New Update
महिलाओं के लिए श्रम बाल में जुड़ने और बराबरी का मौका पाने हेतु यह प्रगतिशील निर्णय लिया गया है| सरकार चाहती है कि देश के सभी प्रदेश अपने श्रम क़ानून में परिवर्तन लाए जिससे महिलाओं को रात की शिफ्ट में भी फॅक्टरीस में सुरक्षित रूप से काम करने का अवसर मिले| श्रम एवं रोज़गार मंत्रालय द्वारा यह पत्र सभी प्रमुख सचिवों को भेजा गया, जिसके अंतर्गत 'फॅक्टरीस आक्ट 1948' में यह सुझाव हमारी बदली हुए 'सामाजिक-आर्थिक स्थिति' और 'बदलते समय' को देखते हुए किया गया| यह पत्र कहता है कि महिलायें आधी जनसंख्या बनाती हैं, और उन्हे नाइट शिफ्ट में काम ना करने देना उनके और देश की अर्थव्यवस्था के साथ नाइंसाफी होगी| पत्र में यह भी कहा गया कि इस परिवर्तन के चलते महिलाओं की सुरक्षा का भी ध्यान रखा जाना चाहिए|
नयी लेबर लॉस से महीलाओं की सेफ्टी बेहेतर करने का प्लान
यह 'फॅक्टरीस अमेंडमेंट बिल', जो महिलाओं को रात में काम करने के साथ कई और प्रकार की आज़ादियान देता है, पिछले 2 वर्ष से पास होने की प्रक्रिया में है| इसके चलते केंद्रीय सरकार ने प्रदेश सरकारों से अपने स्तर पर बदलाव लाने का अनुरोध किया है|
रितुपरणा चटर्जी, तीमलीस सर्वीसज़ की सीनियर वाइस प्रेसीडेंट ने मिंट से कहा," केंद्रीय क़ानून काफ़ी समय से अनिर्णीत चल रहा है, इसी लिए आवश्यक है के प्रदेश इस मामले में कुच्छ पहल करें| यह माँग उद्योग से काफ़ी समय से चली आ रही है, और अगर केंद्र नहीं, तो प्रदेश सरकार को इस बारे में कुच्छ करना चाहिए|"
इस समय महिलाओं को फॅक्टरीस में सिर्फ़ सुबफ़ 6 से शाम 7 बजे तक काम करने की 'अनुमति' है, जिसके चलते इस क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी मात्र एक- चौथाई है| यदि यह बदलाव कामयाबी से लागू हो पाता है, महिलाओं के इस आँकड़े में बहुत तेज़ी से वृत्ति की अपेक्षा की जेया सकती है|