बिहार की बेटी के डॉक्टर बनने का सपना फिर जिंदा, सरकार ने बढ़ाया मदद का हाथ

बिहार की खुशबू कुमारी, जिसने 10वीं में 399 अंक हासिल किए, को विज्ञान पढ़ने से रोका गया। उसकी भावनात्मक अपील वायरल होने पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने हस्तक्षेप किया और अब उसका डॉक्टर बनने का सपना फिर से जिंदा हो गया।

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Vaishali Garg
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Bihar Girl's Dream To Become Doctor Revived By Govt.

Khushboo Kumari

बिहार की एक होनहार छात्रा की भावनात्मक अपील ने पूरे देश को झकझोर दिया, जिससे उसका डॉक्टर बनने का सपना फिर से जिंदा हो गया। दानापुर की रहने वाली खुशबू कुमारी, जिसने 10वीं कक्षा में 500 में से 399 अंक हासिल किए, अपने करियर के सबसे अहम मोड़ पर परिवार की मानसिकता की वजह से एक मुश्किल स्थिति में फंस गई।

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बिहार की बेटी के डॉक्टर बनने का सपना फिर जिंदा, सरकार ने बढ़ाया मदद का हाथ

परिवार ने रोका विज्ञान पढ़ने से

खुशबू का सपना डॉक्टर बनने का था, लेकिन जब उसने विज्ञान विषय लेने की इच्छा जताई तो उसके माता-पिता ने उसे यह कहकर मना कर दिया कि वह 'सिर्फ एक अंक' से 400 तक नहीं पहुंच पाई। इसके बजाय, उन्होंने उसे आर्ट्स स्ट्रीम में प्रवेश लेने के लिए मजबूर किया, जबकि परिवार के लड़कों को विज्ञान पढ़ने की पूरी आज़ादी दी गई।

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इससे परेशान होकर खुशबू ने एक वीडियो में अपनी आपबीती बताई, जिसमें वह भावुक होकर कहती नजर आई कि उसके भाइयों को विज्ञान पढ़ने दिया गया, लेकिन उसे यह अवसर नहीं मिल रहा। यह वीडियो इंटरनेट पर तेजी से वायरल हुआ और लाखों लोगों की सहानुभूति बटोरी। आखिरकार, यह मामला केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान तक पहुंचा, जिन्होंने इसमें तुरंत हस्तक्षेप किया।

सरकार की त्वरित कार्रवाई

खुशबू की कहानी से प्रभावित होकर केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने तुरंत जिला प्रशासन से संपर्क किया और यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि खुशबू को विज्ञान की पढ़ाई जारी रखने के लिए पूरी सहायता दी जाए। उन्होंने खुद खुशबू को फोन कर भरोसा दिलाया कि उसके सपनों को अधूरा नहीं रहने दिया जाएगा।

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उन्होंने उसे प्रोत्साहित करते हुए कहा, "तुम अभी से NEET की तैयारी शुरू करो। तुम्हारे डॉक्टर बनने की राह में कोई रुकावट नहीं आएगी।"

इसके बाद, दानापुर के जिलाधिकारी ने भी इस मामले को गंभीरता से लिया और खुशबू की शिक्षा का पूरा खर्च उठाने का आश्वासन दिया। अब प्रशासन खुशबू को विज्ञान स्ट्रीम में दाखिला दिलाने और उसकी पढ़ाई के लिए सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराने पर काम कर रहा है।

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खुशबू का सपना फिर हुआ साकार

खुशबू ने खुशी जताते हुए कहा, "अब मुझे आखिरकार बायोलॉजी पढ़ने का मौका मिल रहा है। एक दिन मैं जरूर डॉक्टर बनूंगी।"

यह पूरी घटना इस बात का उदाहरण है कि किस तरह सोशल मीडिया एक सशक्त माध्यम बन चुका है, जिससे सामाजिक बदलाव लाया जा सकता है। साथ ही, यह शिक्षा में समानता और लड़कियों को उनके अधिकारों के लिए आवाज उठाने की जरूरत को भी उजागर करता है।

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खुशबू की कहानी यह साबित करती है कि अगर समाज एकजुट होकर आवाज उठाए, तो किसी भी लड़की का सपना अधूरा नहीं रह सकता

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