट में बच्चा रखें या नहीं। अगर वे एबॉर्शन चाहती हैं, तो उन्हें यह सुविधा सेफ, लीगल और बिना किसी सोशल डिस्ट्रेस के मिलना चाहिए। ये न केवल उनके शरीर का मामला है, बल्कि उनके मानसिक और सामाजिक स्वास्थ्य का भी सवाल है।

4. लीगल सपोर्ट 

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महिलाओं को इन राइट्स को बचाने के लिए मजबूत कानूनों की जरूरत होती है। इंडिया में MTP (मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंट एक्ट) एबॉर्शन को लीगल रूप देता है। इसी तरह डोमेस्टिक वायलेंस और सेक्सुअल हैरासमेंट जैसे मामलों में भी कानून उनकी रक्षा करते हैं।

5. कॉन्फिडेंशियल डीटेल्स 

महिलाओं के रीप्रॉडक्शन से जुड़े डिसीजन, मेडिकल रिपोर्ट्स, और ट्रीटमेंट पूरी तरह सीक्रेट रखे जाने चाहिए जब तक महिला खुद किसी को न बता दे तब तक किसी को भी अधिकार नहीं की वे इसे बाहर लाएं। इसके साथ ही उनके फैसलों का समाज, परिवार और मेडिकल स्टाफ द्वारा सम्मान किया जाना चाहिए, भले ही वे ट्रेडिशनल सोच के खिलाफ क्यों न हो। 

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