गायिका Gayatri Hazarika का निधन, कैंसर से जूझते हुए 44 की उम्र में दुनिया को कहा अलविदा

असम की प्रसिद्ध गायिका गायत्री हजारिका का 44 वर्ष की उम्र में कोलन कैंसर से निधन हो गया। उन्होंने अपनी बीमारी को निजी रखा और अंतिम समय तक संगीत से जुड़ी रहीं।

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Vaishali Garg
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Assamese Singer Gayatri Hazarika Passes Away at 44

Gayatri Hazarika Photograph: (Atul Bora/X)

Assamese Singer Gayatri Hazarika Passes Away at 44 After Private Battle With Cancer: असम की जानी-मानी गायिका गायत्री हजारिका का 16 मई को निधन हो गया। उन्होंने गुवाहाटी के नेमकेयर अस्पताल में दोपहर 2:15 बजे अंतिम सांस ली। मात्र 44 वर्ष की उम्र में उनका यूं चले जाना न केवल उनके परिवार और प्रशंसकों के लिए, बल्कि पूरे असमिया संगीत जगत के लिए एक बड़ी क्षति है।

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गायिका गायत्री हजारिका का निधन, कैंसर से जूझते हुए 44 की उम्र में दुनिया को कहा अलविदा

अपनी बीमारी को रखा गोपनीय, चुपचाप लड़ती रहीं कैंसर से

टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार गायत्री पिछले कुछ समय से कोलन कैंसर से जूझ रही थीं, लेकिन उन्होंने अपनी बीमारी को सार्वजनिक नहीं किया। वे लगातार संगीत के क्षेत्र में सक्रिय रहीं और कभी भी अपने संघर्ष को अपनी कला के आड़े नहीं आने दिया। उनके करीबी लोगों के अनुसार, गायत्री ने अपने अंतिम दिनों तक बेहद साहस और आत्मबल के साथ बीमारी का सामना किया।

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बचपन से शुरू हुआ संगीत का सफर

गायत्री हजारिका का संगीत सफर बहुत कम उम्र में ही शुरू हो गया था। मात्र 11 वर्ष की आयु में उन्होंने ऑल इंडिया रेडियो गुवाहाटी और दूरदर्शन गुवाहाटी में बाल कलाकार के रूप में प्रस्तुति दी थी। उनकी प्रारंभिक शिक्षा टीसी गर्ल्स हाई स्कूल और एमपी हाई स्कूल में हुई, जिसके बाद उन्होंने कोलकाता के रवींद्र भारती विश्वविद्यालय से एमए (शास्त्रीय संगीत) और लखनऊ की भातखंडे संगीत विद्यापीठ से एम. म्यूज़िक की डिग्री प्राप्त की।

असमिया संगीत को दी नई ऊंचाई

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गायत्री हजारिका ने असमिया संगीत में अपने मधुर और भावनात्मक गायन से एक खास पहचान बनाई। उनके गीत 'सारा पाते पाते फागुन नामे', 'इमान सेमेका कथारे' और 'माथु एजाक बोरोक्सुन' आज भी श्रोताओं के दिलों में बसे हुए हैं। उन्होंने कई हिट एल्बम और फिल्मों में गाने गाए, जिनमें ‘क्रोध’, ‘कंचनजंघा’ और ‘रत्नाकर’ जैसी फिल्में शामिल हैं। असमिया टीवी सीरियल्स जैसे ‘दामिनी’, ‘बोइदेही’, ‘ममता’, ‘अल्पना’, ‘परिणीता’ और ‘रोदाली’ में भी उनकी आवाज़ की खनक बखूबी सुनाई दी।

असम के नेताओं ने दी श्रद्धांजलि

गायत्री हजारिका के निधन पर असम के कई नेताओं और कला प्रेमियों ने गहरा शोक जताया। असम के कृषि मंत्री अतुल बोरा ने कहा, "गायत्री हजारिका की आत्मीय आवाज़ ने असमिया संगीत को समृद्ध किया। उनके निधन से एक युग का अंत हो गया है।" जल संसाधन मंत्री पियुष हजारिका ने भी उनके गीतों की प्रशंसा करते हुए उन्हें एक अपूरणीय क्षति बताया।

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संगीत प्रेमियों के दिलों में हमेशा जीवित रहेंगी

गायत्री हजारिका की आवाज़, उनकी प्रस्तुतियों और उनके द्वारा गाए गए गीत आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बने रहेंगे। उनके जाने से असमिया संस्कृति को जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई शायद कभी न हो सके। लेकिन उनकी मधुर और सजीव आवाज़ हमेशा श्रोताओं के दिलों में गूंजती रहेगी।