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एक तस्वीर को असम पुलिस ने कैप्शन के साथ शेयर किया, "माँ होना एक बहुत दृढ़ क्रिया है"।
ममत्व और छोटे बच्चों की देखभाल करना काफी कठिन होता है। असम पुलिस की वजह से महिलाएं बिना किसी और बात की चिंता किये आराम में टेस्ट दे सकती है लेकिन ये दोनों महिला पुलिसकर्मी बच्चों की देखभाल करते हुए ड्यूटी के कर्त्तव्य से भी काफी आगे निकल गई । इन महिला पुलिसकर्मियों ने इंसानियत के नाते उन बच्चों का ध्यान रखा ताकि उनकी माताएँ निश्चिन्त होकर टीईटी की परीक्षा दे सके।
कर्तव्य से परे जाकर कुछ करना
अनोखी ममता का यह प्रदर्शन असम के मंगलदोई के डॉन बॉस्को हाई स्कूल में हुआ। परीक्षा हॉल में प्रवेश करने से पहले जहां उम्मीदवारों को अपने साथ पेंसिल बॉक्स ले जाने की भी अनुमति नहीं थी,वहाँ वे अपने बच्चों को इन दो पुलिसकर्मियों को सौंप देती थी । इंसानियत के इस अनोखे प्रदर्शन से इन महिला पुलिस कर्मियों ने लोगों का विश्वास ममता में बिलकुल पक्का कर दिया है ।
अविश्वसनीय रूप से इस अनोखे कदम की यह तस्वीर तुरंत वायरल हो गई और इंटरनेट पर लोग उन महिलाओं की प्रशंसा करना बंद नहीं कर सके, जो ड्यूटी के कर्त्तव्य से परे थीं।
क्या है टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्ट
टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्ट (टीईटी) का आयोजन 10 नवंबर को पूरे असम में किया गया था। कक्षा एक से आठवीं तक भारत में पढ़ाने में सक्षम होने के लिए यह परीक्षा मूल आवश्यकता है। परीक्षा को भागों दो में बाँटा गया है, पहला उन लोगों के लिए जो कक्षा I से V तक पढ़ाना चाहते हैं, दूसरा उन लोगों के लिए जो कक्षा छठी से आठवीं तक पढ़ाना चाहते हैं।