Bijnor Salim: जज्बा हो तो बड़े से बड़ा काम भी पूरा हो जाता है। उत्तर प्रदेश के बिजनौर से एक सलीम नाम के शख्य कई महिलाओं के लिए रोजगार मुहैया करा रहे हैं। खबर की मानें तो सलीम की कहानी बहुत ही संघर्ष भरी है। सलीम बेकार बालों से विग तैयार करने का काम करते हैं।
जिन बालों को हम कुछ नहीं समझ कर कूड़े में फेंक देते हैं, जो बाल हमारे सिर के लिए जरूरी नहीं होते, उलझ जाते हैं, जो बाल कई बार गंदे होने के चलते उलझकर कंघी में आ जाते हैं, उनकी हम कीमत नहीं समझते। दरअसल उनकी भी कीमत होती है। ये बात आप इस कहानी से समझ सकेंगे।
कौन हैं बिजनौर के सलीम
बिजनौर में सलीम एक ऐसे शख्स हैं जिनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। बचपन में ही बड़े भाई की मृत्यु के चलते उन्हें बीच में ही अपनी पढ़ाई छोड़ देनी पड़ी। अब उनके सामने सबसे बड़ा संकट कमाई का था। जब उन्होंने पढ़ाई छोड़ी उस समय वे 8वीं कक्षा में थे और 13 साल के थे।
"1996-97 का वक्त था। परिवार की स्थिति बेहतर नहीं थी इसलिए मैंने मजदूरी की। घर के आस-पास काम करना अच्छा नहीं लगा तो दिल्ली चला गया। वहां बालों से विग बनाने का काम होता था। मुझे यह एकदम अलग और सही लगा। मैंने इसमें नौकरी कर ली। करीब दो साल काम किया। मेरे उस्ताद ने मुझे बहुत कुछ सिखाया। लेकिन विग को फाइनल टच देने का जो आखिरी प्रोसेस था वह मुझसे छिपाकर करते थे। इसीलिए मैं यह काम नहीं सीख पाया। साल 2000 के आसपास उन्होंने ये काम करना बंद कर दिया तो मैं फिर से बेरोजगार हो गया।" —सलीम, एक सफल बिजनेसमेन
सलीम की मानें तो ये सब इतना आसान नहीं था। स्थिति गंभीर हो गई। उन्होंने सोचा कि वो अपना खुद का बिजनेस करें। इसके लिए उनके पास पूंजी की भी कमी थी। मात्र 500 रुपए लेकर वे निकल पड़े बाजार में। उन्हें 400 रुपए किलो के गोली बाल खरीदे। गोली बाल यानि उलझे बाल। आगे के लिए उन्होंने दिल्ली जाकर 200 रुपए में केमिकल लिया जिससे बालों को संवारें। इन 700 रुपए से फिर शुरु किया सलीम ने बिजनेस। उनके बिजनेस में विग बनाने और पैचिंग का काम होता है।
आज 1000 महिलाओं को मिल रहा रोजगार
आज सलीम के इस बिजनेस के चलते कई महिलाओँ का परिवार चल रहा है और वे आर्थिक रूप से मजबूत हो रही हैं। सलीम की मानें तो महिलाएं ही नहीं कॉलेज जाने वाली लड़कियां भी पार्ट टाइम इस काम को कर अपना खर्चा निकाल रही हैं।
मालूम हो आज के समय में विग और पैचिंग की बहुत मांग है। खबर के मुताबिक चीन और अन्य देशों में भी इसका काम तेजी से होता है। ऐसे में एक मिसाल बन आगे आना अपने आप में सराहनीय कदम है।