New Update
चेन्नई की रेशमा नीलोफर नहा दुनिया की पहली महिला रिवर पायलट बनने के लिए तैयार हैं। छह महीने के अंदर, वे जहाज़ों को समुद्र से लेकर कोलकाता पोर्ट तक लेकर जाएंगी। यह रास्ता करीब 223 किलोमीटर का होगा। हाल के दिनों में वे अपने ट्रेनिंग के दिनों को जी रही हैं। रिवर पायलट का काम काफी महत्वपूर्ण होता है क्योंकि उनके पास नदियों का ज्ञान होता है और वे जहाज़ों को तट तक पहुंचा सकते हैं। रेशमा के जीवन की यह कुछ महत्वपूर्ण बातें हैं।
नहा ने मरीन टेक्नोलॉजी में बिरला इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी, रांची से बीई किया है। इसके साथ-साथ उन्हें नॉटिकल साइंस में भी उपलब्धि प्राप्त है।
नहा के पास समुद्र में एक कैडेट की तरह एक साल का अनुभव है। उन्होंने एएमईटी का एक प्रचार देखा जिसके बाद उन्हें यह एहसास हुआ कि मेरीटाइम इंडस्ट्री उनके लिए एक अच्छा मंच है।
उन्होंने कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट ज्वाइन करने से पहले मैरस्क लाइन के साथ सेल किया है। इस कंपनी के पास दुनिया के सबसे बड़े कंटेनर जहाज़ हैं। उनको सबसे ज्यादा प्रेरणा अपने माता-पिता, भाई-बहन, और दोस्तों से मिली है।
वे कभी भी कोई पारम्परिक पेशा नहीं चाहती थीं। इसी कारण उन्होंने इस पेशे को चुना। इसके साथ ही, वे अपने जीवन के हर दिन को एक चुनौती की तरह जीना चाहती हैं।
उन्होंने तीसरे ग्रेड का पहला एग्जाम पास कर लिया है और अब वे अगले छह महीनों में एक तीसरे ग्रेड की पायलट बन के उभरेंगी।
नहा को लेखन काफी पसंद है। वे अपने आप को एक फोटोग्राफर भी कहती हैं और सोशल मीडिया का भी काफी इस्तमाल करती हैं।
नहा पहले छोटे जहाज़ों का चालन करेंगी और उसके बाद वे दूसरे और पहले ग्रेड की पायलट भी बन जाएंगी।
नहा ने मरीन टेक्नोलॉजी में बिरला इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी, रांची से बीई किया है। इसके साथ-साथ उन्हें नॉटिकल साइंस में भी उपलब्धि प्राप्त है।
नहा के पास समुद्र में एक कैडेट की तरह एक साल का अनुभव है। उन्होंने एएमईटी का एक प्रचार देखा जिसके बाद उन्हें यह एहसास हुआ कि मेरीटाइम इंडस्ट्री उनके लिए एक अच्छा मंच है।
उन्होंने कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट ज्वाइन करने से पहले मैरस्क लाइन के साथ सेल किया है। इस कंपनी के पास दुनिया के सबसे बड़े कंटेनर जहाज़ हैं। उनको सबसे ज्यादा प्रेरणा अपने माता-पिता, भाई-बहन, और दोस्तों से मिली है।
"कौन यह कह रहा है कि यह पेशे पुरुष-प्रधान हैं या यह नहीं हैं? जब तक हम पुरुषों को किसी क्षेत्र में हावी नहीं होने देंगे, तब तक कुछ भी पुरुष-प्रधान नहीं है।" - रेशमा नीलोफर नहा
वे कभी भी कोई पारम्परिक पेशा नहीं चाहती थीं। इसी कारण उन्होंने इस पेशे को चुना। इसके साथ ही, वे अपने जीवन के हर दिन को एक चुनौती की तरह जीना चाहती हैं।
उन्होंने तीसरे ग्रेड का पहला एग्जाम पास कर लिया है और अब वे अगले छह महीनों में एक तीसरे ग्रेड की पायलट बन के उभरेंगी।
नहा को लेखन काफी पसंद है। वे अपने आप को एक फोटोग्राफर भी कहती हैं और सोशल मीडिया का भी काफी इस्तमाल करती हैं।
नहा पहले छोटे जहाज़ों का चालन करेंगी और उसके बाद वे दूसरे और पहले ग्रेड की पायलट भी बन जाएंगी।