Ambedkar Jayanti 2025: महिलाओं के सशक्तिकरण में बाबासाहेब की भूमिका

डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती पर जानिए उनके योगदानों के बारे में, खासकर महिलाओं के सशक्तिकरण में उनकी भूमिका को लेकर। कैसे अंबेडकर ने महिलाओं के अधिकारों की रक्षा की और उनके लिए सामाजिक न्याय की नींव रखी।

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Vaishali Garg
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Ambedkar Jayanti 2025:14 अप्रैल 2025 को भारत में डॉ. भीमराव अंबेडकर की 135वीं जयंती मनाई जा रही है। यह दिन उनके योगदानों को याद करने का अवसर है, विशेष रूप से महिलाओं के सशक्तिकरण के क्षेत्र में उनके द्वारा किए गए ऐतिहासिक कार्यों को लेकर। बाबासाहेब ने समाज में महिलाओं की स्थिति को सुधारने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए थे। उनके विचार और नीतियां आज भी महिलाओं के अधिकारों की रक्षा में मददगार साबित हो रही हैं। इस लेख में हम जानेंगे कि डॉ. अंबेडकर ने महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए कौन-कौन से कदम उठाए और उनकी जयंती के अवसर पर हम क्या कदम उठा सकते हैं।

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डॉ. अंबेडकर और महिलाओं सशक्तिकरण

डॉ. अंबेडकर ने महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किए। उनकी नीतियों ने महिलाओं को समाज में एक नई पहचान दी। आइए जानते हैं उनके द्वारा किए गए कुछ प्रमुख योगदान:

1. हिंदू कोड बिल

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डॉ. अंबेडकर ने हिंदू कोड बिल का मसौदा तैयार किया, जिससे महिलाओं को संपत्ति और विवाह संबंधी अधिकार मिले। हिंदू कोड बिल के द्वारा महिलाओं को संपत्ति में हिस्सेदारी, तलाक और पुनर्विवाह का अधिकार मिला। यह एक ऐतिहासिक कदम था, जो महिलाओं के सामाजिक और कानूनी अधिकारों को मजबूत करता है। इस बिल के लागू होने से महिलाओं की स्थिति में महत्वपूर्ण बदलाव आया और उन्हें समाज में समानता का अधिकार मिला।

2. समान मताधिकार

अंबेडकर ने सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार की वकालत की, जिससे महिलाओं को मतदान का अधिकार मिला। उनका मानना था कि महिलाओं को भी राजनीतिक प्रक्रियाओं में भाग लेने का अधिकार होना चाहिए ताकि वे समाज के विकास में योगदान कर सकें। उनके इस दृष्टिकोण ने भारतीय लोकतंत्र में महिलाओं की भागीदारी को सुनिश्चित किया।

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3. शैक्षणिक और आर्थिक सशक्तिकरण

डॉ. अंबेडकर ने महिलाओं की शिक्षा और आर्थिक स्वतंत्रता पर जोर दिया। उनका मानना था कि यदि महिलाओं को शिक्षा मिलेगी और आर्थिक रूप से वे आत्मनिर्भर होंगी, तो वे समाज में अपनी स्थिति बदल सकती हैं। उन्होंने कई योजनाओं की सिफारिश की, जिनसे महिलाओं को न केवल शिक्षा प्राप्त हो सके, बल्कि वे आर्थिक रूप से भी स्वतंत्र हो सकें। अंबेडकर के विचारों ने महिलाओं को अपनी आवाज उठाने और आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित किया।

डॉ. अंबेडकर का महिलाओं के सशक्तिकरण में योगदान अनमोल है। उनके विचार और नीतियां आज भी महिलाओं के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक अधिकारों की रक्षा करती हैं। अंबेडकर जयंती के अवसर पर हमें उनके दृष्टिकोण को अपनाकर एक समान और समावेशी समाज की दिशा में कदम बढ़ाने चाहिए। उनके योगदानों के माध्यम से हम महिलाओं को समाज में बराबरी का दर्जा देने और उन्हें सशक्त बनाने के लिए निरंतर प्रयासरत रह सकते हैं।