World Radio Day: रेडियों संसार के लिए मॉस कम्यूनिकेशन का एक सरल माध्यम है। ये न केवल सूचनाओं का प्रचार-प्रसार करने में फ़ायदा पहुंचाता है बल्कि आस-पास की दुनिया को जोड़े रखने का काम करता है। आस पूरा संसार विश्व रेडियो दिवस मना रहा है।
क्या है इस वर्ष विश्व रेडियो दिवस की थीम
क्योंकि 13 फरवरी 1946 को यूनाइटेड नेशन्स रेडियो यानि संयुक्त राष्ट्र रेडियो की स्थापना हुई थी। 3 नवंबर 2011 को यूनेस्को की 36वीं कॉन्फ़्रेंस में ये तय हुआ कि हर वर्ष 13 फरवरी को विश्व रेडियो दिवस मनाया जाए। इस वर्ष यूनेस्को की ओर से विश्व रेडियो दिवस की थीम ‘रेडियो एंड पीस’ यानि ‘रेडियो और शांति’ रखी गई है।
थीम का मुख्य उद्देश्य रेडियो को एक शांति के माध्यम के रूप में स्वीकार करने और विश्व भर में शांति को प्रसारित करना है। मालूम हो देश और विदेश में कई तरह के रेडियो स्टेशन्स चल रहे हैं। भारत में जून 1923 में बॉम्बे क्लब भारत का सबसे पहला रेडियो ब्रॉडकास्टर बना। इस समय ऑल इंडिया रेडियो भारत ही नहीं विश्व में भी एक बड़े ब्रॉडकास्टर के रूप में है।
सुदर्शन पटनाइक ने दी सेंड से बधाई
विश्व रेडियो दिवस के अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त प्राप्त और पद्म श्री से सम्मानित सेंड आर्टिस्ट सुदर्शन पटनायक ने अपनी सेंड कला के जरिए विश्व रेडियो दिवस पर सेंड से कलाकृति बनाई है। इस कलाकृति में विश्व रेडियो दिवस की बधाई के साथ-साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सबसे ज़्यादा पॉपुलर मन की बात प्रोग्राम को दर्शाया है। सेंड से रेडियो की ख़ूबसूरत आकृति बनी है उसमें लिखा है ‘हैपी वर्ल्ड रेडियो डे, गांव से शहर, मन की बात, मोस्ट पॉपुलर प्रोग्राम’।
बता दें प्रधानंमंत्री के मन की बात प्रोग्राम देश-विदेश में बहुत पॉपुलेरिटी में रहा है। ऐसा इसलिए कि भारत जैसे विशाल देश में सीधे जनता तक प्रधानमंत्री की पहुंच इस रेडियो प्रोग्राम के जरिए स्थापित हो पाई। ऐसे में रेडियो की प्रशंसा बनती है। प्रधानमंत्री का रेडियो प्रोग्राम मन की बात शहरों और गांव के लोग बहुत अच्छे से सुनते हैं। इसमें प्रधानमंत्री सीधा जनता से भी संपर्क में आते हैं।
रेडियो के आविष्कार का श्रेय इटली के वैज्ञानिक गूल्येलमो मार्कोनी को जाता है। रेडियो की ख़ासियत ये है कि ये सबसे ज़्यादा सस्ता माध्यम है और इसमें किसी तरह की बिजली या रिचार्ज कराने की ज़रूरत नहीं पड़ती। आज हमारे पास एफ़एम रेडियो के रूप में सबसे ज़्यादा पापुलर है। एफ़एम हर बेसिक मोबाइल और एन्ड्रांइड दोनों में उपलब्ध है। इसके आने से रेडियो की एक मॉस कम्यूनिकेशन के माध्यम के रूप में पॉपुलेरिटी और ज़्यादा बढ़ गई है।