AIIMS चीफ ने " येल्लो फंगस " को लेकर कंफ्यूशन जताया

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Swati Bundela
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येल्लो फंगस का पहला केस कहाँ निकला था ?


इसका पहला केस उत्तर प्रदेश के गाज़ियाबाद में निकला है। एक 45 साल के इंसान में इसके लक्षण देखे गए और अभी इलाज किया जा रहा है। कोरोना की दूसरी लहर के चलते कोरोना के मामले इंडिया में बढ़ते जा रहे हैं और ऐसे में ब्लैक और वाइट फंगस ने और भी ज्यादा टेंशन बड़ा रखी थी। लेकिन अब एक और फंगस येल्लो फंगस का पहला मामला भी इंडिया में सामने आया है। कहा जा रहा है कि ये वाइट और ब्लैक दोनों फंगस से खतरनाक है और इस से बचाव की सख्त जरुरत है।
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येल्लो फंगस के सिम्पटम्स जाने समय से पहले


इसके सिम्पटम्स होते हैं एनर्जी कम रहना ,
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भूख न लगना, आँखें लटकी लटकी होना, चोट देर से ठीक होना और वजन कम होना।
येल्लो फंगस के इलाज के लिए एम्फोटेरिसिन बी इंजेक्शन इस्तेमाल किया जाएगा। ये एक एंटी- फंगल दवा है और ज्यादातर मामलों में यही इस्तेमाल होती है। ये बीमारी एक अंदरूनी बीमारी है इसलिए इसको पता लगाने में समय लग सकता है। इसलिए जरुरी है कि थोड़ी सी लापरवाही न की जाए और ऊपर बताए गए कोई भी सिम्प्टम होने पर तुरंत इलाज के लिए जाया जाए।
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येल्लो फंगस से बचाव कैसे करें ?


येल्लो फंगस होने का कारण है आस पास गंदगी का होना इसलिए सभी जगह घर में सफाई करते रहे। नमी कम से कम रखें क्योंकि उसी में बैक्टीरिया और फंगस पनपता है। पुराना और बासा खाना या फिर पॉटी को तुरंत फेकें और दूर ही रखें। इससे बचने का सबसे अच्छा तरीका है कम से कम नमी वाली जगह में रहें और अपने आस पास की चीज़ों पर ध्यान दें कि कहाँ बैक्टीरिया और वायरस पनप सकता है।
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