प्रसिद्ध लेखिका बाप्सी सिधवा का 25 दिसंबर को अमेरिका के ह्यूस्टन में निधन हो गया। वह 86 वर्ष की थीं। पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उन्होंने अपने तीन बच्चों, मोहुर, कोको और परिजाद को पीछे छोड़ा है। 1938 में कराची में जन्मीं और लाहौर में पली-बढ़ीं सिधवा का जीवन और लेखन पारसी समुदाय के सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और सामाजिक पहलुओं पर केंद्रित था।
सिधवा ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में फेलोशिप की और कोलंबिया, राइस, यूनिवर्सिटी ऑफ सेंट थॉमस और ह्यूस्टन जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में लेखन पढ़ाया। उन्होंने कई पुरस्कार जीते, जिनमें 1991 में सितारा-ए-इम्तियाज़, 1994 में लिला वॉलेस-रीडर्स डाइजेस्ट राइटर अवार्ड और 2007 में मोंडेलो पुरस्कार शामिल हैं।
सिधवा के चर्चित उपन्यास और उनकी विरासत
Cracking India (1991)
क्रैकिंग इंडिया, जिसे मूल रूप से Ice Candy Man कहा जाता है, लाहौर में बंटवारे से पहले की कहानी है। यह उपन्यास 4 साल की पारसी लड़की लेनी और उसकी आया शांता की कहानी के इर्द-गिर्द घूमता है। इस उपन्यास में बंटवारे के दौर में समुदाय, यौनता और पहचान जैसे गंभीर मुद्दों पर प्रकाश डाला गया है। यह उपन्यास न केवल विभाजन की त्रासदी को सामने लाता है बल्कि साधारण नागरिकों के संबंधों और जीवन पर इसके प्रभाव को भी दर्शाता है।
The Crow Eaters (1978)
द क्रो ईटर्स एक हास्य प्रधान उपन्यास है, जो जंगलेवाला नामक एक पारसी परिवार की कहानी को दर्शाता है। यह परिवार भारत के मध्य भाग से लाहौर पलायन करता है और वहां व्यापार में सफलता हासिल करता है। उपन्यास में परिवार की यात्रा, उनके संघर्ष और उनकी सामुदायिक पहचान को मनोरंजक तरीके से प्रस्तुत किया गया है।
Water (2006)
वाटर 1938 की कहानी है, जिसमें 8 साल की सरला (चुया) का विवाह और विधवा जीवन का चित्रण है। उपन्यास में विधवाओं के प्रति समाज के अन्याय और उनकी कठिनाइयों को दर्शाया गया है। यह कहानी एक ओर धार्मिक मान्यताओं और दूसरी ओर सामाजिक सुधार के बीच जूझती महिलाओं की दुर्दशा को सामने लाती है।
सिधवा के अन्य प्रमुख उपन्यास
उनकी अन्य लोकप्रिय कृतियों में The Pakistani Bride (1982), An American Brat (1993), Jungle Wala Sahib (2012) और City of Sin and Splendour: Writings on Lahore (2006) शामिल हैं।
श्रद्धांजलि और शोक संदेश
सिधवा के निधन की खबर से साहित्य जगत में शोक की लहर दौड़ गई। सोशल मीडिया पर उनके परिवार के लिए संवेदनाओं और श्रद्धांजलि संदेशों की बाढ़ आ गई।
बाप्सी सिधवा के साहसी और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध लेखन ने उन्हें विश्व साहित्य में एक अद्वितीय स्थान दिलाया। उनकी रचनाएँ हमेशा पाठकों को प्रेरणा और बंटवारे की त्रासदी को समझने का माध्यम प्रदान करती रहेंगी।