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Connection Between Kasturba Gandhi and National Safe Motherhood Day (Photograph: Newsd / First Cry parenting )
हर साल 11 अप्रैल को भारत में राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस (National Safe Motherhood Day) मनाया जाता है। यह दिन देश की हर गर्भवती महिला को सुरक्षित प्रसव और मातृत्व के अधिकार की याद दिलाने के उद्देश्य से मनाया जाता है। इस तारीख का चुनाव भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पत्नी कस्तूरबा गांधी की जयंती के उपलक्ष्य में किया गया है।
क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस?
द फ्री प्रेस जर्नल के अनुसार 1991 में व्हाइट रिबन एलायंस इंडिया (White Ribbon Alliance India) नामक एक गैर-सरकारी संगठन ने देश में मातृत्व स्वास्थ्य के मुद्दों पर जन-जागरूकता बढ़ाने की शुरुआत की। इस मुहिम का उद्देश्य था कि हर महिला को गर्भावस्था के दौरान और उसके बाद भी सही स्वास्थ्य सेवाएं मिलें ताकि मातृ मृत्यु दर को घटाया जा सके।
इसके बाद, भारत सरकार ने वर्ष 2003 में 11 अप्रैल को आधिकारिक रूप से 'राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस' घोषित किया। यह तारीख कस्तूरबा गांधी की 90वीं जयंती का प्रतीक है, जो महात्मा गांधी की पत्नी थीं और महिलाओं के सामाजिक अधिकारों की मजबूत पैरोकार भी थीं।
ये दिन सिर्फ एक औपचारिकता नहीं, बल्कि महिलाओं की सेहत, गरिमा और उनके जीवन के सबसे महत्वपूर्ण समय मातृत्व को सम्मान देने की एक गंभीर कोशिश है।
On #NationalSafeMotherhoodDay, let’s celebrate the strength, boundless love, and unwavering resilience of mothers everywhere.
— DD News (@DDNewslive) April 11, 2025
It’s time to pledge our support and ensure every mother has access to the care and love they deserve.
Let’s create a world where every mother feels… pic.twitter.com/q7D20SBMPN
कस्तूरबा गांधी को क्यों समर्पित है यह दिन?
कस्तूरबा गांधी न केवल महात्मा गांधी की जीवन संगिनी थीं, बल्कि वे स्वयं एक स्वतंत्रता सेनानी और महिलाओं के अधिकारों की पैरोकार थीं। उन्होंने भारतीय समाज में महिलाओं की स्थिति को बेहतर बनाने के लिए शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में कार्य किया।
राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस को उनकी जयंती पर मनाना उनके योगदान को एक प्रतीकात्मक श्रद्धांजलि है, जो आज भी महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में प्रेरणा देता है।
मातृत्व सुरक्षा का महत्व
भारत जैसे विशाल और विविधतापूर्ण देश में हर महिला को गर्भावस्था के दौरान उचित पोषण, चिकित्सा सेवाएं और मानसिक सहयोग मिलना आवश्यक है। इस दिन पर सरकार और गैर-सरकारी संस्थाएं विभिन्न जागरूकता अभियान चलाती हैं ताकि:
- गर्भवती महिलाओं को स्वास्थ्य सेवाओं की जानकारी दी जा सके।
- ग्रामीण क्षेत्रों में प्रसवपूर्व और प्रसवोत्तर देखभाल को बढ़ावा मिल सके।
- मातृ मृत्यु दर को कम किया जा सके।
आज की आवश्यकता: मातृत्व को प्राथमिकता देना
हालांकि भारत ने मातृत्व स्वास्थ्य के क्षेत्र में कई प्रगति की है, लेकिन आज भी कई महिलाएं बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। यह दिन याद दिलाता है कि मातृत्व न केवल व्यक्तिगत अनुभव है, बल्कि यह एक सामाजिक और नैतिक जिम्मेदारी भी है। हर महिला को सुरक्षित, सशक्त और सम्मानजनक मातृत्व का अधिकार है।
राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस सिर्फ एक दिन नहीं, बल्कि एक सोच है वह सोच जो हर महिला को उसके मातृत्व काल में सुरक्षा, सम्मान और अधिकार दिलाने की दिशा में प्रेरित करती है। कस्तूरबा गांधी की विरासत को सम्मानित करते हुए यह दिन हम सभी को यह याद दिलाता है कि जब तक हर मां सुरक्षित नहीं, तब तक समाज सशक्त नहीं।