Advertisment

बीएसएफ के एक कांस्टेबल ने शादी में 11 लाख रुपये दहेज में लेने से किया इंकार

author-image
Swati Bundela
New Update
सदियों से भारत में पुरूषप्रधानता और कुप्रथा परंपराओं और रीति-रिवाजों पर हावी रहे है। लेकिन आजकल के युवा ने कुछ मानदंडों को तोड़ने और समानता का एक नया रास्ता तय करने की कोशिश की है। जहाँ दहेज़ और रीति -रिवाज़ के नाम पर लड़कीवालों को पता नहीं कितनी -कितनी बड़ी रकम लड़केवालों को देनी पड़ती है और उन्हें इसके लिए बहुत सी मुसीबतों का सामना भी करना पड़ता है वही आजकल के युवा दहेज़ प्रथा के खिलाफ अपनी आवाज़ उठाते हुए इसका विरोध कर रहे हैं ।

आज हम आपके सामने लाये है जयपुर के एक बी एस एफ जवान की कहानी जिन्होंने अपनी शादी में दुल्हन पक्ष से 11 लाख रुपये लेने से बिलकुल इंकार कर दिया और शगुन में सिर्फ 11 रुपये और नारियल लिया ।
Advertisment


दहेज़ के खिलाफ ज़ोरदार सोच



जयपुर में, एक बीएसएफ कांस्टेबल ने 9 नवंबर को अपनी शादी में दहेज के रूप में 11 लाख रुपये नकद लेने से इनकार कर दिया। कांस्टेबल ने 11 रुपये और एक नारियल को दुल्हन के माता-पिता से टोकन के रूप में स्वीकार किया। दहेज प्रथा के खिलाफ एक मिसाल कायम करते हुए, बीएसएफ के कांस्टेबल जितेंद्र सिंह ने शादी में उन्हें दी जा रही नकदी से साफ इनकार कर दिया। शुरुआत में, दुल्हन के माता-पिता हैरान थे क्योंकि उन्हें लगा कि बाराती (शादी के मेहमान) उनकी कुछ व्यवस्थाओं से नाखुश हैं, हालांकि दूल्हे द्वारा इशारे को देखकर सभी की आँखे खुशी के आंसुओं से नम थी।
Advertisment




59 वर्षीय गोविंद ने कहा, "मैं हैरान था और शुरू में सोचा था कि या तो दूल्हे के परिवार वाले ज्यादा पैसे चाहते हैं या वे व्यवस्था से नाखुश हैं। बाद में, हमें एहसास हुआ कि वह और उसका परिवार पूरी तरह से पैसे की पेशकश के खिलाफ थे।" दुल्हन के पिता गोविन्द सिंह शेखावत ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया।

Advertisment

महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा



जब उनसे संपर्क किया गया, तो उन्होंने कहा, “जिस दिन मुझे बताया गया कि मेरी पत्नी ने एलएलबी और एलएलएम किया है और पीएचडी भी कर रही है, मुझे लगा कि वह मेरे और मेरे परिवार के लिए काफी अच्छी है। उस दिन, मैंने कोई दहेज नहीं लेने का मन बनाया और मेरे परिवार ने सोचा कि हम शादी के दिन ही अपने ससुराल वालों को यह फैसला सुनाएंगे। ”

Advertisment

चंचल राजस्थान न्यायिक सेवा (आरजेएस) की तैयारी कर रही है। जितेंद्र ने कहा कि अगर वह मजिस्ट्रेट बन जाती  है, तो पैसे से ज्यादा ये उसके परिवार के लिए मूल्यवान होगा।



दूल्हे के इस कदम से खुश होकर, दूल्हे के पिता राजेंद्र सिंह ने टीओआई से कहा, "वह अच्छी तरह से शिक्षित है और इस प्रकार हम उसे उसकी उच्च पढ़ाई में हर सुविधा प्रदान करेंगे और उसे आगे बढ़ने में मदद करेंगे।"

Advertisment

जीतेन्द्र -आजकल के युवा की प्रेरणा



जीतेन्द्र निश्चित ही आजकल के युवाओं के लिए एक मिसाल हैं । उन्होंने यह कदम उठाकर दहेज़ जैसी कुप्रथा की निंदा ही नहीं की बल्कि महिला सशक्तिकरण की और भी कदम उठाया है । जहाँ जितेंद्र जैसे लोग समाज के लिए एक प्रगतिशील मिसाल कायम कर रहे हैं, वहीं एक किसान और उसकी 65 वर्षीय माँ को ओडिशा के गंजम जिले में दहेज को लेकर अपनी चार महीने की गर्भवती पत्नी का अपहरण करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया।

Advertisment


पीड़िता अपने जीवन के लिए लड़ती रही जबकि उसका भ्रूण नहीं बच पाया। पुलिस ने बताया कि आरोपी ने महिला पर केरोसिन डाला था और उसे 31 अक्टूबर को आग लगा दी गई थी।



महिला के पति और उसकी मां के खिलाफ दहेज प्रताड़ना का मामला दर्ज किया गया है, पुलिस ने कहा कि जांच जारी है।
इंस्पिरेशन
Advertisment