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एक तरफ जहां पूरा देश अभी भी पुलवामा आतंकी हमले पर क्रोध जता रहा है, वहां दूसरी तरफ लोग मदद के लिए भी बढ़-चढ़कर हाथ बटा रहें हैं। इसी श्रेणी में बिहार की एक महिला आईएएस अधिकारी भी हैं। वे बिहार के शेखपुरा जिले की जिला अधिकारी हैं। 14 फरवरी को हुए आतंकी हमले में करीब 40 सीआरपीएफ जवानों ने अपनी जान गवा दी। इनायत खान ने लोगों के लिए एक उदाहरण रच दिया है। उन्होंने फैसला किया है कि वे दो शहीद सीआरपीएफ जवानों की बेटियों को गोद लेंगी। खान बिहार कैडर 2012 बैच की आईएएस अधिकारी हैं।
सूत्रों ने यह बताया है कि वे आजीवन उन दो बेटियों की शिक्षा की ज़िम्मेदारी लेंगी। इसके साथ-साथ वे उनके अन्य खर्चे भी स्वयं उठाएंगी। जिन सीआरपीएफ जवानों की बेटियों को उन्होंने गोद लिया है, उनका नाम रतन कुमार ठाकुर और संजय कुमार सिन्हा है। यह दोनों जवान बिहार के भागलपुर और पटना जिले के निवासी थे। इनायत खान के द्वारा लिया गया यह निर्णय काफी सराहनीय और प्रेरणादायक है।
उन्होंने एएनआई को बताया कि अधिकारीयों को यह आदेश दिया गया है कि वह दोनों पीड़ितों के परिवार के लिए एक खता खोलें जिसके जरिये दोनों परिवारों के लिए धन एकत्रित किया जायेगा। जो भी धनराशी 10 मार्च तक जमा हो जाएगी, उसे दोनों परिवारों के बीच आधा-आधा कर दिया जाएगा।
इतना ही नहीं, उन्होंने सारे सरकारी कर्मचारियों से यह निवेदन किया है कि वे अपने एक-एक दिन का वेतन उन दो शहीद लोगों के परिवार को दें और उनकी मदद करें।
आपके प्रयास प्रशंसनीय हैं, इनायत!
सूत्रों ने यह बताया है कि वे आजीवन उन दो बेटियों की शिक्षा की ज़िम्मेदारी लेंगी। इसके साथ-साथ वे उनके अन्य खर्चे भी स्वयं उठाएंगी। जिन सीआरपीएफ जवानों की बेटियों को उन्होंने गोद लिया है, उनका नाम रतन कुमार ठाकुर और संजय कुमार सिन्हा है। यह दोनों जवान बिहार के भागलपुर और पटना जिले के निवासी थे। इनायत खान के द्वारा लिया गया यह निर्णय काफी सराहनीय और प्रेरणादायक है।
"मैं लोगों से यह अपील करना चाहती हूँ कि वे जितना योगदान दे सकतें हैं उतना जरूर दें, ताकि हम उन परिवारों के साथ खड़े हो सकें जिन्हे हमारी इस वक़्त ज़रूरत है"। - इनायत खान
उन्होंने एएनआई को बताया कि अधिकारीयों को यह आदेश दिया गया है कि वह दोनों पीड़ितों के परिवार के लिए एक खता खोलें जिसके जरिये दोनों परिवारों के लिए धन एकत्रित किया जायेगा। जो भी धनराशी 10 मार्च तक जमा हो जाएगी, उसे दोनों परिवारों के बीच आधा-आधा कर दिया जाएगा।
इनायत खान ने अपने दो दिनों का वेतन शहीद सीआरपीएफ जवानों के परिवारों को देने का कदम उठाया है।
इतना ही नहीं, उन्होंने सारे सरकारी कर्मचारियों से यह निवेदन किया है कि वे अपने एक-एक दिन का वेतन उन दो शहीद लोगों के परिवार को दें और उनकी मदद करें।
आपके प्रयास प्रशंसनीय हैं, इनायत!