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मिलिए "नो कास्ट, नो रिलिजन" का प्रमाण पत्र पाने वाली पहली भारतीय महिला से

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Swati Bundela
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स्नेहा पर्तिबराजा तमिल नाडु की एक वकील हैं। वे आधिकारिक तौर पर "नो कास्ट, नो रिलिजन" का प्रमाण पत्र पाने वाली भारत की पहली महिला हैं। 35 वर्षीय स्नेहा को यह प्रमाण पत्र पाने में 9 वर्षों का समय लगा और उन्हें इसकी प्राप्ति इस वर्ष 5 फरवरी को तहसीलदार टी एस साथियामूर्ति के द्वारा हुई।

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शीदपीपल से बात करते हुए स्नेहा ने बताया कि लोग जातिवाद के लिए हज़ारों वर्षों से लड़ रहे हैं। इसके मुकाबले उनका 9 वर्षों का संघर्ष कुछ नहीं है।



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इस विचार का उदय कहां से हुआ?



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स्नेहा ने बताया कि उनका जन्म ऐसे परिवार में हुआ है जो जातिवाद, आदि को बिलकुल नहीं मानता। उनके माता-पिता हमेशा आवेदन पत्रों में जाति और धर्म का स्थान खाली छोड़ देते थे। इसके साथ-साथ वे स्वयं भी आधिकारिक तौर पर यह प्रमाण पत्र पाना चाहती थीं। उन्हें लगता है कि इस "नो कास्ट, नो रिलिजन" का प्रमाण पत्र पाना एक काफी क्रन्तिकारी कदम है। साथ ही वे इससे जुडी किसी भी हानि को नहीं देखतीं।





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"हालांकि अब आप किसी भी सरकारी योजना, आरक्षण, छात्रवृत्ति, आदि का लाभ नहीं उठा सकते, लेकिन मैं इसे किसी हानि की तरह नहीं देखती । लोगों को इस अनुक्रम से बाहर आना चाहिए और उन लोगों के लिए काम करना चाहिए जो दबे हुए हैं"।



उनकी प्रेरणा

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स्नेहा ने कार्ल मार्क्स, पेरियार इ वी रामासामी, और आंबेडकर को अपना प्रेरक बताया।



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स्नेहा ने कहा कि वे पहले से ज्यादा जिम्मेदार और प्रेरणादायक महसूस करती हैं। उनके अनुसार यह सिर्फ शुरुआत है और अभी भी हम सभी को एक लम्बा रास्ता तय करना है। लोगों को साथ आकर देश से जातिवाद को हटाने के प्रयास करने चाहिए।



उन्होंने बताया कि यह लड़ाई उन्होंने वर्ष 2010 में शुरू की लेकिन उनकी सारी कोशिशें नाकाम रहीं। उन्होंने अपना आखिरी आवेदन पत्र वर्ष 2017 में मई के माह में भरा था। सरकारी अफसर उनके आवेदन को किसी कारण के चलते हमेशा अस्वीकार कर दिया करते थे।
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उप-कलेक्टर, प्रियंका पंकजम ने यह नहीं बताया कि किस कानून के अंतर्गत स्नेहा की मांग स्वीकार की गयी। लेकिन उन्होंने यह बताया कि स्नेहा वह प्रमाण पत्र जरूर चाहती थीं। इसके लिए उन्हें स्नेहा के सारे दस्तावेज़ टटोलने पड़े, ताकि वे यह देख सकें कि उनके द्वारा किये गए दावे सच हैं या नहीं। उसके बाद यह पता चला कि स्नेहा के सारे दस्तावेज़ों में जाति और धर्म का स्थान खाली था। इसलिए अफसरों ने आगे बढ़कर कदम उठाया और उन्हें यह प्रमाण पत्र दिया।



जानी-मानी हस्ती, कमल हसन ने स्नेहा को ट्विटर पर बधाई दी है।
इंस्पिरेशन #आरक्षण #कार्ल मार्क्स #जातिवाद #पेरियार इ वी रामासामी #स्नेहा पर्तिबराजा
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