Pollachi Case: तमिलनाडु के 2019 के यौन शोषण कांड में सभी 9 आरोपी दोषी साबित

2019 के पोलाची यौन उत्पीड़न मामले में कोयंबटूर की अदालत ने सभी 9 आरोपियों को दोषी ठहराया। यह फैसला वर्षों से चले आ रहे कानूनी संघर्ष के बाद आया है।

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Priya Singh
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High Court(The Times Of India)

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All 9 Accused Found Guilty In 2019 Pollachi Sexual Assault Case In Tamil Nadu: तमिलनाडु के बहुचर्चित पोलाची यौन उत्पीड़न मामले में कोयंबटूर की एक सत्र अदालत ने सभी नौ आरोपियों को दोषी ठहराया है। यह फैसला न केवल पीड़ितों के लिए न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि यह लैंगिक अपराधों के प्रति न्यायिक प्रणाली की गंभीरता को भी दर्शाता है। यह निर्णय वर्षों से चले आ रहे कानूनी संघर्ष और सामाजिक दबाव का परिणाम है।

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Pollachi Case: 2019 के यौन शोषण कांड में सभी 9 आरोपी दोषी साबित

खबरों के अनुसार, कोयंबटूर की सत्र अदालत ने सोमवार को 2019 के बहुचर्चित पोलाची यौन उत्पीड़न और ब्लैकमेल मामले में सभी 9 आरोपियों को दोषी ठहराया। न्यायाधीश आर. नंदिनी देवी ने उन्हें सामूहिक बलात्कार, बार-बार बलात्कार और आपराधिक साजिश जैसे गंभीर अपराधों में दोषी माना। अभियोजन पक्ष ने आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा देने की मांग की है।

दोषी ठहराए गए आरोपी

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दोषी करार दिए गए नौ आरोपी हैं:

  • सबरीराजन उर्फ रिशवंत (32)

  • थिरुनावुकारसु (34)

  • टी. वसंत कुमार (30)

  • एम. सतीश (33)

  • आर. मणि उर्फ मणिवन्नन

  • पी. बाबू (33)

  • हारून पॉल (32)

  • अरुलानंथम (39)

  • अरुण कुमार (33)

ये सभी 2019 में गिरफ्तारी के बाद से सलेम सेंट्रल जेल में बंद थे। आज सुबह उन्हें भारी पुलिस सुरक्षा के बीच अदालत लाया गया। कोयंबटूर शहर में भी सतर्कता बढ़ा दी गई थी।

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डिजिटल सबूत और पीड़ितों की गवाही ने निभाई अहम भूमिका

सरकारी वकील ने अदालत में बताया कि यह मामला 200 से अधिक दस्तावेजों और 400 से ज्यादा इलेक्ट्रॉनिक सबूतों पर आधारित था। इन सबूतों में फोरेंसिक रूप से प्रमाणित वीडियो फुटेज भी शामिल थे। उन्होंने कहा कि डिजिटल सबूतों से समर्थित पीड़ितों की गवाही इस मामले में निर्णायक साबित हुई।

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सभी गवाहों ने मजबूती से बयान दिया और कोई भी गवाह मुकरा नहीं। गवाह संरक्षण अधिनियम के तहत पीड़ितों की पहचान और सुरक्षा सुनिश्चित की गई थी। हालांकि, केवल आठ पीड़ितों ने ही औपचारिक रूप से शिकायत दर्ज कराई, जो समाज में मौजूद कलंक और प्रतिशोध के डर को उजागर करता है।

दुर्व्यवहार का भयानक तरीका

पोलाची मामला एक संगठित यौन शोषण गिरोह के घृणित तौर-तरीकों को सामने लाया। 2016 से 2018 के बीच कम से कम आठ महिलाओं को, जिनमें एक कॉलेज छात्रा भी शामिल थी, पहले फंसाया गया, फिर उनके साथ दुष्कर्म कर वीडियो बनाया गया। बाद में उन वीडियो का इस्तेमाल कर उन्हें ब्लैकमेल किया गया और बार-बार शारीरिक संबंध बनाने के लिए मजबूर किया गया।

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शुरुआत में इस मामले की जांच पोलाची पुलिस ने की थी, लेकिन निष्पक्ष जांच की मांग के चलते इसे CB-CID और फिर CBI को सौंप दिया गया।

सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव

यह मामला सिर्फ एक आपराधिक मामला नहीं रहा, बल्कि यह लैंगिक हिंसा के मामलों में न्यायिक प्रक्रिया की विश्वसनीयता की कसौटी बन गया। महिला अधिकार संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने पूरी प्रक्रिया पर करीबी नजर रखी और जवाबदेही की मांग की।

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उस समय सत्ता में रही एआईएडीएमके सरकार को एफआईआर दर्ज करने में देरी और मामले को दबाने की कथित कोशिशों को लेकर आलोचना झेलनी पड़ी। हालांकि, पार्टी ने इन आरोपों से इनकार किया।

पीड़ितों के लिए न्याय की राह अभी बाकी

महिला अधिकार कार्यकर्ताओं ने अदालत के फैसले का स्वागत किया है लेकिन साथ ही यह भी कहा कि केवल सजा देना पर्याप्त नहीं है। तमिलनाडु महिला सामूहिक की एक सदस्य ने कहा, "यह फैसला राहत की बात जरूर है, लेकिन पीड़ितों को अपने जीवन को फिर से खड़ा करने के लिए मुआवजा, काउंसलिंग और सरकारी नौकरी जैसे ठोस समर्थन की जरूरत है।"

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