Kerala Water Well: केरल के पथानामथिट्टा में पानी से जुड़ी खबर सामने आ रही है। केरल के पथानामथिट्टा में एक महिला के घर में पानी की बहुत समस्या थी। महिला का नाम जेसी साबू है। जेसी साबू को घर के कामकाज और भोजन के लिए पानी 7 कि.मी. दूर से खरीदकर लाना पड़ता था। ऐसे में जेसी साबू और उनके पति ने घर पर ही कुआं खोदने का निर्णय लिया। काम के ज्यादा बढ़ने पर जेसी साबू की 7 महिला मित्रों ने उनकी मदद की।
पानी का प्रयोग हर किसी के जीवन के लिए बहुत कीमती है। जहां एक जगह पानी की बर्बादी होती है तो वहीं दूसरी जगह कई जगह आज भी ऐसी हैं जहां पानी की पहुंच आसानी से नहीं है। आज पीने के पानी की कमी बहुत जगह हो गई है, पानी खरीदकर पीना पड़ रहा है, ऐसे में कहीं पानी का स्त्रोत मिल जाना बहुत बड़ी सफलता है। जेसी साबू और उनकी महिला दोस्तों का ये कदम सराहनीय है।
कैसे किया मिशन
जब जेसी साबू को पानी की बहुत ज्यादा समस्या होने लगी, जेसी साबू ने घर पर ही पानी लेने की बात सोची। 45 वर्षीय जेसी साबू को मात्र एक हफ्ते में ही 2000 लीटर पानी के लिए 750 रुपए देने पड़ते थे। जेसी साबू को कामकाज के लिए पानी लाने 7 कि.मी. पाम्पा नदी तक जाना पड़ता था। इसके लिए 400 रुपए का खर्च आता था। जेसी साबू की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी, कुआं खुदवाते तो इसका 1.5 से 2 लाख रुपए तक का खर्चा था। ऐसे में जेसी साबू और उनके पति ने खुद से कुआं खोदने का निर्णय लिया। इसके लिए उनके पति ने 2 मार्च से ही काम शुरू कर दिया। 21 दिन में पानी का स्त्रोत दिखने लग गया।
7 महिला दोस्तों मे बंटाया हाथ
मेरी दोस्तों ने गर्मियों में मेरी तकलीफों को देखा है इसलिए उन्होंने कुआं खोदने में हमारी मदद की। हर दिन वे सुबह 8:30 से लेकर शाम 4:30 तक काम करती थीं। —जेसी साबू
जेसी साबू के पति ने कुआं खोदना शुरू तो कर दिया था लेकिन उससे उनके कामकाज में बहुत असर पड़ने लगा। परिवार की परेशानियों को देखते हुए जेसी साबू की 7 महिला दोस्तों ने ऐसे में पूरी मदद की। जेसी साबू की दोस्तों में मरियम्मा थॉमस, 52; लीलम्मा जोस, 52; उषाकुमारी, 50; लिली के के, 51; कोचुमोल, 49; रेजिमोल, 41; और अनु थॉमस, 32 ने कुआं खोदने में हाथ बंटाना शुरू कर दिया। मित्रों की सहायता के बाद अब कुएं में काफी सफलता मिल गई है। पानी का स्त्रोत दिखने लग गया है। मिशन में जल्द ही सफलता मिलने वाली है। 2-3 दिन का काम और बाकी है।
यह आसान नहीं था। जमीन के अंदर तीन चार फीट जाने के बाद कठिनाईयां शुरू हो गईं। नीचे की कठोर चट्टानों को तोड़ने के लिए हमने विशेषज्ञों की मदद ली। दो विशेषज्ञों ने हमारी मदद की और हमने उन्हें पैसा भी दिया। —जेसी साबू
मनरेगा में शामिल किया गया काम
इतने बड़े काम को देखते हुए एक व्यक्ति ने इस काम की तस्वीर खेचीं जो लोकल न्यूज में आई। पंचायत अधिकारियों के सामने मामला आते ही इस काम को मनरेगा के तहत लिया गया और अब जेसी की मित्रों को मनरेगा के तहत इस काम के लिए 311 रुपए का वेतन दिया जा रहा है। इस तरह जेसी साबू का काम जेसी के लिए ही नहीं पूरे गांव वालों के लिए सराहनीय है।