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तालिबान में दिक्कत इतनी ज्यादा हो चुकी हैं कि अब महिलाएं अफ़ग़ानिस्तान छोड़कर भी भाग रही हैं। यह 1996 के दबाउ कानून को फॉलो कर रहे हैं जिस में महिलाओं न स्कूल जाने दिया जाता था न ही कॉलेज और काम करने पर भी बहुत रुकावट थी।
महिलाओं को इस परिस्तिथि तक आने में बहुत मेहनत लगी है और अब हम इतनी आसानी से नहीं दबेंगे। हज़ारों महिलाएं अफ़ग़ानिस्तान में काम करती हैं और अपने आप खुद के खर्चे उठाती आयी हैं। अब इस तरीके से उनके सारे अधिकार खत्म कर देना गलत है और इससे बाहर निकलना बहुत जरुरी है।
कैबिनेट बनाते वक़्त इन्होंने कई लीडर्स के नाम सामने रखे हैं जिन में सब पुरुष ही हैं। इनका कहना है कि बाद में ऐसा हो सकता है कि महिलाओं को भी कैबिनेट में शामिल किया जाए। सिराजुद्दीन हक़ानी को अफ़ग़ान के नए इंटीरियर मिनिस्टर बनाया गया है। यह हक़ानी नेटवर्क के फाउंडर हैं और FBI की लिस्ट में मोस्ट वांटेड इंसान हैं।
इस से पहले भी इन्होंने एक बार स्टेटमेंट दिया था कि महिलाओं को मिनिस्ट्री में अल्लॉव नहीं किया जाएगा। इससे पहले तालिबान ने 20 साल पहले अफ़ग़ानिस्तान पर कब्ज़ा किया था और अब एक बार फिर कर लिया है। महिलाओं को मिनिस्ट्री में बैन करने को लेकर कुछ महिलाएं प्रोटेस्ट भी कर रही हैं। इसी तरीके से अगर अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान काम करते रहे तो वहां की महिलाओं का फ्यूचर कितना ख़राब होगा यह बताना मुश्किल है।