2018 में नासकॉम की पहली महिला अध्यक्ष होंगी देबजानी घोष

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Swati Bundela
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वह इस बात में बहुत विश्वास रखती है कि सपने अवश्य सच होते हैं परन्तु केवल तब जब आप उनमें विश्वास रखते हैं और उन्हें पूरा करने के लिए मेहनत करते हैं. नैसकॉम १९८८ में पहली बार शुरू हुआ था और उन्होंने पहली बार एक महिला को एक ऐसे पालिसी और इंडस्ट्री फोरम में हिस्सा लेने के लिए चुना है जो टेक्नोलॉजी पर आधारित है.

"ये औद्योगिक और डिजिटल क्रांति के मामले में भारत के लिए रोमांचक समय है. मुझे इस अवसर को स्वीकार करने के लिए विशेषाधिकार और सम्मानित महसूस होता है"



देबजानी दुनिया के सबसे नवीन देश के रूप में उभरते भारत का सपने देखती हैं, और एक ऐसे देश का सपना भी जहां महिलाओं को पूर्ण प्रतिनिधित्व मिलता है.
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यदि आप अपने सपनों का जीवन जीते हैं तो यह आपके लिए जीवन में सबसे बड़ा रोमांच का काम है 



देबजानी ने 1996 में इंटेल के साथ शुरुआत की और कंपनी के साथ 21 साल के करियर में कई नेतृत्व की भूमिका निभाई। वे वर्तमान में येस बैंक बोर्ड पर स्वतंत्र निदेशक के रूप में कार्य करती हैं और सिस्को की इंडिया सलाहकार बोर्ड की सदस्य हैं। उन्होंने डिजिटल इंडिया के उद्योग की वकालत को मजबूत करने और कार्रवाई पर तत्काल बढ़ने के लिए कई उद्योग मंचों में नास्कॉम (ट्रस्टी जैसी अन्य क्षमताओं में), फिक्की में सेवा की है।

यह देखकर अच्छा लगता है की टेक्नोलॉजी क्षेत्र में महिलाएं केवल एक ज़रूरी भूमिका निभाने के साथ साथ  महत्त्वपूर्ण पदों को भी संभल रही हैं.




महिला अध्यक्ष नासकॉम देबजानी घोष