भारत की स्टार तीरंदाज दीपिका कुमारी ने आर्चरी वर्ल्ड कप फाइनल 2024 में सिल्वर मेडल जीतकर एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है। यह उनका छठा वर्ल्ड कप मेडल है। चीन की ली जियामन ने 6-0 से जीत दर्ज करते हुए दीपिका को दूसरे स्थान पर पहुंचाया। यह मैच 20 अक्टूबर को खेला गया।
दीपिका कुमारी ने आर्चरी वर्ल्ड कप फाइनल 2024 में जीता सिल्वर मेडल, यह उनका 6वां वर्ल्ड कप मेडल
दीपिका ने मैच के बाद अपने दिल से कहा, “इस वर्ल्ड कप का हिस्सा बनकर और मेडल जीतकर मुझे गर्व महसूस हो रहा है। अब मैं और भी कड़ी मेहनत करूंगी।”
Paris Olympics 2024 में Deepika Kumari
दीपिका का ओलंपिक में चौथी बार भाग लेना उनकी दृढ़ता और मेहनत को दर्शाता है। उन्होंने अपनी ट्रेनिंग पर ध्यान केंद्रित करने के लिए अपनी बेटी से दो महीने दूर रहने का कठिन निर्णय लिया। एक विशेष साक्षात्कार में उन्होंने कहा, "अपनी बेटी से दूर रहने का दर्द समझाना मुश्किल है, लेकिन यह उस लक्ष्य को हासिल करने के बारे में है जिसके लिए हम सालों से मेहनत कर रहे हैं।"
पेरिस रवाना होने से पहले, उनके पति अतानु दास, जो खुद एक अंतरराष्ट्रीय तीरंदाज हैं, वेदिका को पुणे के आर्मी स्पोर्ट्स इंस्टिट्यूट में लाए। यह भावनात्मक पुनर्मिलन दीपिका के लिए सुखद और दुखद दोनों था। "मुझे उसकी बहुत याद आती है, लेकिन यह ऐसा ही है। शुक्र है कि उसने मेरी ससुराल और अतानु के साथ अच्छी तरह से तालमेल बिठाया है।"
संघर्ष और सफलता
दीपिका के संघर्ष उनकी बेटी के जन्म के तुरंत बाद शुरू हुए। दिसंबर 2022 में बेटी के जन्म के बाद उन्हें मांसपेशियों में कठोरता का सामना करना पड़ा, जिससे उनका 19 किलो का धनुष उठाना लगभग असंभव हो गया। अतानु ने याद किया, "हमने पेरिस में प्रतिस्पर्धा करने के लिए डिलीवरी की योजना बनाई थी, लेकिन डिलीवरी के बाद यह शून्य से शुरू करने जैसा था। शूटिंग या धनुष उठाने की तो बात ही छोड़ दें, वह साधारण दैनिक कार्य भी नहीं कर पा रही थी।"
दीपिका कुमारी कौन हैं?
दीपिका कुमारी ने टोक्यो ओलंपिक 2020 में महिला तीरंदाजी एकल के क्वार्टर फाइनल में जगह बनाई थी। राम चट्टी नामक एक छोटे से गाँव से आने वाली दीपिका ने कम संसाधनों और उपकरणों के बावजूद तीरंदाजी में रुचि दिखाई। अपने सपनों को पूरा करने के लिए, उन्होंने पत्थरों से अभ्यास किया और पेड़ों से आम गिराए।
नेटफ्लिक्स की डॉक्यूमेंट्री "लेडीज फर्स्ट" में दीपिका कहती हैं, "वहां पर लड़कियाँ कुछ करती ही नहीं हैं। जो उनके पैरेंट्स हैं, 18 साल की हो जाती है तो शादी करके भेज देते हैं।" उनके पिता, जो एक रिक्शा चालक और पूर्व नर्स थे, ने दीपिका के जीवन में कड़ी मेहनत और ईमानदारी का महत्व सिखाया।
दीपिका कुमारी की ओलंपिक यात्रा चुनौतियों से भरी है, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। अपने संकल्प और समर्पण के साथ, वह अपने लक्ष्य की ओर एक कदम और बढ़ रही हैं। दुनिया उनकी ओलंपिक सफलता का बेसब्री से इंतजार कर रही है।
World number 1 archer Deepika Kumari's father Shivnarayan Mahato continues to run his house through a mini tempo. "No work is big or small. This tempo has a huge role in my daughter's journey, and I will continue with this occupation. My children also encourage me," he said pic.twitter.com/KqkdAFCfcr
— ANI (@ANI) July 23, 2021