बहुत से हॉस्पिटल्स प्रेगनेंट महिलाओं के प्रति असंवेदनशील रहे हैं, जिससे उनकी जान भी चली गई है। हॉस्पिटल्स की लापरवाही ने महिलाओं को परिसर के बाहर बच्चों को जन्म देने के लिए मजबूर किया है। हॉस्पिटल महिलाओं को अच्छी केयर नहीं दे पाते हैं। आंध्र प्रदेश के तिरुपति तिरुपति से एक अन्य घटना सामने आई है जिसमें एक महिला ने अस्पताल के पास सड़क पर बच्चे को जन्म दिया।
इस बारे में सोचना भी बहुत मुश्किल है कि वह किस प्रकार की असुविधा से गुजरी होंगी उस वक्त। सुविधा तो भूल जाइए यह केस अपने आप में इतना ज्यादा हॉरिबल है कि इमेजिन करना भी आज के समय में बहुत ही मुश्किल है। जैसे ही यह वीडियो इंटरनेट पर आया यह तुरंत ही कुछ मिनटों में वायरल हो गया वीडियो में दिखाया गया कि एक महिला सड़क पर ही एक बच्चे को कुछ महिलाओं की सहायता से जन्म दे रही है।
आंध्र प्रदेश की महिला ने सड़क पर दिया बच्चे को जन्म(Andhra Pradesh woman delivers baby on road)
पूरा प्रकरण असंवेदनशील है क्योंकि अस्पताल में रहने के दौरान एक महिला को स्वास्थ्य सेवा से वंचित कर दिया गया था। यही कारण है की को 100 बिस्तरों वाले तिरुपति प्रसूति अस्पताल के सामने बच्चे को जन्म देने के लिए मजबूर होना पड़ा, जिसे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) कहा जाता है। महिला को हॉस्पिटल के कर्मचारियों द्वारा प्रवेश से वंचित कर दिया गया था क्योंकि उसके साथ कोई भी नहीं था। यदि कोई सरकारी अस्पताल मामूली कारणों से बुनियादी प्रजनन अधिकारों से इनकार कर रहा है, तो एक बार उस आबादी के बारे में सोचिए जो भारत के सबसे दूरस्थ हिस्से में रहती है। उन लोगों के बारे में सोचें जो खराब बुनियादी ढांचे के कारण स्वास्थ्य सेवा तक भी नहीं पहुंच पाते हैं।
कुछ समय बाद महिला को अस्पताल से बाहर आते ही प्रसव पीड़ा होने लगी और वहां के कुछ लोग उसके बचाव में आए। जिस व्यक्ति ने बच्चे को जन्म देने में मदद की वह एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में काम करता है। अधिकारियों के अनुसार इस खटना के महिला और बच्चे को बाद में अस्पताल ले जाया गया।
अधिकारियों को सूचना मिलते ही उन्होंने लोगों से कहा कि इस मामले का जांच की जाएगी और हॉस्पिटल पर कार्यवाही जरूर की जाएगी। हॉस्पिटल वालों को इस चीज की सफाई देनी होगी कि आखिर क्यों उन्होंने महिला की देखभाल या उनका का सही समय पर इलाज नहीं किया कि उसको मजबूरन सड़क पर बच्चे को जन्म देना पड़ा।
बच्चे को जन्म देने के दौरान महिलाओं को उचित इलाज न मिल पाने की घटनाएं बढ़ी हैं। संबंधित अस्पताल के अधिकारियों को मातृ स्वास्थ्य के संबंध में सख्त नियम बनाने चाहिए। कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए, सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अस्पताल में आने वाली गर्भवती महिलाओं को व्युत्पन्न उपचार अवश्य मिले।