Advertisment

भारतीय स्प्रिंटर दुती चंद ने अपने गांव में बांटे खाने के 1000 पैकेट्स

author-image
Swati Bundela
New Update
दुती चंद करीब 70 किलोमीटर की दूरी तय कर के भुवनेश्‍वर से अपने गांव 1000 फ़ूड पैकेट्स बांटने आयीं।चाका गोपालपुर, जाजपुर डिस्ट्रिक्ट, ओडिशा में दुती का गांव है। वो फिलहाल भुवनेश्‍वर में रह रहीं हैं। वो स्पेशल पास लेकर अपने गांव में शुक्रवार को 1000 खाने के पैकेट्स लेके पहुंची।
Advertisment


"इस लॉक डाउन की मार मेरे गांव में भी पड़ी है। मैं किसी न किसी तरीके से अपने गांव के लोगों की मदद करना चाहती थी। इसलिए मैंने एक स्पेशल पास बनवाया और करीब 1000 लोगो को पैकेट्स बांटे।"
Advertisment

दुती अब वापस भुवनेश्‍वर आ चुकी हैं। वापस जाते समय दुती ने आने गांव वालों को आश्वासन दे कर गयी कि वो अगले हफ्ते फिर से वापस आएंगी थोड़े और फ़ूड पैकेट्स लेकर।

"ये पैसों की बात नही हैं बल्कि बात है सैटिस्फैक्शन की कि मुझे मौका मिल रहा है अपने गांव जहां मैं पली बढ़ी उस के लिए कुछ करने का। मेरे माता पिता भी बहुत खुश हैं। "कहती हैं दुती, जो कि इस बार कोविड19 की वजह से कैंसल्ड, जर्मनी में होने वाले ओलंपिक्स क्वालीफाइंग राउंड मिस कर बैठी।
Advertisment

"इस लॉक डाउन की मार मेरे गांव में भी पड़ी है। मैं किसी न किसी तरीके से अपने गांव के लोगों की मदद करना चाहती थी। इसलिए मैंने एक स्पेशल पास बनवाया और करीब 1000 लोगो को पैकेट्स बांटे।" - दुती चंद


"मेरी फैमिली और मैंने, गांव वालों को पहले से बता रखा था कि मैं उनके लिए फ़ूड पैकेट्स लाने वाली हूँ। इसलिए वो पहले ही मेरे घर पर पहुँच चुके थे।"
Advertisment


"मैं फिर से वहां जाऊंगी। हमारे गांव में 5000 लोग हैं और इस बार 2000 खाने के पैकेट्स ले के जाऊंगी।" कहना है सबसे तेज़ दौड़ने वाली भारतीय महिला जो कि ओलंपिक्स क्वालीफाई करने के लिए तैयारी कर रही हैं।
Advertisment

"मैंने के.आई.आई.टी फाउंडर (बी.जे.डी मेंबर औफ पार्लियामेंट) अच्युत सामंता से मदद मांगी थी। मैंने अपने ₹50000 खर्च किये और बाकी का खर्च उन्होंने अरेंज किया।"

"मैं फिर से वहां जाऊंगी। हमारे गांव में 5000 लोग हैं और इस बार 2000 खाने के पैकेट्स ले के जाऊंगी।" - दुती चंद

Advertisment

जब उनसे पूछा गया कि वो क्या कहना चाहेंगी ओल्मपिक क्वालिफिकेशन राउंड के कैंसल होने पर तो वो कहती हैं" अगर ये क्वालिफिकेशन राउंड पहले ही हो जाता तो अच्छा रहता क्योंकि ये क्वालीफाई करना आसान नहीं है। पर जब मेरे गांव के बुजुर्गों ने मुझे मैडल जीत के लाने का आशीर्वाद दिया और जब मैंने मुस्कुराते हुए चेहरों को देखा तो मुझे लगा कि मैं मैडल जीत सकती हूं।"

एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के नए सीजन की प्लानिंग के बारे में दुती कहती हैं कि वो के.आई.आई.टी के कैंपस में हैं और वहां के ट्रैक पर प्रैक्टिस कर रहीं हैं पर जैसी तैयारी होनी चाहिए वैसी अभी नही हो पारही है।
इंस्पिरेशन
Advertisment