Advertisment

मिलिए भारत की पहली ट्रांसजेंडर डिलीवरी एजेंट प्रीतिशा से

author-image
Swati Bundela
New Update
प्यार और अपनापन वह है जिसके लिए एलजीबीटीक्यूआई समुदाय के लोग काफी लंबे समय से एक बहुत लम्बी लड़ाई लड़ रहे है । यहां तक ​​कि 21 वीं सदी में भी यह एक कठिन कार्य है, जिसमें कई भेदभाव, उपहास और इस समुदाय के लोगो को बहुत कुछ सहना पड़ता है और  यहां तक ​​कि उनकी सुरक्षा के लिए भी खतरा है। लेकिन 31 वर्षीय प्रीतिशा ने इस अन्याय के खिलाफ बहुत बड़ी लड़ाई लड़ी है।

Advertisment

तमिलनाडु के तिरुनेलवेली में एक लड़के के रूप में जन्मी प्रीतिशा को 14 साल की उम्र से ही उसमे हो रहे बदलावों के बारे में पता था । उसे कभी भी बाकी लड़कों की तरह गीत और नृत्य कभी अच्छे नहीं लगे । जो उसके समुदाय से सबसे अधिक उम्मीद करता है।



अपने समुदाय की मदद से, प्रीतिशा लिंग परिवर्तन करवाने के लिए पुणे चली गई। उसका परिवार इस सब के लिए तैयार नहीं था। फिर वह दिल्ली चली गई और वहां उसने थिएटर करना शुरू कर दिया और कुछ शो में अभिनय और गाना गाकर कुछ पैसे कमाए। लेकिन वह अपने फैसले से खुश नहीं थी और अंततः चेन्नई जाने का फैसला किया। यहीं से वह एक एक्टिंग स्कूल - थिएटर लैब में भी शामिल हुईं , जहाँ उन्होंने स्टेज पर और बड़े परदे पर आने के अपने सपनों को पूरा करने का संकल्प लिया। अपने द्वारा प्राप्त ज्ञान और अनुभव के माध्यम से, प्रीतिशा ने कई तमिल फिल्मों जैसे कि पांभु सत्तई, वीराययन, और वेल्लई यानाई में भूमिकाएं निभाईं। उन्होंने कुछ शार्ट फिल्मों में भी काम किया है।



हालांक, अभिनय से उन्हें कोई पक्की या फिक्स्ड इनकम नहीं थी । फिर उसने एक फ़ूड डिलीवरी कंपनी में अप्लाई किया, जहां उन्हें साफ़ मन कर दिया गया। आखिरकार, उबर ईट्स ने उसे जॉब के लिए हायर किया और प्रीतिशा को कंपनी में काम करने में बहुत मज़ा आया। उनका मानना ​​है कि हर संगठन को ट्रांसजेंडर कर्मचारियों को एक समान और उचित मौका देना चाहिए।
इंस्पिरेशन
Advertisment