मिलिए क्लासिकल डांसर बीना मेहता से

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Swati Bundela
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बीना मेहता, गुजरात की काफी प्रतिष्टित शास्त्रीय नृत्य की प्रतिमा हैं। उन्होनें सूफी शास्त्रीय नृत्य को भी जन्म दिया है। 2018 में उन्हें टाइम्स पावर वीमेन के अवार्ड से सम्मानित किया गया। हालहिं में उन्होंने शंकर महादेवन के साथ हिंदुस्तान मेरी जान के एल्बम में भी अपना योगदान दिया है। इसमें उन्हीने स्वयं नृत्य और कोरियोग्राफी भी की है जिसके लिए उन्हें काफी प्रशंसा भी मिली है। इसमें बीना मेहता को सबसे थ्रिल यही लगा था कि वो इंडियन फ्लैग के नीचे नाची ।

इन्होंने कुचिपुड़ी और भरतनाट्यम में पोस्ट ग्रेजुएशन भी किया है। 2014 में इन्हें गुजरात सरकार द्वारा गुजरात गौरव से भी पुरस्कृत किया गया था।

कृष्णमयी, मधुरिका और कुछ ऐसे बड़े नाम के शास्त्रीय नृत्य कार्यक्रम में इनका योगदान काफी बड़ा रहा है।

7 साल की उम्र में इन्होंने दर्पण में भरतनाट्यम सीखना शुरू करदिया था । इन्हें कभी भी अपने घर वालो को मनाने की ज़रुरत नहीं पड़ी। इनके पिताजी हमेशा इनके साथ रहे और इनहें नृत्य को आगे ले जाने के लिए प्रेरित करते रहे।

इनके पूरे परिवार ने इनके हुनर को पहचाना और उसकी कदर की । इनके पिता, पति और बेटे का इनके सफर में बहुत बड़ा योगदान रहा है।इनके पिता हार्ट स्पेशलिस्ट फिजिशियन , पति आर्किटेक्ट और बेटा इंडस्ट्रियल डिज़ाइनर है।

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बीना मेहता के गुरूजी उनसे कहते थे की वह बहुत प्रिविलीज्ड है। भगवान सबकी आर्ट का हुनर नहीं देता है , तो जितना भी मिला है उसे जारी रखें और एन्जॉय करें।

इन्होंने इंटरनेशनल गीता महित्सव, कुरुक्षेत्र में भी प्रदर्शन किया था। पिछले साल हेमा मालिनी जी ने वहां पे प्रस्तुति दी थी, पर इस साल बीना मेहता जी ने वहां पे कृष्णमयी किया। उसमे इन्होंने उन सभी महिलाओं को दर्शाया जो कृष्णा के प्रेम में उन्ही की बनकर जी । जैसे देबकी मैया और यशोदा मैया, गोपियाँ, राधा जी, रुक्मणी जी, सत्यकभामा, द्रौपदी और मीरा।

बीना मेहता का मानना है कि किसी भी पैशन/शौक को रिलीजियस वे में लेकर ही आगे मेहनत करनी चाहिए।

इनके और इनके परिवार से हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है और अपनी कलाकृति को आगे ले जाने की प्रेरणा भी मिलती हैं ।


बीना के पिता और उसका परिवार दूसरे देश में रह के आने के बावजूद भी दिल से भारतीय ही थे, उनकी अपनी बेटी को शास्त्रीय नृत्य सिखाने की इच्छा यह बात साफ - साफ दिखाती है|
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