Women Rights: जानिए महिलाओं के लिए हैं कौन से और कैसे राइट्स

महिलाएं समाज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। प्राचीन काल से लेकर आधुनिक युग तक महिलाओं ने जीवन के हर क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। फिर भी उन्हें बराबरी और सम्मान के लिए लंबा संघर्ष करना पड़ा है।

author-image
Sanya Pushkar
New Update
legal rights of women

Womens Rights Know What Rights Women Have and How They Work: Cमहिलाओं को उनके अधिकार देना न केवल सामाजिक न्याय है बल्कि यह देश के विकास के लिए भी आवश्यक है। आज के समय में महिलाओं को कई प्रकार के संवैधानिक और कानूनी अधिकार प्राप्त हैं जो उन्हें सशक्त और सुरक्षित बनाने का कार्य करते हैं।

Advertisment

जानिए महिलाओं के लिए हैं कौन से और कैसे राइट्स

1. समानता का अधिकार 

भारत का संविधान महिलाओं को पुरुषों के बराबर अधिकार देता है ताकि वे किसी भी क्षेत्र में बिना भेदभाव के आगे बढ़ सकें। अनुच्छेद चौदह के तहत सभी नागरिकों को कानून के समक्ष समानता का अधिकार प्राप्त है और अनुच्छेद पंद्रह यह स्पष्ट करता है कि राज्य किसी नागरिक के साथ धर्म जाति लिंग जन्म स्थान आदि के आधार पर भेदभाव नहीं करेगा। यह अधिकार महिलाओं को समाज में बराबरी का दर्जा दिलाने में मदद करता है। चाहे वह शिक्षा हो नौकरी हो या संपत्ति का अधिकार महिलाएं हर क्षेत्र में पुरुषों के बराबर हैं। लेकिन यह जरूरी है कि समाज में भी इस समानता की भावना को व्यवहार में लाया जाए जिससे महिलाओं को सच्चा सम्मान और अवसर मिल सके।

Advertisment

2. शिक्षा का अधिकार 

शिक्षा हर व्यक्ति का मूलभूत अधिकार है और यह महिलाओं के लिए विशेष रूप से आवश्यक है क्योंकि शिक्षित महिला न केवल अपना बल्कि पूरे परिवार का भविष्य संवार सकती है। भारत सरकार ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम दो हज़ार नौ के अंतर्गतछह से चौदह वर्ष की उम्र के बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा प्रदान की है जिसमें लड़कियाँ भी शामिल हैं। इसके अलावा बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय जैसी योजनाएं लड़कियों को शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करती हैं। पढ़ी-लिखी महिला अपने अधिकारों को बेहतर समझ सकती है निर्णय लेने में सक्षम होती है और आत्मनिर्भर बनती है। शिक्षा के माध्यम से महिलाओं को न केवल ज्ञान बल्कि आत्मविश्वास भी प्राप्त होता है।

3. रोजगार और समान वेतन का अधिकार

Advertisment

काम करने की स्वतंत्रता और उसमें बराबरी से अवसर मिलना महिलाओं के आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए बेहद ज़रूरी है। भारत में समान पारिश्रमिक अधिनियम उन्नीस सौ छिहत्तर के तहत यह सुनिश्चित किया गया है कि महिलाओं को पुरुषों के समान कार्य के लिए समान वेतन मिलना चाहिए। यह कानून महिलाओं को काम के क्षेत्र में भेदभाव से बचाता है। आज महिलाएं शिक्षा विज्ञान खेल प्रशासन और रक्षा जैसे क्षेत्रों में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही हैं। लेकिन अभी भी कई जगहों पर लैंगिक असमानता देखने को मिलती है। 

4. घरेलू हिंसा से सुरक्षा

भारत में अनेक महिलाएं आज भी घरेलू हिंसा की शिकार होती हैं चाहे वह शारीरिक हो मानसिक हो आर्थिक हो या मौखिक। कई बार महिलाएं डर या सामाजिक बदनामी के कारण इस पर चुप रहती हैं। इस समस्या को देखते हुए सरकार ने घरेलू हिंसा से संरक्षण अधिनियम दो हज़ार पाँच लागू किया जिसके अंतर्गत महिलाएं कानूनी रूप से अपने पति या किसी भी रिश्तेदार के द्वारा की गई हिंसा के खिलाफ शिकायत दर्ज कर सकती हैं। इस कानून के तहत पीड़ित महिला को आश्रय सुरक्षा आदेश मानसिक सहायता और आर्थिक सहायता दी जा सकती है। यह कानून विवाहित अविवाहित विधवा या लिव इन रिलेशन में रहने वाली सभी महिलाओं पर लागू होता है।

Advertisment

5. मातृत्व लाभ का अधिकार

कामकाजी महिलाओं के लिए गर्भावस्था और मातृत्व का समय विशेष देखभाल का होता है। इसलिए भारत सरकार ने मातृत्व लाभ अधिनियम उन्नीस सौ इकसठ लागू किया जिसके अंतर्गत कामकाजी महिलाओं को छब्बीस सप्ताह का सवेतन अवकाश दिया जाता है। इस दौरान महिला कर्मचारी को वेतन नौकरी की सुरक्षा और चिकित्सा सुविधा मिलती है। यह कानून निजी और सार्वजनिक दोनों क्षेत्रों में लागू होता है। इसके अलावा यह भी सुनिश्चित करता है कि मातृत्व के दौरान महिला को नौकरी से न निकाला जाए और उसे किसी प्रकार की आर्थिक हानि न हो।

rights women