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लॉकडाउन के बीच अपने मरते हुए पति से मिलने के लिए कोच्ची की एक महिला ने की 380 KM की सवारी

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Swati Bundela
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एक इंसिडेंट में कोच्चि की एक महिला, नागलक्ष्मी, ने अपनी जान पे खेलकर अपने होमटाउन डिंडीगुल जाने का फैसला किया। वहां वो अपने पति को देखने जा रही थी ,जो अपने डेथ बेड पे थे, लेकिन कुछ वजह से वो टाइम पे न पहुँच सकी। नागलक्ष्मी ने अपने ब्रदर-इन - लॉ, दीनाचंद्रन, की मदद से इतनी दूरी का सफर तय किया। रिपोर्ट के अनुसार, वह बुधवार शाम 4 बजे बाइक पर अपने देवर के साथ कोच्चि से निकली और अपने पति को आखिरी बार देखने के लिए आठ घंटे में 380 किमी की दूरी तय की।

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उनके पति एक पेड़ से गिरने के बाद बेहोश पाए गए थे। जिसके बाद उन्हें मदुरै के गवर्नमेंट जनरल हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। वह कोडांगी नायककन पट्टी , डिंडीगुल, तमिल नाडु में अपने खेत में काम कर रहे थे।



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इम्पोर्टेन्ट बातें



  • नागलक्ष्मी और उनके ब्रदर-इन - लॉ दीनाचंद्रन ने आखिरी बार अपने पति, मुरुगन, को देखने के लिए आठ घंटे में 380 किमी की दूरी तय की।


  • मुरुगन खेत में काम करने के टाइम एक पेड़ से गिरने के बाद बेहोश हो गए और जिसके बाद उन्हें मदुरै के गवर्नमेंट जनरल हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया।


  • भले ही नागलक्ष्मी ने उनसे मिलने की पूरी कोशिश की लेकिन मुरुगन की तबयत और बिगड़ती चली गयी और वो नहीं बचे।


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लॉकडाउन रेस्ट्रिक्शन्स की वजह से, देश में कोरोनावायरस को रोने के लिए, नागलक्ष्मी को अपने नेटिव प्लेस जाने की परमिशन लेने के लिए एर्नाकुलम के डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर एस. सुहास के पास जाना पड़ा। एक लोकल पॉलिटिशियन और पुलिस की मदद से, नागलक्ष्मी को जाने की परमिशन मिल गई क्योंकि उनके पति अपने जीवन के लिए लड़ रहे थे।

वह बुधवार शाम 4 बजे बाइक पर अपने देवर के साथ कोच्चि से निकली और अपने पति को आखिरी बार देखने के लिए आठ घंटे में 380 किमी की दूरी तय की।

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दीनाचंद्रन, जो मुरुगन के छोटे भाई हैं, ने कहा, “मेरा भाई एर्नाकुलम में एक कंट्रक्शन वर्कर है और परिवार थेवारा में कई साल पहले बस गया था। वह लॉकडाउन से कुछ दिन पहले हमारे नेटिव गाँव गए थे और वापिस नहीं आ पाए। जैसे ही हमें उसकी ताब्यात के बारे में पता चला मैंने अपनी भाभी को बाइक से डिंडीगुल ले जाने का फैसला किया। यह एक लंबी जर्नी थी और सड़कें सुनसान थीं। हम कुछ जगहों पर रुक गए और आधी रात तक गाँव पहुँच गए। ”



भले ही नागलक्ष्मी ने उनसे मिलने की पूरी कोशिश की लेकिन मुरुगन की तबयत और बिगड़ती चली गयी और वो नहीं बचे। "मेरे आने से पहले मेरे भाई का निधन हो गया, लेकिन हम उनका अंतिम संस्कार कर सकते थे," दीनाचंद्रन ने कहा।



नागालक्ष्मी की मदद करने वाले भाजपा के लोकल पॉलिटिशियन सी. जी. राजगोपाल ने कहा, "उनकी फैमिली ने बुधवार सुबह मुझे बताया और डिंडीगुल जाने के लिए एक ट्रेवल पास माँगा। कलेक्टर ने पहले हमारी रिक्वेस्ट के लिए मना कर दिया लेकिन एक बार जब हमने उन्हें मुरुगन के तबयत के बारे में बताया तो हमे परमिशन मिल गयी। "
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